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चीन: नाकाम हो सकता है दंपतियों का दो बच्चे पैदा करने का अधिकार

चीन के अर्थशास्त्रियों को आशंका है कि देश अमीर बनने से पहले बूढ़ा हो जाएगा

Bhasha

दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने पर दशकों पुरानी रोक से छूट देकर उम्रदराज हो रही आबादी की परेशानी से निपटने के चीन के कदमों में अप्रत्याशित बाधा आ रही है. दरअसल चीन के कई माता-पिता की अब और बच्चे पैदा करने में रुचि नहीं है.

सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह अपनी नीति वापस लेगी जिसमें कड़े जुर्माने और कई बार गर्भपात और नसबंदी कराने के लिए मजबूर करके प्रत्येक परिवार में बच्चों की संख्या पर सीमा तय की गई है. दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश ने 1979 में एक बच्चे की नीति पेश की थी. इसके बाद 2016 में बच्चों की संख्या दो तक कर दी थी क्योंकि देश की आबादी में 1.4 अरब लोग बुजुर्ग थे.


वित्तीय बोझ के कारण नहीं चाहते बच्चे

विशेषज्ञों ने कहा कि दंपति अब एक बच्चा पैदा करने में भी देरी कर रहे हैं क्योंकि वे अपना करियर बनाने जैसे अन्य लक्ष्यों में ज्यादा समय दे रहे हैं. चीन में बच्चे की परवरिश करने में आने वाला खर्चा भी लोगों को और बच्चे पैदा करने से रोक रहा है.

उत्तर पूर्वी शहर डालियन में एक मां ने कहा, ‘कई लोग दूसरा बच्चा चाहते हैं लेकिन सबसे बड़ी समस्या वित्तीय बोझ है.’ वह दूसरा और यहां तक कि तीसरा बच्चा चाहती हैं लेकिन खर्च से हिचक रही हैं. चीन कि आबादी एवं विकास शोध केंद्र के लियू होंग्यान ने कहा, ‘परिवार नियोजन नीति को रद्द करने का मतलब होगा कि दंपतियों और परिवारों के पास यह अधिकार होगा कि कितने बच्चे चाहिए.’

अमीर बनने से पहले बूढ़ा हो जाएगा चीन

आधिकारिक शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया कि देश की जनसांख्यिकीय स्थिति में बदलावों के कारण मसौदा कानून से परिवार के आकार पर नियमन को बाहर रखा गया है. अर्थशास्त्रियों को आशंका है कि देश अमीर बनने से पहले बूढ़ा हो जाएगा. विश्व बैंक के अनुमान के मुताबिक, 60 से अधिक की उम्र की आबादी का अनुपात 2015 में 15 फीसदी से बढ़कर 36.5 फीसदी तक पहुंच जाएगा.