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'भारत-अफगान की दोस्ती से जल रहा पाक, छेड़ रहा है छद्म युद्ध'

पाकिस्तान पड़ोसी देशों के खिलाफ, हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है

Bhasha

प्रतिष्ठित विशेषज्ञों ने अमेरिकी सांसदों को बताया है कि पाकिस्तान को अफगानिस्तान का भारत के साथ संबंध अस्वीकार्य है. इसलिए वह अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के लिए हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे संगठनों का इस्तेमाल कर रहा है.

पिछले हफ्ते कांग्रेस की एक सुनवाई के दौरान इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस पॉलिसी सेंटर, रैंड कॉरपोरेशन के निदेशक सेथ जोंस ने कहा, ‘अफगानिस्तान का सबसे मजबूत क्षेत्रीय सहयोगी भारत है और यह बात पाकिस्तान को अस्वीकार्य है. भारत एक शत्रु है जबकि अफगान सरकार भारत सरकार की एक सहयोगी है.'


कांग्रेस के सदस्य टेड पो के सवाल के जवाब में जोंस ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर जैसे स्थानों पर भारतीयों के खिलाफ और अफगानिस्तान में अपनी विदेश नीति के उद्देश्यों के आगे बढ़ाने के लिए पाकिस्तान ने छद्म युद्धों का इस्तेमाल किया है. यहां इसका अर्थ हक्कानी नेटवर्क और तालिबान जैसे संगठनों को सहयोग देने से है. इसलिए यह एक छद्म युद्ध है.'

आतंकवाद और परमाणु अप्रसार के मुद्दे पर बनी सदन की विदेश मामलों की उपसमिति द्वारा आयोजित एक सुनवाई में लॉन्ग वॉर जर्नल के संपादक बिल रोजियो ने कहा, 'पाकिस्तान सरकार अपनी नीति को जारी रखे हुए है. यह एक ऐसी नीति है, जो हर चीज को भारत से युद्ध के चश्मे से देखती है.’

रोजियो ने कहा कि दुर्भाग्यवश इनमें से कुछ जिहादी समूह भारत से लड़ने के लिए अफगानिस्तान में रणनीतिक पैठ बनाने के पाकिस्तान के प्रयासों का नतीजा हैं.

ये समूह वापस पाकिस्तान को ही डस रहे हैं. कई समूहों ने पाकिस्तान पर ही हमला बोला है.

उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्यवश पाकिस्तान इस बात को पहचानने में अक्षम दिखाई देता है, जबकि वह तालिबान में चल रही उठापटक अैर पाकिस्तान में चल रहे आंदोलनों से लड़ रहा है. वह लश्कर-ए-तैयबा और कई अन्य समूहों के साथ अपने संबंध तब भी जारी रखे हुए है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान की रणनीतिक पैठ को मजबूत बनाने के लिए तैयार हैं.’

रोजियो ने कह, 'जब तक पाकिस्तान सरकार, उसके नेता और उसका खुफिया समुदाय इसपर काबू नहीं पाता, तब तक यह समस्या दशकों तक बनी रहेगी.'