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संयुक्त राष्ट्र में भारत की ‘आयरन लेडी’ से पस्त हुआ पाकिस्तान, मलीहा लोदी ने किया पाक का बेड़ागर्क

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का झूठ देखने और सुनने के बाद अब पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा करने का मतलब एक दूसरा उत्तर कोरिया तैयार करना होगा

Kinshuk Praval

संयुक्त राष्ट्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की स्पीच बदलते भारत और बेनकाब होते पाकिस्तान की कहानी बयां करती है. सुषमा ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की फितरत, मानवाधिकार के मुखौटे और झूठ के चेहरे को बेनकाब कर दिया.

सुषमा के हमलों से पाकिस्तान का तिलमिलाना लाजिमी थी. आरोप ऐसे थे जो तीर की तरह चुभे और खंजर की तरह दिल में उतर गए. सुषमा ने कहा कि आजादी के बाद भारत ने शिक्षा, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में ज़ोर दिया तो पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क बनाने पर जोर दिया.


सुषमा के जवाब में आधार भी है और तर्क भी. दुनियाभर में भारतवंशी अपनी योग्यता के दम पर भारत का मान बढ़ा रहे हैं जबकि इसके ठीक उलट पाकिस्तान के आतंकवादियों को अमेरिका चुन-चुन कर ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डाल रहा है.

सुषमा की सीधी बात से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को उनके सभी आरोपों का वहीं के वहीं करारा जवाब मिल गया. लेकिन जो काम पाकिस्तान की स्थायी प्रतिनिधि मलीहा लोदी ने किया वो पाकिस्तान कभी भूल नहीं सकेगा. पाकिस्तानी पीएम को संयुक्त राष्ट्र में घिरता देखकर मलीहा लोदी ने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल किया. उनका रिप्लाई ही पाकिस्तान की जलालत का सबब बन गया. भारत के सशस्त्र बल के खिलाफ मानवाधिकार के उल्लंघन का जो सबूत मलीहा लोदी ने पेश किया वो पाकिस्तान के दोगले चरित्र का सबूत बन गया.

सुषमा स्वराज के संबोधन के बाद पाकिस्तान की स्थाई प्रतिनिधि मलीहा लोदी ने एक नज़ीर पेश करने की कोशिश. मलीहा ने कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए पेलेट गन से घायल एक लड़की की तस्वीर दिखाई. इस फोटो के जरिए उनकी मंशा दुनिया को गुमराह करने की थी. लेकिन झूठ के पैर नहीं होते हैं भले ही ज़ुबान की कोई सीमा न हो.

मलीहा ने दिखाई फर्जी तस्वीर

17 साल की घायल लड़की की तस्वीर को अपने हाथ से दिखाने वाली मलीहा लोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपने ही मुल्क को शर्मसार कर डाला. दरअसल वो तस्वीर कश्मीर की लड़की की नहीं थी बल्कि गाजा पट्टी में इजरायली सेना के हमले में घायल एक फिलिस्तीनी लड़की राव्या अबू जोमा की थी. इस फोटो को मशहूर कैमरामैन हेइदी लेवाइन ने खींचा था जिन्हें इंटरनेशनल वूमेंस मीडिया फाउंडेशन ने अवार्ड भी दिया था. उस तस्वीर को 27 मार्च 2015 को ट्वीटर पर शेयर किया गया था.

लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान ने इस तस्वीर को कश्मीर के मामले में अपने हक में भुनाने की कोशिश की. सब कुछ जानते हुए भी पाकिस्तान ने जिस तरह से साज़िशों का ताना-बाना बुन कर झूठ बोलने की हिमाकत की उससे उसके हौसले को दाद दी जा सकती है. दरअसल हर बार पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर ऐसे ही दुनिया को गुमराह करता आया है. उसने हमेशा कश्मीर के मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता कराने की कोशिश की. उसने हमेशा भारत के अंदरूनी हालात की तरफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने की कोशिश की.

जबकि खुद पाकिस्तान ही कश्मीर के हालात बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार है. कश्मीर में बढ़ती आतंकी घटनाओं के पीछे पाकिस्तान में मौजूद आतंकी संगठन और आईएसआई का हाथ है. पाकिस्तान से ही कश्मीर में अलगावादियों को टेरर फंडिंग की जाती है. पाकिस्तान से ही लगातार आतंकी घुसपैठ करते आए हैं. इसके बावजूद पाकिस्तान ने कश्मीर के मसले पर पेलेट गन को हथियार बनाते हुए लड़की की तस्वीर पर दांव खेला.

लेकिन इस बार पाकिस्तान के फरेब का संयुक्त राष्ट्र में पर्दाफाश हो गया. दुनिया ने अपनी आंखों से देखा कि  पाकिस्तान किस तरह से कश्मीर मुद्दे पर साजिश की तस्वीर को मानवाधिकार के नाम पर बेचने की कोशिश करता है. मलीहा लोदी का सबूत पाकिस्तान की बदनीयति का सबूत बन गया.

बड़ा सवाल ये है कि संयुक्त राष्ट्र जैसे मंच पर पाकिस्तान की इस हरकत को भूल या गलती कह कर माफ नहीं किया जा सकता है. ऐसे में पाकिस्तान पर कोई न कोई तो कार्रवाई की ही जानी चाहिए.

खुद चीन ने भी इस बार कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का हाथ झटक दिया है. चीन ने साफ कह दिया कि पाकिस्तान को कश्मीर का मुद्दा भारत के साथ द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाना चाहिए. ये पाकिस्तान को बड़ा झटका है. एक तरफ जहां पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया में अलग-थलग पड़ता जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ कश्मीर के मुद्दे पर चीन का हाथ खींचना उसके लिए सबक है.

हालांकि निहायत ही शर्मसार होने वाले इस वाकये से पाकिस्तान शायद ही भविष्य में कोई सबक ले क्योंकि भारत के प्रति उसकी फितरत और नफरत एक अमेरिकी रिपोर्ट के जरिए भी सामने आई है. फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स (FAS) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के आतंकी संगठनों के हाथ लगने की आशंका है.

रिपोट के मुताबिक पाकिस्तान लॉग रेंज एटमी मिसाइलों के अलावा शॉर्ट रेंज परमाणु हथियारों का जखीरा तैयार कर रहा है. इन हथियारों को उसने 9 जगहों पर छुपा कर रखा है. लेकिन इनके चोरी होने का बड़ा खतरा है. जबकि पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी दावा करते हैं कि उनका देश परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर बेहद चौकस है.

चोरी हो सकते हैं पाकिस्तानी एटम बम 

खुद अमेरिका भी पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर सशंकित है. अमेरिका भी ये मानता है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ लग सकते हैं. वैसे भी परमाणु तकनीक को लेकर पाकिस्तान का काला इतिहास है. पाकिस्तान के परमाणु जनक अब्दुल कदीर खान उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेचकर कुख्यात हो चुके हैं.

ऐसा शक जताया जाता है कि उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेचना किसी वैज्ञानिक के अकेले बस की बात नहीं हो सकती है. इसके पीछे पाकिस्तान की सेना और सरकार का मिला-जुला हाथ माना जाता है. ऐसे में पाकिस्तान की नीयत और दावों पर भरोसा करना दुनिया के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

अब जरूरत है कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएं. पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार का चेहरा सामने रख कर पर्दे के पीछे सेना और आईएसआई लगातार आतंक की फैक्ट्री तैयार करने में जुटी हुई है. पाकिस्तानी सरकार के नुमाइंदे अपनी खुफिया एजेंसी और सेना की करतूतों पर पर्दा डालने का काम करते हैं. संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के नाम पर और खुद को आतंकवाद पीड़ित बता कर पाकिस्तान झूठी सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहा था.

लेकिन मलीहा लोदी के राइट टू रिप्लाई ने दुनिया की आंखें खोलने का काम कर दिया. संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का झूठ देखने और सुनने के बाद अब पाकिस्तान की किसी भी बात पर भरोसा करने का मतलब एक दूसरा उत्तर कोरिया तैयार करना होगा. पाकिस्तान जिस तरह से आतंकी संगठनों और आतंकियों की पनाहगाह बना हुआ है उससे भविष्य के परमाणु खतरे को समझने में भूल और देर नहीं करना चाहिए.