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एक तरफ ट्रंप एक तरफ मोदी क्या कहता है पाक मीडिया?

पाकिस्तानी उर्दू मीडिया को नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों ही कदम नागवार गुजरे हैं.

Seema Tanwar

एक तो अमेरिका में सात मुस्लिम देशों के लोगों के आने पर रोक लगाना और दूसरा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी दौरे की दावत देना. जाहिर है पाकिस्तानी उर्दू मीडिया को नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों ही कदम नागवार गुजरे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने एक अध्यादेश पर दस्तखत किए गए हैं जिसके मुताबिक सीरिया, इराक, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर फिलहाल 90 तक रोक रहेगी. इसी मुद्दे पर ‘रोजनामा दुनिया’ ने लिखा है कि पिछले चार-पांच दिन में ट्रंप ने जो फैसले किए, उनसे पता चलता है कि अमेरिकी जनता और बाकी दुनिया के अगले चार साल किस तरह गुजरने वाले हैं.


भावी नीति

अखबार की राय है कि अमेरिका ने जिन सात मुसलमान देशों के लोगों को अपने यहां आने से रोका है, उनकी जनता के दिलों में अमेरिका के लिए नफरत बढ़ेगी. अखबार का कहना है कि दीवारें चाहें वैचारिक हो या फिर सरहदों वाली, वे दूरियां ही बढ़ाती हैं, फासले ही पैदा करती हैं.

अखबार लिखता है कि ट्रंप के फैसलों का अमेरिकी जनता को कुछ समय के लिए तो फायदा हो सकता है, लेकिन आखिरकार इनकी वजह से अमेरिका दुनिया में अलग थलग पड़ जाएगा.

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वहीं ‘एक्सप्रेस‘ ने ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हुई टेलीफोन बातचीत पर टिप्पणी की है. अखबार लिखता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी दौरे की दावत देकर एशिया को लेकर अपनी भावी नीति साफ कर दी है.

अखबार के मुताबिक अमेरिकी विशेषज्ञों का ख्याल है कि भविष्य में चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके लिए आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में एक बड़ा खतरा बन सकता है और इसी बात को मद्देनजर रखते हुए अमेरिका भारत के साथ आर्थिक और रक्षा क्षेत्र में संबंध मजबूत करने का इच्छुक है.

अखबार की यह भी राय है कि जिस तरह ट्रंप अमेरिका फर्स्ट का नारा दे रहे हैं, उससे तंग आकर निवेशक अमेरिका से एशिया का रुख कर सकते हैं.

रोजनामा ‘इंसाफ’ ने ट्रंप पर लिखे अपने संपादकीय को शीर्षक दिया है- विश्व राजनीति के आकाश पर एक जुनूनी नेता.

 पानी आतंकवाद

वहीं ‘नवा ए वक्त’ ने जालंधर की एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री मोदी की कही इस बात पर तीखी टिप्पणी की है कि भारतीय नदियों का पानी भारत के किसानों को मिलेगा, पाकिस्तान को नहीं.

अखबार मोदी के इस बयान को पानी आतंकवाद करार देते हुए लिखता है कि कश्मीर पर कब्जा जमाने का भारत का मकसद यही है कि कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान आने वाली नदियों का पानी रोक कर पाकिस्तान को सूखे और अकाल के जरिए कमजोर किया जाए.

अखबार पाकिस्तान में कालाबाग बांध जैसे परियोजनाओं के सिरे न चढ़ने के भी भारत को ही जिम्मेदार बता रहा है. अखबार कहता है कि पाकिस्तान में अगर बांध बन जाएंगे तो भारत पाकिस्तान पर अपना पानी आतंकवाद नहीं थोप पाएगा.

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एक तरफ अखबार भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर पाकिस्तान में बांधों के निर्माण में बाधा पहुंचाने का आरोप लगाता है, तो वहीं कालाबाग डैम जैसी परियोजनाओं पर एकमत न होने के लिए पाकिस्तानी राजनेताओं को खूब खरी खोटी सुनाता है.

नए समीकरणों की आहट

जंग’ के संपादकीय पर नजर डालें तो क्षेत्र में उभरते हुए नए समीकरणों की आहट का पता चलता है. अखबार के मुताबिक इस्लामाबाद के दौरे पर आए ईरानी राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति संसदीय आयोग के प्रमुख अलवाइदीन बोरौजेर्दी ने चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान के बीच नए गठबंधन की पेशकश की है.

अखबार लिखता है कि ईरान की यह पेशकश नई संभावनाओं की निशानदेही करती है जो दुनिया में हो रही तब्दीलियों का नतीजा हैं.

वही ‘औसाफ’ ने अलवाइदीन बोरौजेर्दी की इस बात को प्राथमिकता दी है कि ईरान भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को खत्म करने में अपनी भूमिका निभाने को तैयार है.

अखबार के मुताबकि यह सच है कि भारत के साथ ईरान के अच्छे संबंध है और अगर ईरानी नेतृत्व इस बारे में भारत के साथ बात करता है तो यह अच्छी बात ही होगी हालांकि ईरानी नेतृत्व को पाकिस्तान का यह सैद्धांतिक रूख मद्देनजर रखना होगा कि कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के अनुरूप होना चाहिए.

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इसके अलावा, ईरानी सांसद बोरौजेर्दी की तरफ से चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर परियोजना का समर्थन किए जाने को भी अखबारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है.