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डोकलाम के बाद मोदी ब्रिक्स में लेंगें हिस्सा, शी जिनपिंग से करेंगे मुलाकात

सूत्रों के हिसाब से भारत आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता रख सकता है

Bhasha

भारत यहां ब्रिक्स सम्मेलन में आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता रख सकता है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस संगठन को शांति और सुरक्षा को अक्षुण्ण रखने में तथा वैश्विक चुनौतियों के समाधान में अहम योगदान देना है.

डोकलाम में भारत और चीन के बीच 73 दिनों से जारी टकराव के खत्म होने के महज कुछ दिन बाद ब्रिक्स सम्मेलन के वास्ते हो रही मोदी की चीन यात्रा के बीच अब सभी की निगाहें प्रधानमंत्री और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित द्विपक्षीय भेंटवार्ता पर टिकी हैं.


भारत और चीन द्वारा 28 अगस्त को विवादास्पद डोकलाम में अपने अपने सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाने का निर्णय करने के बाद ब्रिक्स का यह पहला सम्मेलन है जब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण कोरिया के नेता मिलेंगे.

सम्मेलन से पहले अपने एक महत्वपूर्ण बयान में शी ने कहा कि मतभेदों को दूर करने के दौरान एक दूसरे को समान समझना और और सहमति के बिंदु ढूंढना ब्रिक्स की पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग के लिए अहम हिस्सा है.

प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार से जब पूछा गया था कि क्या मोदी और शी के बीच द्विपक्षीय भेंटवार्ता होगी तो उन्होंने कहा था कि बहुपक्षीय मंचों के मौके पर ऐसी बैठकें होना आम परिपाटी है.

जब उनसे चीन की इस टिप्पणी के बारे में पूछा गया कि ब्रिक्स सम्मेलन में पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक रिकार्ड की चर्चा करना उपयुक्त नहीं होगा, उन्होंनें कहा कि वह पहले से यह तय नहीं कर सकता कि मोदी सम्मेलन के सीमित और पूर्ण सत्र के दौरान क्या बोलें.

आतंकवाद पर भारत का रुख

लेकिन प्रवक्ता ने कहा कि आतंकवाद पर भारत का रुख बड़ा स्पष्ट रहा है और वह विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर यह मुद्दा उठाता रहा है.

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने सम्मेलन से पहले कहा था, 'हमने नोटिस किया कि जब भी पाकिस्तान का आतंकवाद निरोधक विषय आता है तो भारत की कुछ चिंता रहती है. मैं नहीं समझती कि यह ब्रिक्स सम्मेलन में चर्चा करने का उपयुक्त विषय है.' सूत्रों के हिसाब से भारत आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता रख सकता है.

कल मोदी ने एक बयान में कहा था, 'भारत ब्रिक्स की भूमिका को बहुत महत्व देता है जिसने प्रगति एवं शांति के लिए अपनी साझेदारी का दूसरा दशक शुरु किया है. ब्रिक्स को वैश्विक चुनौतियों के मसाधान में तथा वैश्विक शांति एवं सुरक्षा अक्षुण्ण रखने में अहम योगदान देना है.' पिछले ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान को वैश्विक आतंकवाद की जननी करार दिया. पिछला सम्मेलन भारत में हुआ था.

प्रधानमंत्री ने उसके लिए आतंकवाद के धनस्रोत, हथियार आपूर्ति, प्रशिक्षण एवं राजनीतिक समर्थन को व्यवस्थित ढंग से समाप्त करने जैसे निर्णायक कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि इस बुराई से निबटने की चुनिंदा पहल न केवल व्यर्थ बल्कि महंगा भी पड़ेगा.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा था कि वह पांच सितंबर को शी की मेजबानी में हो रहे उभरते बाजार एवं विकासशील देश वार्ता में ब्रिक्स के सहयोगियों समेत नौ अन्य देशों के नेताओं के साथ संवाद को लेकर आशान्वित हैं.

उन्होंने कहा, 'हम ब्रिक्स व्यापार परिषद के साथ भी संवाद करेंगे. इस परिषद का प्रतिनिधित्व सभी पांचों देशों के उद्योग जगत के प्रतिनिधि करेंगे.'