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राहुल का पीएम मोदी पर वार: रोजगार नहीं दे सकते तो विजन क्या देंगे

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल दो हफ्तों के लंबे अमेरिका दौरे पर हैं. उन्होंने न्यू जर्सी में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया

FP Staff

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल दो हफ्तों के लंबे अमेरिका दौरे पर हैं. उन्होंने न्यू जर्सी में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया. इस दौरान राहुल गांधी ने पीएम मोदी के मेक इन इंडिया को लेकर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का मेक इन इंडिया प्रोग्राम का ध्यान बड़े बिजनेस की बजाए छोटे बिजनेस को प्रमोट करने पर केंद्रित होना चाहिए. देश में राजनीति के मौजूदा माहौल को लेकर राहुल ने कहा, राजनीतिक प्रणाली का केंद्रीयकरण आज भारत की मुख्य समस्या है. और पारदर्शिता लाने की जरूरत है.

राहुल ने देश में बेरोजगारी को लेकर कहा, मुख्य सवाल ये है कि भारत अपने लोगों को नौकरी कैसे देता है. अगर आप, एक मॉडर्न देश होने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दे पा रहे हैं, तो उन्हें विजन देना मुश्किल है. हर दिन करीब 30 हजार युवा जॉब मार्केट में आते हैं. लेकिन आज 450 जॉब्स ही मुहैया कराई जा रही है. बेरोजगारी देश के विकास के बीच में आने वाले प्रमुख खतरों में से एक है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत और चीन के प्रदर्शन से यह निर्धारित होगा कि दुनिया आधारभूत रूप से किस तरह नया रूप लेगी. प्रिंसटन विश्वविद्यालय में छात्रों से रूबरू होते हुए राहुल गांधी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच 'गहरा तालमेल' है. बड़ी संख्या में दो तरह का प्रवास हो रहा है. पहला पूरी तरह स्वतंत्र है और दूसरा पूर्णत: नियंत्रित. प्रशासन का ताना बाना इससे अलग-अलग तरीके से निपटता है.

राहुल ने कहा, भारत और चीन दो बड़े देश हैं जो खेती करने वाले देशों से आधुनिक शहरी मॉडल देश बन रहे हैं और यह विश्व जनसंख्या का बड़ा हिस्सा है. कैसे ये दोनों देश मूल रूप से दुनिया को नया आकार देने जा रहे हैं. मुझे यह नहीं कहना कि चीन लोकतांत्रिक है या नहीं. उन्होंने अपना रास्ता चुना है और हमने अपना रास्ता चुना है. दुनिया के दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों के बीच सहयोग और प्रतिस्पर्धा है. हमें यह देखना है कि कैसे हम रोजगार लाएं. असल में हमें चीन से मुकाबला करना है.

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि चीन वन बेल्ट, वन रोड (ओबीओआर) परियोजना के जरिए अपना रास्ता बना रहा है. चीन की दुनिया की तरफ एक खास दूरदृष्टि है. यह बहुत स्पष्ट है. उनके नजरिए से यह बहुत शक्तिशाली दूरदृष्टि है. गांधी ने भारत को लेकर कई सवाल उठाए. उन्होंने कहा, क्या भारत के पास भी ऐसी ही दूरदृष्टि है? वह दूरदृष्टि कैसी है? हमारे और उनके बीच कितना सहयोग होने जा रहा है? ये कुछ मूल सवाल हैं. लेकिन जिस बात का पता होना चाहिए वह है कि चीन असीम शक्ति के साथ आगे बढ़ रहा है और हमें इसके साथ काम करना है.

कांग्रेस नेता ने कहा कि रोजगार उत्पन्न करने और शिक्षा के क्षेत्र में अमेरिका और भारत के बीच सहयोग के लिए बहुत संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि दोनों देशों के बीच गहरा तालमेल है. ऐतिहासिक रूप से भारत ने संबंधों में संतुलन बनाए रखा है. भारत के चीन और रूस से भी संबंध रहे हैं. उसके अमेरिका और दोनों देशों से संबंध रहे हैं. मेरे लिए अमेरिका के साथ कूटनीतिक संबंध महत्वपूर्ण है. गांधी ने अन्य सभी देशों के साथ संबंधों में संतुलन बनाए रखने की जरुरत पर जोर दिया.

(इनपुट एजेंसियों से)