पाओलो जेंटिलोनी इटली के नए प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. जनमत संग्रह में हार के बाद पीएम मेटियो रेंजी ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद इटली के राष्ट्रपति सर्जियो मेट्टेरेला ने जेंटिलोनी को नई सरकार बनाने का न्योता दिया है. मेटियो रेंजी की कैबिनेट में पाओलो जेटिलोनी विदेश मंत्री थे. मेटियो रेंजी ने जनमत संग्रह में हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था. जिसके बाद खाली पड़े पद के लिये पाओलो जेंटिलोनी के नाम पर सहमति बनी.
क्यों हुआ था जनमत संग्रह ?
संविधान संशोधन के लिये इटली में जनमत संग्रह हुआ था. 1948 में बने संविधान के संशोधन के लिये खुद मेटियो रेंजी ने ही पहल की थी. रेंजी संविधान में संशोधन करके ऊपरी सीनेट की शक्तियां कम करना चाहते थे. रेंजी संविधान में संशोधन कर ऊपरी सदन सीनेट के सदस्यों की संख्या 315 से 100 तक सीमित करना चाहते थे.
लेकिन रेंजी के संशोधन की मुहिम का विपक्ष कड़ा विरोध कर रहा था. विपक्ष का कहना था कि संशोधन कराना असंवैधानिक हैं. जिसके बाद संविधान संशोधन के मुद्दे पर रेफरेंडम का फैसला लिया गया.
जनमत संग्रह के क्या रहे नतीजे ?
जनमत संग्रह में करीब 70 फीसदी लोगों ने मतदान किया. करीब 60 फीसदी मतदाताओं ने संविधान संशोधन के विरोध में वोट डाला. जनमत संग्रह में रेंजी के पक्ष में 40.9% और विरोध में 59.1% वोट पड़े.
पाओलो जेंटिलोनी के पीएम बनने की राह कैसे बनी ?
जनमत संग्रह में मिली हार के बाद रेंजी ने इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया. इटली में फरवरी 2018 में चुनाव होने हैं. राष्ट्रपति पर नई सरकार बनवाने की जिम्मेदारी थी. अगर राष्ट्रपति मेट्टेरेला ऐसा नहीं कर पाते तो उन्हें फौरन इटली में चुनाव करवाने पड़ते.
क्या इटली में भी होगा ब्रेक्जिट पर रेफरेंडम ?
जानकारों के मुताबिक मध्यावधि चुनाव का सीधा फायदा ग्रीलो को मिलता जो कि यूरोपीय यूनियन से बाहर होने के पक्षधर हैं. ऐसे में यूरो के खात्मे, लीरा की वापसी और ब्रिटेन की तर्ज पर यूरोपीय संघ से अलग होने को लेकर जनमत संग्रह कराने की आशंकाए जोर पकड़ सकती हैं.
इससे पहले ब्रिटेन में यूरोपियन यूनियन से हटने के लिये रेफरेंडम किया गया था. ब्रेक्जिट के पक्ष में 52 फीसदी वोट डाले गए थे जिसके बाद यूरोपियन यूनियन से ब्रिटेन हट गया था, ब्रेक्जिट पर हुए रेफरेंडम के नतीजों के बाद डेविड कैमरून ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.
लेकिन फिलहाल पाओलो जेंटिलोनी के पीएम बनने से इटली में ब्रेक्जिट को लेकर कोई भी राय मार्च तक के लिये टल गई है.