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पेरिस जलवायु समझौता: ट्रंप के फैसले की दुनिया भर में आलोचना

जीन क्लाउड जंकर ने ट्रंप के फैसले को 'गंभीर रूप' से गलत करार दिया

Bhasha

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की साल 2015 में हुए पेरिस समझौते से अलग होने की घोषणा से यूरोपीय नेताओं और हरित समूहों में गुस्सा और निराशा है. ध्यान देने वाली बात है कि अमेरिका विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है.

लेकिन यूरोपीय नेताओं और हरित समूहों ने समझौते को बचाने और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई से कदम वापस नहीं लेने का भी संकल्प लिया.


यूरोपीय संघ के कार्यकारी आयोग के प्रमुख जीन क्लाउड जंकर ने ट्रंप के फैसले को 'गंभीर रूप' से गलत करार दिया.

इस संस्था में जलवायु कार्रवाई तथा ऊर्जा के आयुक्त मिगुएल एरियास कानेटे ने जलवायु परिवर्तन पर 'वैश्विक नेतृत्व' को जारी रखने का संकल्प लिया.

ट्रंप के फैसले का विरोध

उन्होंने गुरूवार को एक वक्तव्य में कहा, 'ट्रंप प्रशासन के एकतरफा फैसले पर यूरोपीय संघ को गहरा अफसोस है. इसका खामियाजा पेरिस समझौते को उठाना पड़ेगा. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक नेतृत्व के लिए दुनिया यूरोप पर भरोसा कर सकती है. यूरोप महत्वाकांक्षी जलवायु नीतियों में नेतृत्व करेगा और गरीबों तथा संवदेनशील समुदायों का समर्थन करता रहेगा.'

बर्लिन में चांसलर एंजेला मार्केल ने फैसले पर 'अफसोस' जताया और 'विश्व को बचाने वाली जलवायु नीतियों' को जारी रखने की अपील की है.

उनकी गठबंधन सरकार में सोशल डेमोक्रेटिक के सात मंत्रियों ने कहा कि अमेरिका 'अपना, हम यूरोपीय लोगों का और विश्वभर के लोगों का नुकसान कर रहा है.' फ्रांस में पेरिस सिटी हॉल ने भी ट्रंप की घोषणा को अस्वीकार करते हुए अपने भवन में हरी रौशनी कर विरोध का संकेत जताया.

पाओलो जेंटीलोनी का बयान

रोम में इटली के प्रधानमंत्री पाओलो जेंटीलोनी ने कहा कि उनके देश को जलवायु पर अपनी कार्रवाई से पीछे नहीं हटना चाहिए. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'हमें पेरिस समझौते से पीछे नहीं हटना चाहिए. इटली उत्सर्जन (कार्बन का) को कम करने, नवीकरणीय उर्जा तथा सतत विकास के प्रति दृढ़ संकल्पित है.'

पर्यावरण समूह क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क ने कहा कि समझौते को छोड़ने का मतलब है कि 'ट्रंप प्रशासन का वास्तविकता और बाकी की पूरी दुनिया से कोई सामंजस्य नहीं है.'

समूह ने कहा, 'दुर्भाग्य से इस विवेकहीन फैसले से सबसे पहले अमेरिकी जनता को नुकसान उठाना पड़ेगा. यह कदम उनके हितों मसलन उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा, खाद्य आपूर्ति, रोजगार और भविष्य के साथ पूरी तरह से खिलाफ है.'

एंतोनियो गुतारेस ट्रंप के फैसले से नाखुश

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पेरिस समझौते से अलग होने के फैसले पर नाखुशी जताई और उन्होंने कहा कि वह आश्वस्त है कि इस महत्वाकांक्षी समझौते के सभी अन्य पक्ष उत्सर्जन कम करने के अपने प्रयासों को जारी रखेंगे.

गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक द्वारा शुक्रवार को संवाददाताओं के सामने पढ़े गए बयान के मुताबिक, 'जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते से अमेरिका के अलग होने का निर्णय ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का प्रचार करने के वैश्विक प्रयासों के लिए बड़ी निराशा है.'

बहरहाल, ट्रंप पेरिस समझौते से अलग होने की प्रक्रिया में उलझे रहेंगे और अमेरिका नवंबर 2020 तक इस समझौते से पूरी तरह अलग हो पाएगा जिससे इस पर अंतिम फैसला अगले राष्ट्रपति चुनाव में अमेरिकी मतदाताओं पर निर्भर करेगा.

कानूनी मुद्दे पर कोई टिपण्णी नहीं

यह पूछने पर कि स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार अमेरिकी सरकार को इस समझौते से अलग होने में कितना समय लगेगा, इस पर दुजारिक ने कहा कि वह इस समय किसी भी कानूनी मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करेंगे. इस बात पर कि ट्रंप समझौते पर फिर से बात करने के लिए तैयार हैं, इस पर दुजारिक ने कहा कि यह इस समझौते में शामिल देशों पर निर्भर करेगा.

गुतारेस ने एक बयान में कहा कि दुनिया के सभी देशों ने पेरिस समझौते पर इसलिए हस्ताक्षर किए थे क्योंकि उन्होंने जलवायु परिवर्तन से हो रहे ‘अत्यधिक नुकसान’ को पहचाना.

गुतारेस ने इस पर जोर दिया कि यह ‘महत्वपूर्ण’ है कि अमेरिका पर्यावरणीय मुद्दों पर ‘नेता’ बना रहे और वह ‘एक सतत भविष्य का निर्माण करने के लिए अमेरिकी सरकार, अमेरिका और दुनियाभर के सभी तत्वों के साथ काम करने के लिए आशान्वित हैं.’

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निक्की हेली ने कहा कि जलवायु समझौते से अलग होने का निर्णय लेकर ट्रंप ने ‘एक ऐसे दोषपूर्ण समझौते से हटकर जो अमेरिकी रोजगारों पर बड़ा असर डालता है और एक नए समझौते के लिए दरवाजे खोलकर जिससे सही संतुलन बनता है’, अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ हित में काम किया है.

ओबामा ने की आलोचना

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते से अमेरिका को अलग करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले की निंदा की है.

उन्होंने ट्रंप की आलोचना करते हुए आगाह किया कि समझौते का पालन न कर अमेरिका भविष्य की पीढ़ियों के भविष्य को खारिज करेगा.

यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष जीन क्लॉड जंकेर ने ट्रंप के कदम को एक ‘गंभीर गलत फैसला’ करार दिया है.