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मोदी का अमेरिका दौरा: क्यों खास है ट्रंप-मोदी की पहली मुलाकात!

व्हाइट हाउस ने साफ किया है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद, न्यूक्लियर डील जैसे मुद्दों पर बात होगी

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज व्हाइट हाउस में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं. वह उनके साथ डिनर भी करने वाले हैं. यह मोदी और ट्रंप की पहली मुलाकात होगी जो कई मायनों में अहम मानी जा रही है.

मोदी दुनिया के पहले नेता होंगे जो व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ डिनर करेंगे. व्हाइट हाउस ने साफ किया है कि इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच आतंकवाद, न्यूक्लियर डील जैसे मुद्दों पर बात होगी.


क्या-क्या होगा इस मुलाकात में

ट्रंप सरकार के एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, 'व्हाइट हाउस मोदी के दौरे को खास बनाने की तैयारी कर रहा है. मोदी के लिए रेड कारपेट वेलकम होगा. दोनों नेता एक साथ डिनर करेंगे. ये व्हाइट हाउस में होने वाला वर्किंग डिनर होगा.'

उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं की वन-टू-वन मीटिंग होगी. इसमें करीब एक घंटे बाइलेटरल रिलेशन पर चर्चा होगी. इसके बाद प्रेस स्टेटमेंट जारी किया जाएगा. इसके बाद दोनों नेता कॉकटेल रिसेप्शन में शिरकत करेंगे और साथ में डिनर लेंगे. इस दौरान भी कई अहम मुद्दों पर लंबी बातचीत होगी.

इस मीटिंग के दौरान यूएस के वाइस प्रेसिडेंट माइक पेंस, नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर (एनएसए) लेफ्टिनेंट जनरल एचआर मैकमास्टर, विदेश मंत्री रैक्स टिलरसन, डिफेंस मिनिस्टर जेम्स मैटिस समेत कई आला अफसर मौजूद रहेंगे.

आइए जानते हैं क्यों अहम है ट्रंप और मोदी की यह मुलाकातः

1. तय होंगे दोनों देशों के बीच रिश्ते

इससे पहले मोदी और बराक ओबामा के बीच आठ मुलाकातें हुई थीं. इस दौरान मोदी ने चार बार अमेरिका का दौरा किया था. आखिरी बार मोदी जून 2016 में अमेरिका गए थे. तीन साल में मोदी का यह पांचवां यूएस दौरा है. ट्रंप से मुलाकात का नतीजा तय करेगा कि मोदी सरकार के अगले दो साल में दोनों देशों के रिश्ते किस तरह आगे बढ़ेंगे.

2. टिकी हैं दुनिया की नजरें

इस मीटिंग की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि यह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र यानी भारत के प्रधानमंत्री की दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र यानी अमेरिका के राष्ट्रपति से मुलाकात होगी. इस मुलाकात पर चीन, रूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, समेत कई देशों की नजरें हैं क्योंकि इस मुलाकात से कई चौंकाने वाले नतीजे निकल सकते हैं. इस मीटिंग के बाद चीन-पाकिस्तान बैकफुट पर जा सकते हैं, अफगानिस्तान को फायदा हो सकता है और रूस से हमारे रिश्तों की दिशा तय हो सकती है.

3. मोदी-ट्रंप की पहली मुलाकात

ट्रंप के प्रेसिडेंट बनने के बाद मोदी उनसे पहली बार मिलेंगे. इसकी अहमियत इसलिए और बढ़ जाती है क्योंकि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन में प्रेसिडेंट के साथ व्हाइट हाउस में डिनर करने वाले मोदी दुनिया के पहले लीडर होंगे. मोदी-ट्रंप कुल पांच घंटे एकसाथ रहेंगे.

इससे पहले, दोनों नेताओं के बीच तीन बार फोन पर बातचीत हुई है. नवंबर 2016 में ट्रंप की चुनावी जीत पर मोदी ने उन्हें फोन किया था. इसके बाद इस साल जनवरी में ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद मोदी ने उन्हें फोन पर बधाई दी थी. तीसरी बार ट्रंप ने मार्च में मोदी को फोन किया और यूपी समेत बाकी राज्यों में बीजेपी की जीत पर उन्हें बधाई दी.

4. किन मुद्दों पर होगी बात?

मोदी के व्हाइट हाउस पहुंचने के बाद डेलिगेशन लेवल की बातचीत होगी. इसमें भारत और अमेरिका की तरफ से 12-12 अफसर या नेता शामिल रहेंगे. इन तीन मुद्दों पर बातचीत पहले से तय है- एशिया-पैसिफिक रीजन और दुनिया में स्टेबिलिटी और सिक्युरिटी को मजबूत करना, टेररिज्म और इकोनॉमिक ग्रोथ.

मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान हुई इंडिया-यूएस सिविल न्यूक्लियर डील पर भी बातचीत होगी. हालांकि, आंध्र में छह पावर रिएक्टर बनाने के लिए एनपीसीआईएल और व्हाइट हाउस के बीच करार होने की उम्मीद नहीं है.

5. मोदी इस दौरे को किस तरह देखते हैं?

मोदी ने यूएस दौरे के बारे में फेसबुक पर लिखा कि वे ट्रंप के निमंत्रण पर वॉशिंगटन दौरे पर आए हैं. उन्हें उम्मीद है कि भारत-अमेरिका के बीच साझेदारी को और मजबूत बनाने के लिए चर्चा होगी.

6. ट्रंप क्या सोचते हैं?

मोदी के दौरे को ट्रंप कितनी अहमियत दे रहे हैं, ये इससे पता चलता है कि मोदी के अमेरिका पहुंचते ही ट्रंप ने अपने ऑफिशियल अकाउंट पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा- इंडियन पीएम मोदी के स्वागत के लिए व्हाइट हाउस तैयार है. अहम स्ट्रैटजिक इश्यूज पर अपने सच्चे दोस्त के साथ चर्चा होगी.

7. मोदी कहां ठहरे हैं?

मोदी के ठहरने का इंतजाम भी व्हाइट हाउस से महज 500 मीटर दूर 200 साल पुराने विलार्ड होटल में किया गया है.

8. क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

विदेश मामलों के एक्सपर्ट रहीस सिंह ने कहा कि मुमकिन है कि ट्रंप मोदी को चौंकाएंगे. वे पाकिस्तान को बैलेंस करने के लिए साउथ एशिया में भारत को अमेरिका का नया साझेदार करार देने का एलान कर सकते हैं.

एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट डायरेक्टर अनुभव गुप्ता का कहना है कि मोदी के यूएस दौरे का इससे सही वक्त नहीं हो सकता. मोदी के रूप में ट्रंप एक ऐसा नेता देख सकते हैं जिनके साथ वे वाकई जमीनी हकीकत पर काम कर सकते हैं.

यूएस के एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में एशियन सिक्युरिटी मामलों के डायरेक्टर लिंडसे फोर्ड कहते हैं कि मोदी के दौरे से ठीक पहले 22 ड्रोन भारत देने के प्रपोजल को मंजूरी और लॉकहीड मार्टिन का टाटा के साथ मिलकर डिफेंस सेक्टर का ज्वाइंट वेंचर करना, बड़े डेवलपमेंट्स का इशारा करता है.

अमेरिकन पॉलिटिकल एक्सपर्ट रिचर्ड एम. रोसो के अनुसार भारत-अमेरिका के रिश्तों में बीते छह महीनों में टकराव नजर आया है. ऐसे में मोदी-ट्रंप की 26 जून को होने वाली मुलाकात इसमें सुधार का एक मौका होगी.

एशिया सोसायटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में डायरेक्टर जैक्सन इविंग कहते हैं कि मोदी हर मौके पर यह साफ कर देते हैं कि उनका रुझान क्लीन एनर्जी पर है. इसके लिए उन्हें इंटरनेशनल सपोर्ट की जरूरत है. देखना होगा कि इस दौरे से उन्हें क्या हासिल होता है.

9. भारत-अमेरिका के सुधरते रिश्तों में किन 5 बातों ने अटकाया रोड़ा?

एनएसजी: देश के न्यूक्लियर रिएक्टर्स के लिए यूरेनियम की सप्लाई के लिए भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में एंट्री जरूरी है. ओबामा भारत का सपोर्ट करते रहे हैं. लेकिन ट्रंप के प्रेसिडेंट बनने के बाद अमेरिका की तरफ से कोई बड़ा बयान नहीं आया.

पॉलिसी: साउथ एशिया को लेकर अमेरिका की पॉलिसी साफ नहीं है. चुनाव के दौरान ट्रंप ने पाकिस्तान को मदद नहीं करने की बात कही थी, लेकिन चुनाव जीतते ही पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से कह बैठे कि पाकिस्तान एक सुलझा हुआ देश है.

एच1बी वीजा: 70% यह वीजा भारतीयों को ही मिलता है. इसके नियम सख्त हो चुके हैं. ट्रंप ने जब पाबंदी लगाई तो भारत की हैरानी लाजिमी थी.

भारतीयों पर हमले: ट्रंप जब चुनाव प्रचार कर रहे थे तब उन्होंने भारतीय मूल के लोगों को लुभाने के लिए उनकी तारीफ में कई बातें कहीं. लेकिन ट्रंप के आने के बाद से नस्लीय हमले भी बढ़ गए. भारतीय लोगों को सबसे ज्यादा और लगातार निशाना बनाया जाता रहा.

चीन: ट्रंप जब राष्ट्रपति बने तो भारत ने ओबामा की तरह उनसे भी यह उम्मीद थी कि वे चीन के मुद्दे पर भारत का हमेशा साथ देंगे. लेकिन उत्तर कोरिया के लगातार मिसाइल टेस्ट के बाद उपजे तनाव के बीच चीन-अमेरिका ने एक-दूसरे के सपोर्ट में बयान दिए.

10. मोदी के यूएस पहुंचने के बाद अब तक क्या हुआ?

मोदी ने रविवार को अमेरिका के टॉप 21 CEOs से मुलाकात की. इस राउंड टेबल मीटिंग में मोदी ने जीएसटी को गेम चेंजर बताते हुए कहा, 'पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है, हमारी सरकार ने 7000 रिफॉर्म्स किए हैं.'

जिन कंपनियों के CEOs से मोदी ने मुलाकात की, उनमें से 19 कंपनियों की मार्केट वैल्यू 210 लाख करोड़ रुपए यानी 210 ट्रिलियन डॉलर है.

इसके बाद वर्जीनिया में भारतीय समुदाय के बीच दिए स्पीच में कहा, 'पीएम बनने के बाद आपने मेरे लिए इतने बड़े प्रोग्राम किए कि दुनिया के लिए ये मेरी पहचान बन गए. हमारी सरकार पर 3 साल में कोई दाग नहीं लगा. पहले आतंकवाद की परेशानी को कोई मानने को तैयार नहीं था, लेकिन अब खुद आतंकियों ने कई देशों को इसे समझा दिया. दुनिया ने हमारी सर्जिकल स्ट्राइक की ताकत देखी, पर जिन्हें भुगतना पड़ा उन्हें छोड़कर किसी ने सवाल नहीं उठाए.'

साभार: न्यूज़18 हिंदी