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तत्काल संसद की बैठक बुलाए श्रीलंकाई राष्ट्रपति: अमेरिका

श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की अचानक बर्खास्तगी से उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अमेरिका ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना से संसद की बैठक तत्काल बुलाने के लिए कहा

Bhasha

श्रीलंका में प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की अचानक बर्खास्तगी से उत्पन्न राजनीतिक उथल-पुथल के बीच अमेरिका ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना से संसद की बैठक तत्काल बुलाने के लिए कहा है, ताकि लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित प्रतिनिधि यह फैसला कर सकें कि अपनी सरकार का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी वह किसे देना चाहते हैं.

अमेरिका बनाए हुए है लगातार नजर


अमेरिका की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नोर्ट ने कहा, 'हमने श्रीलंकाई राष्ट्रपति से कहा है कि वे संसद के स्पीकर के परामर्श से तुरंत संसद की बैठक बुलाएं ताकि श्रीलंकाई लोगों द्वारा लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित प्रतिनिधि अपनी सरकार के नेता को चुन सके.' गौरतलब है कि सिरीसेना ने शुक्रवार को विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था और पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था, जिससे श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल का माहौल बन गया था.

अगले दिन, विक्रमसिंघे ने अपनी बर्खास्तगी को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए इस फैसले को मामने से इनकार कर दिया और बहुमत साबित करने के लिए एक आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग की. जिसके बाद राष्ट्रपति ने संसद को भी निलंबित कर दिया. राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे की निजी सुरक्षा और वाहनों को उनसे वापस लेकर 72 वर्षीय राजपक्षे को सौंप दिया, जिन्होंने नाटकीय ढंग राजनीति में एक बार फिर वापसी की है. नोर्ट ने कहा कि श्रीलंका के घटनाक्रम पर अमेरिका लगातार नजर बनाए हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र ने भी श्रीलंका के राजनीतिक घटनाक्रम पर चिंता जताई है.

चुनाव का आह्वान किया

वहीं श्रीलंका के नव नियुक्त प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने देश को आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से उबारने वाले एक नए कार्यक्रम के लिए लोगों को मतदान करने का मौका देने की खातिर रविवार को मध्यावधि संसदीय चुनाव का आह्वान किया. राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना द्वारा नये प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किए जाने के बाद राजपक्षे का यह पहला सार्वजनिक बयान था. शुक्रवार की रात को राष्ट्रपति ने रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने के बाद राजपक्षे को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

उन्होंने कहा, 'मेरे साथ आए राजनीतिक दल के नेताओं एवं सांसदों का मुख्य उद्देश्य तत्काल प्रांतीय परिषद चुनाव कराना है जोकि लगातार टाले गए हैं और साथ ही जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी संसदीय चुनाव कराना है ताकि लोगों को देश के सामने मौजूद आर्थिक, राजनीतिक एवं सामाजिक संकट से बाहर निकालने के लिए कार्यक्रम की खातिर मतदान करने का मौका मिले.'

राजपक्षे के सत्ता में लौटने के साथ देश में तीन साल से ज्यादा समय से चल रही गठबंधन सरकार का अंत हो गया जिसका गठन सिरीसेना और विक्रमसिंघे ने भ्रष्टाचार एवं वित्तीय गड़बड़ियों से लड़ने का वादा करते हुए किया था.