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अमेरिका के मध्यावधि चुनावों में भारतीय मूल के लोगों पर नजर

कारोबारी शिव अय्यदुराई अकेले ऐसे उम्मीदवार हैं जो सीनेट के लिए खड़े हैं. उनके खिलाफ निर्दलीय मगर मजबूत उम्मीदवार एलिजाबेथ वारेन हैं

FP Staff

इन दिनों अमेरिका में अप्रवासी लोगों के खिलाफ स्थानीय लोगों का गुस्सा अपने चरम पर है. लेकिन ऐसे समय में भी लगभग 100 भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों ने वहां की राजनीति में अपनी जगह बना ली है. ये लोग यूएम में होने वाले मध्यावधि चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं और इन्हें मजबूत उम्मीदवार भी माना जा रहा है.

हालांकि सभी लोगों की आंखें 'समोसा कॉकस' पर टिकी होंगी. समोसा कॉकस अमेरिकी कांग्रेस के पांच भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों का एक अनौपचारिक ग्रुप है. लेकिन फिर भी इतने भारी मात्रा में अमेरिकी राजनीति में भारतीय मूल के लोगों का आना साफ दिखाता है कि अब इन लोगों की इच्छाएं बढ़ती जा रही हैं.


भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा का कहना है कि अमेरिकी राजनीति में इतने सारे भारतीय मूल के लोगों को उभरते देखना अप्रतिम है. तीन बार के कांग्रेस सदस्य एमी बेरा भी इसका हिस्सा हैं. एमी कैलिफॉर्निया के सेवेन्थ डिस्ट्रिक्ट से उम्मीदवार हैं. वहीं तीन लोग ऐसे भी हैं जो दोबारा चुनाव में खड़े हुए हैं- कैलिफॉर्निया के 17th कांग्रेसियल डिस्ट्रिक्ट से रो खन्ना, इलिनोई के 8th कांग्रेसियल डिस्ट्रिक्ट से राजा कृष्णमूर्ति और वाशिंगटन के 7th कांग्रेसियल डिस्ट्रिक्ट से प्रमिला जयपाल.

इसमें से कारोबारी शिव अय्यदुराई अकेले ऐसे उम्मीदवार हैं जो सीनेट के लिए खड़े हैं. उनके खिलाफ निर्दलीय मगर मजबूत उम्मीदवार एलिजाबेथ वारेन हैं. वारेन मैसेच्यूसेट्स सीनेट सीट से डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावित उम्मीदवार हो सकती हैं.

डेमोक्रैटिक नेशनल कमिटि के प्रवक्ता जॉन सैंटोस के मुताबिक इस साल करीब 100 भारतीय मूल के अमेरिकियों ने सरकार के विभिन्न पदों पर अपनी दावेदारी दर्ज कराई.