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क्यों सऊदी के लोग शाही शादियों की जगह कम खर्च वाली शादियां कर रहे हैं?

सऊदी अरब के शाही लोग अब पारिवारिक परंपराओं और सामाजिक दबाव को साइड करके शादियों की मेजबानी अपने घर में ही कर रहे हैं. वो भी कम से कम खर्च और कम से कम गेस्ट की मौजूदगी में

FP Staff

हमारे देश की शादियां कुछ ऐसी होती हैं कि गरीब से गरीब शख्स भी कर्ज लेकर शादी में लाख दो लाख रुपए खर्च कर ही देता है. मिडल क्लास और अमीर लोगों की बात ही कुछ और है. यहां सोशल स्टेटस एक बड़ा फैक्टर है. बात अगर इन शादियों में पहुंचने वाले गेस्ट की लिस्ट की करें तो ये इतनी लंबी होती हैं कि पढ़ते-पढ़ते बीच में आपकी सांसे फूल जाए. लेकिन बात हमारे देश की शादियों की नहीं हो रही. बात हो रही है सऊदी अरब में होने वाली शाही शादियों की. शाही शादियां यानी अरबों-खरबों रुपए, हजारों गेस्ट, सबकुछ बिल्कुल रॉयल, लेकिन सऊदी की ये शाही शादी थोड़ी अलग है.

न्यूज 18 के अनुसार बसिल अल्बानी जैसे सऊदी अरब के शाही लोग अब पारिवारिक परंपराओं और सामाजिक दबाव को साइड करके शादियों की मेजबानी अपने घर में ही कर रहे हैं. वो भी कम से कम खर्च और कम से कम गेस्ट की मौजूदगी में.


26 वर्षीय बीमा कार्यकारी की हालिया शादी में दो दर्जन से भी कम करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों को आमंत्रित किया गया था. अपने पैतृक घर में आयोजित की गई इस शादी में खाने में एक पारंपरिक चावल और मीट डिश - कबासा शामिल था. सऊदी अरब में होने वाली शाही शादियों के मानकों पर यह कहीं भी खरा नहीं उतरता.

सोने से सजे दूल्हे के 21 वर्षीय भाई मान अल्बानी ने कहा, 'लोग शादियों के नाम पर पागल हो जाते हैं, सैकड़ों मेहमानों को आमंत्रित करते हैं और एक रात में लाखों खर्च करते हैं. हम घर पर एक छोटी सी पार्टी के साथ कुछ अलग करना चाहते थे'.

शाही शादियों के लिए जाना जाता है सऊदी

दुनिया में सबसे अधिक अमीर परिवार सऊदी अरब में ही रहते हैं. लेकिन इन दिनों युवा बेरोजगारी के बीच भारी सब्सिडी की कटौती, एक नया वैल्यू-ऐडेड टैक्स जैसी चीजों के कारण सऊदी के लोगों की आय में कमी देखी जा रही है. जिसके बाद विशेषज्ञों ने ये ऑब्जर्ब किया है कि यहां के लोगों की जीवन शैली में गिरावट आई है.

कभी टैक्स फ्री रहे इस देश में युवा बेरोजगारी की समस्याएं क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के लिए नई चुनौतियां लेकर आई हैं. यहां तक कि इसका असर सऊदी के वेडिंग (शादी-ब्याह) मार्केट पर भी हुआ है.

पिछले साल कहा गया था कि अरब देशों में शादी का वार्षिक खर्च दो अरब रियाल (533 मिलियन डॉलर, 466 मिलियन यूरो) से अधिक है. एक आंकड़े के मुताबिक अब यहां की शादियों में होने वाले खर्च में 25 प्रतिशत की गिरावट आई है. रियाद में शादी के निमंत्रण कार्ड के एक विक्रेता ने कहा कि अभी हमारे व्यापार में 70 प्रतिशत की गिरावट आई है, क्योंकि कई ग्राहक सस्ती कीमतों पर महंगे डिजाइन की मांग करते है.

सऊदी अरब के कई परिवार अब भी सामाजिक दवाब में शाही तरीके से शादियां करा रहे हैं. गरीब से गरीब परिवार वाले भी इस दबाव में बैंक लोन लेकर भव्य शादियां कर रहे हैं. वहीं कई अरबपति परिवार अब शाही शादी का आइडिया ड्रॉप कर के छोटा फंक्शन रखना पसंद करते हैं.