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मोसाद की लेडी स्पाई: सिल्विया राफेल जिसका लोहा आज भी माना जाता है

सिल्विया अपने काम में बेहतरीन थीं और एजेंसी में एक लेजेंड बनकर उभरीं.

FP Staff

मोसाद इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. इसे दुनिया की सबसे खतरनाक एजेंसी माना जाता है. इसके एजेंट्स को बेहतरीन ट्रेनिंग दी जाती है और वो दुश्मन का खात्मा किए बिना मिशन को अधूरा नहीं छोड़ते चाहे, उसमें कितने ही साल क्यों न लग जाएं.

इसी खुफिया एजेंसी में एक महिला एजेंट थीं सिल्विया राफेल जिनका लोहा आज भी मोसाद में माना जाता है. कहा जाता है कि वो अपने काम में बेहतरीन थीं और एजेंसी में एक लेजेंड बनकर उभरीं. राफेल के काम के कायल मोसाद स्कूल फॉर स्पेशल आॅपरेशंस के निदेशक मोती कफिर ने सिल्विया की जीवनी लिखी है. कफिर के अनुसार राफेल की किताब की इच्छा उनके पति ने जाहिर की थी.


'सिल्विया राफेल: द लाइफ एंड डेथ आॅफ अ मोसाद स्पाई' नाम की ये किताब कफिर और रैम ओरन ने लिखी है. इसमें राफेल की जिंदगी, एजेंट के तौर पर पहचान और मौत के बारे में काफी कुछ लिखा है.

किसी भी एजेंट की तरह गुमनामी में काम कर रहीं राफेल का नाम तब उभरकर सामने आया जब लीलेहैमर अफेयर मामले में मोसाद के कुछ एजेंट को जेल भेजा गया. इस मामले में फिलिस्तीनी आतंकी नेता अली हसन सालामेह को मारने की कोशिश में गलत शख्स को मार दिया गया था. इसमें 11 मोसाद एजेंट में से 6 को जेल जाना पड़ा था.

राफेल अन्य देशों में विदेशी पासपोर्ट के जरिए अंडरकवर एजेंट के तौर पर काम करती थीं. जबकि अमूमन इस तरह के काम के लिए विदेशी स्पाई नियुक्त किए जाते थे. ट्रेनिंग के बाद राफेल एक फोटोजर्नलिस्ट पेट्रीशिया रॉग्जबर्ग की नकली पहचान के साथ कनाडा और फ्रांस में रहीं. वो पहले से ही कैमरा चलाना जानती थीं इसलिए उन्हें इस काम में खास दिक्कत नहीं हुई.

स्कूल टीचर से खुफिया एजेंट

जब कफिर पहली बार राफेल से मिले थे तो उन्हें नहीं पता था कि वो मोसाद में एक बड़ा नाम बन जाएंगी. राफेल एक यहूदी पिता और इसाई मां के परिवार में ग्रामीण दक्षिणी अफ्रीका में जन्मी थीं. होलोकास्ट से उनके पिता के एकमात्र संबंधी के लौटने पर वह उनसे काफी प्रभावित हुई थीं.

वो कम उम्र से ही यहूदी और जिओनिज्म की तरफ झुकाव रखने लगी थीं. इसके बाद वो इजराइल आकर तेल अवीव में इंग्लिश टीचर के तौर पर काम करने लगीं. कफिर को राफेल के बारे में एक अन्य एजेंट से पता चला. राफेल उस एजेंट की प्रेमिका के साथ फ्लैट में रहती थीं. एजेंट का कहना था कि राफेल इस काम के लिए सही रहेंगी.

कफिर लिखते हैं कि सिल्विया से पहली मुलाकत में ही उन्हें लगा था कि उसमें वो क्षमताएं हैं. वह राफेल से काफी प्रभावित हुए थे. वो जो जानते थे राफेल उससे बिल्कुल अलग थीं. कफिर ने राफेल को एजेंसी में भर्ती किया और एजेंट के तौर पर ट्रेनिंग दी.

कई लोग कहते हैं हत्यारा

कुछ लोग राफेल को हत्यारा कहते हैं लेकिन कफिर के अनुसार ऐसा नहीं लगता कि राफेल ने कभी खुद बंदूक चलाई हो या मारने के लिए बम फेंका हो.

कफिर के मुताबिक ये राफेल का अंतर्विरोध था और उनकी क्षमता थी कि उन्होंने संतुलन बनाया और सफल स्पाई बनीं. वो बताते हैं कि अगर लीलेहैमर अफेयर न होता तो रफेल गुमनामी में ही मोसाद से सेवानिवृत्त हो जातीं. इस गलती की वजह से ही उनका काम सामने आया और इस केस के दौरान वह अपने प्यार से भी मिलीं.

राफेल ने अपने वकील से शादी कर ली. उनका कोई बच्चा नहीं था. कफिर के मुताबिक राफेल भी एक सामान्य जीवन जीना चाहती थी. राफेल पर और भी किताब लिखी गई है.

[न्यूज़ 18 से साभार]