view all

जानिए क्यों जापान के इस द्वीप का कीचड़ है बेहद कीमती?

मिनामितोरिशिमा नामक यह द्वीप जापान की राजधानी टोक्यो से लगभग 1000 मील की दूरी पर है

FP Staff

प्रशांत महासागर के इस द्वीप के कीचड़ में इतने महंगे खनिज संसाधन हैं जिससे जापान की पूरी अर्थव्यवस्था बदल जाएगी. एक अर्थशास्त्री का कहना है कि यह गेम चेंजर साबित होगा और शोधकर्ताओं का कहना है कि जापान के मिनामितोरिशिमा नामक इस द्वीप का कीचड़ एक खजाना है.

सीएनएन में छपी खबर के मुताबिक इस द्वीप के कीचड़ में धरती पर पाए जाने वाले दुर्लभ खनिज हैं जो काफी कम जगह मिलते हैं. यह पूरा कीचड़ लगभग 16 मिलियन टन है और इसमें धरती में बहुत कम मात्रा में पाए जाने वाले खनिजों का असीमित भंडार है. इस कीचड़ में जो खनिज-तत्व हैं उनका उपयोग हाई-टेक डिवाइस जैसे स्मार्टफोन, मिसाइल सिस्टम, रडार सिस्टम और हाइब्रिड गाड़ियों में होता है. उदाहरण के लिए इस कीचड़ में पाए गए येट्ट्रियम का उपयोग कैमरे के लेंस, सुपर कंडक्टर्स और सेल फोन को बनाने में होता है.


अनुमान के मुताबिक 16 मिलियन टन के कीचड़ में पाए जाने वाले खनिज येट्ट्रियम का उपयोग वर्तमान दर से 780 साल तक, यूरोपियम का इस्तेमाल 620 वर्षों तक, टेरबियम का उपयोग 420 वर्षों तक और डिस्पोरसियम का 730 वर्षों तक किया जा सकता है. दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि इस भंडार का उपयोग कई सदियों तक किया जा सकता है.

चीन की जगह जापान का होगा कब्जा

फिलहाल धरती पर पाए जाने वाले इस दुर्लभ खनिजों के उत्पादन और निर्यात पर चीन का नियंत्रण सबसे अधिक है. उसके पास इस तरह के खनिजों का कुल 95 फीसदी हिस्सा मौजूद है और इस वजह से जापान सहित सभी देश इन खनिजों के दाम और उपलब्धता की दृष्टि से चीन पर पूरी तरह निर्भर हैं. लेकिन इस खोज के बाद उम्मीद है कि चीन पर निर्भरता घटेगी और जापान का जल्द ही इस पर कब्जा होगा.

मिनामितोरिशिमा द्वीप हालांकि जापान की राजधानी टोक्यो से लगभग 1000 मील की दूरी पर है लेकिन तकनीकी रूप से यह टोक्यो का ही हिस्सा है.