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मालदीव में राजनीतिक संकट गहराया, कोर्ट ने भारत से मदद मांगी

रविवार को सुरक्षाकर्मियों ने मालदीव के संसद को सील कर दिया. इसके अलावा दो विपक्षी सांसदों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है

FP Staff

मालदीव के ताजा राजनीतिक संकट के बाद वहां सैनिक शासन का खतरा मंडराने लगा है. राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का आदेश मानने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद वहां सेना को हाईअलर्ट पर रखा गया है.

रविवार को सुरक्षाकर्मियों ने मालदीव के संसद को सील कर दिया. इसके अलावा दो विपक्षी सांसदों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. मालदीव में अब्दुल्ला यामीन के खिलाफ सड़कों पर उतरकर लोग भारी विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं.


इस बीच, संकट को सुलझाने के लिए भारत से भी मदद मांगी गई है. हालांकि भारत की ओर से अब तक कोई अधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन पूरे घटनाक्रम पर भारत की नज़र है.

शुक्रवार को मालदीव की सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद पर चल रहे मुकदमे को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने कैद किए गए विपक्ष के 9 सांसदों को रिहा करने का भी आदेश जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा कि असंतुष्टों को जरूर रिहा किया जाना चाहिए क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा राजनीति से प्रेरित और त्रुटिपूर्ण था.

कोर्ट ने कहा, ‘आदेश का पालन हो जाने और कैदियों को रिहा कर दिए जाने के बाद उनके खिलाफ दोबारा मुकदमा चलाने से महाभियोजक को कुछ भी नहीं रोकता है.’

'राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध' 

रविवार को नेशनल टेलीविजन पर दिए गए अपने संदेश में अटॉर्नी जनरल मोहम्मद अनिल ने कहा कि सरकार इस आदेश को मानने से इनकार करती है. अनिल ने कहा, ‘राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने का सुप्रीम कोर्ट का कोई भी फैसला असंवैधानिक और अवैध है. इसलिए मैंने पुलिस और सेना से कहा है कि किसी भी असंवैधानिक आदेश का अनुपालन न करें.’

श्रीलंका और मालदीव के लिए अमेरिकी राजदूत अतुल केशप ने अदालत के आदेश का पालन करने से मना करने के लिये सरकार की आलोचना की. पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने के सरकार के फैसले को ‘बगावत’ करार दिया है.