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सऊदी अरब: परिवार पर टैक्स लगाने से कैसे बनेगी बात!

सऊदी अरब अब भारतीयों से उनके परिवार के सदस्यों पर टैक्स वसूलेगा

Pratima Sharma

अमेरिका के रास्ते पर अब उसका सबसे बड़ा सहयोगी सऊदी अरब भी चल पड़ा है. डोनाल्ड ट्रंप ने संरक्षणवाद के जिस वैश्विकीकरण की शुरुआत की थी उसका खामियाजा भारत जैसे विकासशील देशों को भुगतना पड़ रहा है.

ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ का नारा दिया था. एच1बी1 वीजा पर ट्रंप के फैसले से भारत के आईटी इंडस्ट्री की हालत पहले ही खराब है. अब सऊदी अरब के फैमिली टैक्स लगाने के फैसले से भारतीयों को तगड़ा झटका लगा है.


क्याें टैक्स लगा रहा है सऊदी अरब?

सऊदी अरब ने जुलाई 2017 से एक नया टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया है. यह टैक्स वहां काम करने वाले अप्रवासी भारतीयों से वसूला जाएगा. इसके तहत सऊदी में काम करने वाले भारतीयों को हर महीने अपने परिवार के हर सदस्य पर टैक्स चुकाना होगा. परिवार के एक सदस्य पर हर महीने 100 रियाल (करीब 1723 रुपए) चुकाना होगा. यह टैक्स 2020 तक लगातार बढ़ाया जा सकता है.

क्या है इस टैक्स का असर 

सऊदी अरब की सरकार ने यह टैक्स अपनी माली हालत दुरुस्त करने के लिए लगाई है. पेट्रोल की कीमतें घटने के कारण सरकार वित्तीय संकट में फंस गई है. गल्फ न्यूज के मुताबिक, ‘इस कदम से सरकार की आमदनी बढ़ेगी. लेकिन इसके साथ ही सऊदी में काम करने का खर्च भी बढ़ जाएगा.’

सऊदी अरब में काम करने वाली कंपनियां फिलहाल अप्रवासी कर्मचारियों का शुल्क कवर करने के लिए हर महीने 200 सऊदी रियाल खर्च करती हैं. यह शुल्क उन कंपनियों पर लगता है जहां घरेलू कर्मचारियों की संख्या विदेशियों के मुकाबले ज्यादा है.

भारतीयों पर बढ़ेगा बोझ

इस हिसाब से अगर किसी के परिवार में एक वाइफ और दो बच्चे हैं तो उसे 3600 रियाल (62,000 रुपए) एडवांस टैक्स के तौर पर चुकाना होगा. इस टैक्स की वजह से लोगों पर अचानक खर्च का बोझ बढ़ गया है. ऐसे में वहां रहने वाले भारतीयों के पास अपने परिवार के सदस्यों को वापस भेजने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. इस मामले में अप्रवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने वाले भीम रेड्डी मंढा ने कहा कि कई लोग पहले ही अपने परिवार को देश वापस भेज चुके हैं.

एक देश जहां टैक्स नहीं लगता

सऊदी अरब एक ऐसा देश है जहां कोई इनकम टैक्स नहीं लगता है. पूरा देश से सिर्फ पेट्रोलियम से होने वाली आमदनी से ही चलता है. यह सऊदी अरब की आमदनी का अकेला स्रोत है. iExpats.com के मुताबिक इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) ने गल्फ देशों पर टैक्स लगाने का सुझाव दिया था. आईएमएफ ने कहा था कि लगातार पेट्रोल की गिरती कीमतों के कारण सरकार पर जो असर पड़ रहा है उसे कम करने के लिए अप्रवासी भारतीयों पर टैक्स लगाने की जरूरत है. फिलहाल वहां न तो देश के लोग और न ही विदेश के लोग इनकम टैक्स देते हैं. यह सिस्टम आगे भी बरकरार रहेगा.

सऊदी अरब क्यों है पहली नौकरी करने वालों की पहली पसंद?

नौकरी का तलाश में भारत से सबसे ज्यादा लोग सऊदी अरब ही जाते हैं. सऊदी में सभी कामगारों के लिए एक समान नियम है, फिर चाहे वो देश का हो या विदेशी. सबके लिए एक समान कानून हैं. वहां एक साथ 5 घंटे से ज्यादा काम नहीं कराया जा सकता है. भारत से सबसे ज्यादा लोग यहां नौकरी के लिए आते हैं. फिलहाल 41 लाख भारतीय सऊदी अरब में काम कर रहे हैं.