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तुर्की में रूसी राजदूत की हत्या: पश्चिम एशिया में हालात और बिगडेंगे

भारत के लिए भी यह अपनी विदेश नीति फिर से पारिभाषित करने का समय है.

Bikram Vohra

अंकारा में एक आर्ट प्रदर्शनी के दौरान रूसी राजदूत को आठ बार गोली मारी गई. यानी 'डिप्लोमैटिक इम्युनिटी' की हत्या कर दी गई.

यह कोई आम घटना नहीं है. पिछले नवंबर में रूस के सुखोई विमान तुर्की के फाइटर विमानों द्वारा मार गिराए गए थे. उसके बाद से दोनों देशों के बीच रिश्ते मॉस्को की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों और सीरिया में असद शासन को रूसी समर्थन के कारण पैदा रिफ्यूजी संकट की चोट खाए हुए हैं. यह हत्या चीजों को बदतर करती है.


तुर्की के एक ऑफ-ड्यूटी पुलिसवाले की ओर से किए गए इस हमले को रूस पहले ही आतंकवादी हमला करार दे चुका है. अभी कोई नहीं जानता कि यह एक अकेले आदमी की हरकत थी या फिर असद को दिए समर्थन के कारण रूसी डिप्लोमेट्स के खिलाफ हमलों की एक कड़ी का हिस्सा भर है.

इस घटना ने अमेरिका की अगली ट्रंप सरकार की भी जिम्मेदारी बढ़ा दी है. भले ही कोई कहे कि ट्रंप और पुतिन बड़े करीब हैं लेकिन दोनों देश कभी साथ नहीं हो सकते. रिश्तों का गणित इसकी संभावना ही नहीं बनने देता.

जब तक ट्रंप पुतिन पर एलेप्पो में चल रहे जनसंहार को रोकने का दबाव नहीं बढ़ाते और रूसी राष्ट्रपति के साथ एक राय कायम करते हैं, तुर्की का निकट भविष्य अंधकारमय लगता है.

यह वही देश है, जिसे कभी भविष्य का सुपरपावर माना जाता था और जिसे भौगोलिक दृष्टि से पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच का पुल बनना था. तुर्की अब एक अंधकार के मुहाने पर खड़ा है जो इसे सीरिया, यमन, लीबिया और इराक की तरह अस्थिरता की श्रेणी में ला खड़ा करता है. यह इस्लामिक स्टेट के प्रभुत्व के लिए अगला निशाना बन सकता है.

खबर के साथ वीडियो देखें: तुर्की में रूसी राजदूत की गोली मारकर हत्या

इस हत्या से न सिर्फ क्षेत्र बल्कि पूरे विश्व की परिस्थितियां बदलती हैं. अब मॉस्को इस तर्क के साथ आक्रामक स्थिति में होगा कि इस क्षेत्र में उसके सभी राजनयिक खतरे में हैं.

बताया जा रहा है कि गोली चलाने वाले ने अपने इरादे जाहिर करते हुए कहा कि यह हत्या एलेप्पो को बचाने के लिए की गई. ऐसे में इस हत्या का संदेश साफ हो जाता है.

अब अमेरिका के किनारे बैठने का वक्त नहीं बल्कि इस मुद्दे में कूद पड़ने का समय है. रूस के लिए यह सीधा और कड़ा संदेश है कि असद की मदद करने के परिणाम झेलने होंगे.

गोली चलाने वाला किसी समूह का हिस्सा हो या फिर अकेले काम कर रहा हो, यह तो तय है कि जब तक रूस और अमेरिका के असद को लेकर हित अलग रहेंगे, इसकी कीमत राजनीतिक विचारशून्यता से चुकानी होगी.

इसके परिणाम केवल पश्चिम एशिया को नहीं झेलने होंगे.

इस हत्या से मॉस्को और वाशिंगटन को समझना होगा कि या तो वे एक आम राय बनाएं या पूरी दुनिया को खतरे में डालें. आज रूसी राजदूत? कल कौन?

भारत जैसे देश के लिए भी अपनी विदेश नीति फिर से पारिभाषित करने की जरूरत है. उसे अपनी सीमाओं के बाहर झांकने की जरूरत है और वैश्विक नहीं तो क्षेत्रीय पुलिसवाले की भूमिका में उतरने की जरूरत है.

हम एक ऐसा देश हैं जिसकी अमेरिका और रूस दोनों सुन सकते हैं और निर्दोषों की हत्या रोकी जा सकती है.

अंग्रेजी में पढ़ें: Turkey: Russian ambassador's cold-blooded murder pushes West Asia into further turmoil