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नेपाल भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति में सबसे पहले आता है: मोदी

पीएम मोदी ने जनसभा में कहा, भारत-नेपाल के बीच त्रेता युग से संबंध हैं. यहां प्रधान तीर्थ यात्री के तौर में आया हूं. भारत और नेपाल में राम-सीता का बंधन है

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में नेपाल सबसे पहले आता है. उन्होंने पावन नगरी जनकपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए के अनुदान की भी घोषणा की.

यहां बारहबीघा के मैदान में अपने सम्मान में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में मोदी ने कहा, ‘जब भी कोई समस्या हुई, भारत और नेपाल एक साथ रहे. हम सबसे कठिन दौर में भी एक दूसरे के लिए मुस्तैद रहे.’


वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद तीसरी बार नेपाल की यात्रा पर आए मोदी ने नेपाल को आश्वासन दिया कि वह भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में सबसे पहले आता है.

उन्होंने कहा कि दोनों पड़ोसी प्रगति और समृद्धि हासिल करने के लिए परंपरा, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और परिवहन के क्षेत्रों में काम कर सकते हैं.

बीसवीं सदी के प्रसिद्ध जानकी मंदिर में विशेष प्रार्थना करने वाले मोदी ने मिथिला के पौराणिक राजा जनक और अयोध्या के पौराणिक राजा दशरथ का स्मरण किया और कहा कि केवल जनकपुर और अयोध्या एक न हों बल्कि भारत और नेपाल भी एक हों. पीएम मोदी ने जनसभा में कहा, भारत-नेपाल के बीच त्रेता युग से संबंध हैं. यहां प्रधान तीर्थ यात्री के तौर में आया हूं. भारत और नेपाल में राम-सीता का बंधन है.

उन्होंने जनकपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों के विकास के लिए 100 करोड़ रुपए के अनुदान की घोषणा की. जनकपुर भगवान राम की पत्नी देवी सीता की जन्मस्थली के रुप में जाना जाता है.

अपने भाषण की शुरुआत मैथिली में करने वाले मोदी ने कहा कि उन्हें जनकपुर को रामायण सर्किट से जोड़ने पर खुशी है. उन्होंने कहा कि नेपाल के बिना हमारे राम अधूरे हैं. जनकपुर के बिना अयोध्या अधूरा है.

प्रधानमंत्री मोदी और उनके नेपाली समकक्ष के पी शर्मा ओली ने साथ मिलकर जनकपुर और अयोध्या के बीच सीधी बस सेवा का उद्घाटन किया. ये दोनों शहर हिंदुओं के लिए बहुत ही पावन समझे जाते हैं.

(भाषा से इनपुट)