view all

रोहिंग्याओं को वापस म्यामां भेजने पर अड़ा बांग्लादेश, नहीं जाना चाहते शरणार्थी

बांग्लादेश की योजना कुल 2,260 शरणार्थियों को अभी वापस देश भेजने की है

FP Staff

बांग्लादेश स्थित शिविरों में रहने वाले लाखों रोहिंग्या शरणार्थियों के वापस म्यामां जाने पर संदेह बना हुआ है क्योंकि उनमें से कोई अपने देश लौटना नहीं चाहता.

म्यामां में सेना की क्रूर कार्रवाई, हत्या, बलात्कार और आगजनी का मंजर देखने के बाद भागकर बांग्लादेश में शरण लेने वाले रोहिंग्या समुदाय के ये लोग वापस भेजे जाने की डर से इधर-उधर छुप गए हैं. इन सभी को संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी के बावजूद अधिकारी इन्हें वापस भेजने पर अड़े हुए हैं.


हालांकि, बांग्लादेश के शरणार्थी आयुक्त ने 150 रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले जत्थे को गुरुवार को वापस भेजने पर संदेह जताया है. उनका कहना है कि  बांग्लादेश की योजना कुल 2,260 शरणार्थियों को अभी वापस देश भेजने की है.

मोहम्मद अबुल कलाम ने ‘अल जज़ीरा’ से कहा, ‘यूएनएचसीआर के आकलन के अनुसार, जिन 50 परिवारों का साक्षात्कार किया गया, उनमें से कोई भी मौजूदा परिस्थितियों में वापस जाने को तैयार नहीं है. कोई भी अभी वापस जाने में सुरक्षित महसूस नहीं करता.’

कलाम ने हालांकि इस संबंध में कुछ नहीं कहा कि क्या गुरुवार को शरणार्थियों को म्यामां वापस भेजने की योजना रद्द कर दी गई है. उन्होंने कहा कि वो उन्हें उनकी इच्छा के खिलाफ वापस नहीं भेज सकते. उन्होंने अत्याचार सहा है तो साफ है कि उन्हें ऑफिस जाने में डर लग रहा है.

पिछले साल अगस्त में सेना की क्रूर कार्रवाई के बाद 7,20,000 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों ने बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में पनाह ली थी. उनमें से अधिकतर मुसलमान हैं. संयुक्त राष्ट्र ने इसे ‘एथनिक क्लीनजिंग’ करार दिया है.

अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, जबरदस्ती म्यामां भेजे जाने के डर से पास के जंगलों में छिप गए हैं. एक 43 साल के शरणार्थी फोयाज़ुल्लाह ने बताया कि लोग म्यामां नहीं जाना चाहते. कैंप में जो भी इंचार्ज हैं, वो यहां लोगों का शोषण कर रहे हैं. इसलिए कई परिवार कैंपों से भागकर पास के जंगलों में छुप गए हैं.

(एजेंसी इनपुट के साथ)