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टेरर के खिलाफ 'न्यू इंडिया' और ‘ग्रेट अमेरिका' अगेन एकसाथ

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से ठीक पहले भारत को आतंकवाद के खिलाफ रणनीति में बड़ी कामयाबी मिली

Kinshuk Praval

‘सुपर’ प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता पीएम मोदी का इस्तकबाल किया वो इशारा नए दौर की दोस्ती में ‘हम साथ साथ’ का है. ये नया दौर आतंकवाद से जख्मी और त्रस्त है. ये नया दौर युवाओं के लिये रोजगार के अवसरों की तलाश का है. ये दौर पड़ोसी देशों के आक्रमक रवैये को जवाब देने का है. भारत को अमेरिका जैसे ही सहयोगी देश की नहीं बल्कि दोस्त की जरूरत है ताकि वो आतंकवाद के जख्म देने वाले गुनहगारों से हिसाब पूरा कर सके.

राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत की बेचैनियों और परेशानियों को पढ़ने-समझने में देर नहीं की तभी उन्होंने साफ कहा कि ‘इस्लामिक कट्टरता को नेस्तानाबूत कर देंगे'. मोदी और ट्रंप की बातचीत में आतंकवाद का मुद्दा प्राथमिकता में रहा. दोनों देशों ने आतंकवाद, चरमपंथ और धार्मिक कट्टरता से दुनिया में पैदा हुई चुनौतियों पर चर्चा की. न सिर्फ आतंकवाद से साथ लड़ने की सहमति बनी बल्कि आतंकियों के सुरक्षित पनाहगाहों को खत्म करने पर भी बात बनी.


पीएम मोदी ने 26/11 का जिक्र किया तो पठानकोट में हुए आतंकी हमलों की बात की. 26/11 के हमलों का मास्टरमाइंड आज भी पाकिस्तान में मौजूद है और भारत के तमाम सबूत देने के बावजूद पाकिस्तान ने कोई कार्रवाई नहीं की. लेकिन इस बार हालात पाकिस्तान के लिए बदले हुए हैं.

एक तरफ ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ नए रिश्तों की शुरुआत करते हुए दोनों देशों के संबंधों को अब तक का सबसे बेहतर बताया है तो वहीं दूसरी तरफ उन्होंने साझा बयान जारी करते हुए कहा है कि दोनों ही देश आतंकी संगठनों, कट्टरपंथी सोच को खत्म करने के लिये प्रतिबद्ध हैं.

मोदी-ट्रंप मुलाकात से पहले आतंकवाद पर बड़ी कामयाबी

प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात से ठीक पहले भारत को आतंकवाद के खिलाफ रणनीति में बड़ी कामयाबी मिली. भारत को दोस्ती का पहला तोहफा देते हुए अमेरिका ने हिजबुल आतंकी सैयद सलाहुद्दीन को ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में डाल दिया. इससे पहले ट्रंप के राष्ट्रपति बनने का ही दबाव था कि पाकिस्तान को हाफिज़ सईद को गिरफ्तार करना पड़ गया था.

अमेरिका के बदले हुए तेवर अब पाकिस्तान की परेशानियों का सबब बनना शुरू हो सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का पाकिस्तान में आतंकवाद के सुरक्षित ठिकानों को लेकर मिज़ाज बिगड़ चुका है. माना जा रहा है कि अफगानिस्तान पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को सबक सिखाने के लिए अमेरिका पूरी तैयारी कर चुका है. अमेरिका पाकिस्तान में मौजूद उन आतंकी संगठनों पर हमला करने की तैयारी में है, जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के खिलाफ आतंकी हमले करते हैं.

अमेरिका, पाकिस्तान में पनाह लिये आतंकी संगठनों पर ड्रोन हमले बढ़ा सकता है. अमेरिका के रणनीतिक विशेषज्ञों के मानना है कि पाकिस्तान में आतंकियों के सुरक्षित ठिकाने ही अफगानिस्तान में तालिबान को ताकत दे रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के लिये मुश्किल ये पैदा हो सकती है कि अमेरिका, पाकिस्तान के गैर नाटो सहयोगियों में दर्जा घटाने की भी सोच रहा है.

साउथ एशिया में भारत अमेरिका का मजबूत साझीदार

साफ है कि साउथ एशिया में अमेरिका, भारत को नए मजबूत साझीदार के रूप में भीतर से स्वीकार कर चुका है. चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती करीबी भी इसकी एक बड़ी वजह है. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप ने जिस तरह से इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ाई का एलान किया है उससे पाकिस्तान के लिये बुरे दिनों की शुरुआत हो सकती है.

ट्रंप प्रशासन पाकिस्तान के साथ एक नई नीति की तरफ देख रहा है, जिसमें पाकिस्तान से अपेक्षाओं को दो टूक स्तर पर बताया जाएगा. पाकिस्तान को अब या तो आतंकी समंगठनों की फंडिंग बंद करनी होगी या फिर अमेरिका उन आतंकी संगठनों से अपने तरीके से निपटने की तैयारी करेगा. ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति ट्रंप अब पाकिस्तान को मिलने वाली किसी भी तरह की आर्थिक मदद को बंद करने की भी तैयारी कर रहे हैं.

भारत की मोस्ट वांटेड लिस्ट को लेकर पाकिस्तान की चुप्पी ही उसके खिलाफ सबूत का काम करेगी. अंडरवर्ल्ड सरगना दाऊद इब्राहिम को लेकर पाकिस्तान का रुख ही उसकी कब्र खोदने का काम करेगा. ट्रंप-मोदी मुलाकात में डी-कंपनी का भी एक अध्याय था. हालांकि डी कंपनी पर शिकंजा कसने के लिये भारत-अमेरिका तीन साल पहले ही काम शुरू कर चुके हैं.

साल 2014 में पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देश 'डी-कंपनी' को मिल रही आर्थिक और राजनीतिक मदद बंद करने के लिये मिलकर काम करेंगे.

साफ है कि पाकिस्तान के आतंकी मंसूबों को भारत अपनी कूटनीतिक कामयाबी से करारा जवाब दे चुका है. अब दाऊद इब्राहिम, सैयद सलाहुद्दीन, जकीउर रहमान लखवी, हाफिज़ सईद जैसे मोस्ट वांटेड आतंकियों को पाकिस्तान के लिये पनाह देना मुश्किल होगा. क्योंकि अमेरिका भारत के साथ रिश्तों को मजबूत करने के लिये उत्सुक है लेकिन भारत की शर्त सिर्फ और सिर्फ आंतकवाद को लेकर साफ है.

भारत-अमेरिका रिश्तों का बेहतरीन दौर

मोदी की अमेरिकी यात्रा से ऐन पहले अमेरिका ने भारत को 22 गार्जियन ड्रोन बेचने को मंजूरी दी है. भारत और अमेरिका के बीच इस हाई टेक टोही विमान की पहली डील है. इस डील से साबित होता है कि अमेरिका भारत के साथ रिश्तों को गहरा करने के लिये कितना गंभीर है.

राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी के अमेरिका पहुंचते ही अपने ऑफिशियल अकाउंट से ट्वीट किया था – ‘इंडियन पीएम मोदी के स्वागत के लिये व्हाइट हाउस तैयार . अहम स्ट्रैटजिक इश्यूज़ पर अपने सच्चे दोस्त के साथ चर्चा होगी’.

ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति रहते पहली बार किसी राष्ट्र के प्रमुख को व्हाइट हाउस में डिनर पर इनवाइट किया था. ट्रंप प्रशासन ने व्हाइट हाउस के डिनर को स्पेशल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

ट्रंप ने कहा कि वो दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के नेता का स्वागत करते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं. ये गर्व भारत के लिये भी है कि अमेरिका अब भारत को न सिर्फ सम्मानित नजरों से देख रहा है बल्कि अपना महत्वपूर्ण साझीदार भी मान रहा है.

इस दोस्ती से चीन और पाकिस्तान साफ समझ सकते हैं कि साउथ एशिया में अपने नए साझीदार का अमेरिका एलान कर चुका है. खुद राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि वो भारत के साथ नए रिश्तों के आगाज़ को अंजाम तक पहुंचाएं.