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ईरान ने आरोपों को बताया झूठा, अमेरिका से माफी मांगने को कहा

ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने बुधवार को कहा कि ईरान के लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के माफी मांगने का इंतज़ार कर रहें

FP Staff

ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने बुधवार को कहा ईरान के लोग अमेरिकी राष्ट्रपति के माफी मांगने का इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने देश के ऊपर झूठे और अपमानजनक आरोप लगाए हैं.

रोहानी ने एक न्यूज़ कॉन्फ्रेंस में कहा कि ट्रंप किसी भी बहाने से न्यूक्लियर एग्रीमेंट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं. इस समझौते को रूस, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का समर्थन है.


ईरान के राष्ट्रपति हसन रोहानी ने क्या कहा

रोहानी ने कहा कि अगर यूएस इस एग्रीमेंट से बाहर निकलता है तो ईरान हर वो विकल्प चुन सकता है जो देश के लिए फायदेमंद होगा. लेकिन उन्होंने ट्रंप के इस आरोप को निराधार बताया जिसमें ट्रंप ने कहा कि न्यूक्लियर डील ईरान द्वारा परमाणु हथियार के निर्माण पर पर्दा डाल सकता है.

रोहानी ने कहा कि ईरान को न तो कभी परमाणु हथियारों की चाह थी, न चाह है और न कभी रहेगी. परमाणु संवर्धन का विकल्प हमारे पास हो सकता है पर परमाणु बम का नहीं.

उन्होंने कहा कि ईरान के बुशेहर में स्थित परमाणु रिएक्टर के ईंधन की खरीद का 10 सालों का एग्रीमेंट खत्म होने को है इसलिए ईरान खुद संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन करना चाहता है ताकि ईंधन की ज़रूरतों को पूरा कर सके. पर कभी भी परमाणु हथियारों को बनाने मंशा ईरान की नहीं है.

ट्रंप ने यूएन महासभा में क्या कहा

ट्रंप ने यूएन महासभा में बोलते हुए विश्व के दूसरे देशों से अपील की थी कि ईरान के मौत और विनाश के खेल को खत्म करने के लिए वो अमेरिका के साथ आए. ट्रंप ने कहा कि ईरान तेल से मिलने वाले पैसों से हिजबुल्ला और अन्य आतंकवादी संगठनों को पैसै देता है जिसकी मदद से ये संगठन अरब और पड़ोसी इजराइल में आक्रमण करते हैं और मासूम मुसलमानों को मारते हैं.

परमाणु समझौते के बारे में उन्होंने कहा कि यह अमेरिका के लिए शर्म की बात है और इस बात के संकेत दिए कि अमेरिका इस समझौते से अलग होगा. इस समझौते को JCPOA के नाम से जाना जाता है.

जब रोहानी से पूछा गया कि क्या उनकी सरकार परमाणु समझौते से अलग दूसरे मुद्दों पर ट्रंप से बात करना चाहेगी तो उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका JCPOA समझौते को तोड़ता है तो न सिर्फ मेरी सरकार बल्कि भविष्य में आने वाली सरकारें भी परमाणु मुद्दे के अलावा किसी भी मुद्दे पर अमेरिका से बात नहीं करेंगी. जिस सरकार को अतंरराष्ट्रीय समझौतों को तोड़ने में भी हिचक न हो उससे बात करना समय बर्बाद करने जैसा है.

अमेरिका क्यों तोड़ेगा न्यूक्लियर एग्रीमेंट 

उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका परमाणु करार को तोड़ता है तो अमेरिका के लोग खुद इसकी निंदा करेंगे और उसके पहले यूरोपियन यूनियन और विश्व के दूसरे देश इसकी निंदा करेंगे. और अगर अमेरिका को लगता है कि वो ऐसा करके ईरान के ऊपर दबाव बना लेगा तो ये उसकी बहुत बड़ी गलतफहमी है.

समझौते से अलग होने पर अमेरिका को रत्ती मात्र भी फायदा नहीं होगा इसके उलट विश्व में ईरान की स्थिति और ज़्यादा मजबूत होगी. जब पूछा गया कि क्या बिना यूएस के ये समझौता टिकेगा तो रोहानी ने कहा कि इस बात पर अभी चर्चा करना जल्दबादी होगी.

जब पूछा गया कि क्या ईरान आतंकवादी संगठनों को सहायता कर रहा है तो रोहानी ने कहा कि किस देश ने अलकायदा, तालिबान को बनाया और दूसरे इस्लामिक अतिवादी गुटों की सहायता की. जिस किसी की सेनाएं हमारे क्षेत्र में हैं, जिस किसी ने हमारे क्षेत्र में जंग छेड़ी और आतंकवादी संगठनों का समर्थन किया है उसे ईरान पर इस तरह का आरोप लगाने का अधिकार नहीं है.

(साभार: न्यूज 18)