पाकिस्तान के नए-नवेले और मजबूर हालात में बने पीएम हैं शाहिद खकान अब्बासी. जब पाकिस्तान में नवाज़ शरीफ की पनामागेट मामले में शराफत उजागर हो गई तो शाहिद खकान अब्बासी ही पीएम की कुर्सी के लिए नवाज़ के भरोसेमंद साबित हुए. पीएम बनने के बाद उन्हें भी संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तानी सियासतदां के ‘सालाना उर्स’ में शामिल होने का मौका मिला.
अब्बासी ने संयुक्त राष्ट्र में अपने पहले भाषण में भारत पर आरोपों की झड़ी लगा दी. पाकिस्तान में खुद को ‘कुछ अलग हटकर’ पीएम दिखाने की ख्वाहिश में वो अलहदा तो नहीं हो सके अलबत्ता नई बोतल में पुरानी शराब की तरह ही भाषण पढ़ते दिखे. उन्होंने भी संयुक्त राष्ट्र में वही भाषण पढ़ा जिसे पहले नवाज़ शरीफ पढ़ते थे और उनसे पहले परवेज़ मुशर्रफ और बेनज़ीर भुट्टो ने कभी पढ़ा था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में उनके कश्मीर पर बोल फूटे और भारत पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया. दरअसल संयुक्त राष्ट्र के दरवाजे पर कश्मीर को लेकर पाकिस्तानी सियासदानों का झूठे बोल का सियासी इतिहास रहा है. कश्मीर उनकी राजनीति का न सिर्फ एक ‘सक्सेस फॉर्मूला’ है बल्कि वो इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ‘स्टेटस सिंबल’ भी समझते हैं. उन्हें ये मुगालता रहता है कि शायद कश्मीर का मुद्दा उठाने से उनकी एक संवेदनशील मुल्क की छवि बनती है.
लेकिन नए प्रधानमंत्री दो अलग-अलग बातें कह कर खुद ही बेनकाब हो गए. एक तरफ उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया तो दूसरी तरफ अन्य मंच से उन्होंने ये भी ऐलान कर दिया कि उनके पास भारत पर हमला करने के लिए छोटे परमाणु बम तैयार हैं.
पाकिस्तान बस यही गलती कर गया. नए प्रधानमंत्री पाकिस्तान के आतंकी इतिहास को नहीं झुठला सकते जो सबूतों की फेहरिस्त में उसे आतंकवादी देश घोषित करने से कुछ कदम दूर है.
भारत ने करारा जवाब देते हुए पाकिस्तान को 'टेररिस्तान' का नाम दे दिया. जिस देश से दुनिया के सबसे बड़े आतंकी संगठन के सरगना ओसामा बिन लादेन की पनाह का पर्दाफाश होता है और जो दुर्दांत आतंकी संगठनों को अपने यहां से ऑपरेट करता हो तो वो आतंक से पीड़ित मुल्क कैसे हो सकता है?
पाक पीएम भूल गए कि इसी संयुक्त राष्ट्र के मंच से भारत ने हाफिज़ सईद, सैयद सलाउद्दीन और मसूद अजहर जैसे वांछित आतंकवादियों की तिकड़ी पर बैन की मांग की थी. इन आतंकवादियों के ही संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन तीस साल से आईएसआई की मदद से भारत में हमलों को अंजाम देते आ रहे हैं. पाक प्रायोजित आतंकवाद ने भारत के खिलाफ छद्मयुद्ध छेड़ रखा है जिसका ताजा सबूत भारत की पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक है.
जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन ही कश्मीर के युवाओं को बरगला कर आतंकवादी बनाते हैं और पाकिस्तान उसे आजादी की लड़ाई बता कर संयुक्त राष्ट्र में घड़ियाली आंसू बहाता है.
हाफिज़ सईद को अमेरिका ने ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया है. अमेरिका ने 64 करोड़ रुपए का इनाम भी रखा है. यहां तक कि खुद पाकिस्तान ने भी हाफिज़ सईद को एंटी टेररिज्म एक्ट में शामिल करते हुए उसके आतंकवादी होने पर मुहर लगा दी है.
इसके बावजूद हाफिज़ सईद ने मिल्ली मुस्लिम लीग के नाम से एक राजनीतिक पार्टी बना ली है जो पाकिस्तान में चुनाव लड़ेगी. इसी तरह पाकिस्तान की जमीन पर पल रहे हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सैयद सलाउद्दीन को भी अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित किया हुआ है.
पाकिस्तान एक तरफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने खुद को आतंक से पीड़ित देश बता रहा है तो दूसरी तरफ वो अपने परमाणु बमों का खौफ भी इशारों में दिखा रहा है. पाक पीएम अब्बासी ने पाकिस्तान को एक जिम्मेदार परमाणु संपन्न राष्ट्र बताते हुए कहा कि उनका देश जानता है कि परमाणु बमों की हिफाज़त कैसे करनी चाहिए.
दरअसल ये बयान पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेलिंग का हिस्सा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से पाकिस्तान को हाल के महीनों में आतंकवाद के मुद्दे पर फटकार सुनाई है उससे पाकिस्तान को मिलने वाली भरपूर आर्थिक मदद पर बड़ा असर पड़ा है. पाकिस्तान चाहता है कि परमाणु बमों की सुरक्षा के नाम पर वो आतंकवाद का डर दिखाकर करोड़ों डॉलरों की अंतरराष्ट्रीय मदद हासिल करता रहे.
लेकिन पाकिस्तान अब बेनकाब हो चुका है. आज अमेरिका के लिए सिरदर्द बने उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक मुहैया कराने का पाकिस्तान पर ही आरोप है. खुद पाकिस्तान के परमाणु जनक अब्दुल कदीर खान ने ये माना था कि उन्होंने उत्तर कोरिया को चोरी छिपे परमाणु तकनीक बेची.
अब जबकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उत्तर कोरिया के प्रोलिफरेशन लिंकेज की जांच करने की बात की तो पाकिस्तान भारत पर ही चरमपंथी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा रहा है.
दुनिया के लिए उत्तर कोरिया की तरह ही पाकिस्तान बड़ा खतरा बन चुका है क्योंकि उसके परमाणु हथियारों पर इस्लामिक चरमपंथियों और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों की गिद्ध नज़र है. पाकिस्तान इसी का डर दिखाकर अमेरिका से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर सौदेबाजी करता आया है. उसकी हमेशा कोशिश रही है कि इस सौदेबाजी की आड़ में कश्मीर मसले को भी शामिल कर लिया जाए.
इसलिए पाकिस्तान का हर हुक्मरान अपनी बारी आने पर कश्मीर का सियासी कार्ड जरूर खेलता है. लेकिन वो ये भूल जाता है कि पाक अधिकृत कश्मीर और बलूचिस्तान में आजादी की मांग कर रही निहत्थी अवाम पर पाक सेना का इंतेहाई जुल्म दुनिया देख रही है.
दुनिया ये भी देख रही है कि किस तरह पाकिस्तान ने अपने यहां तालिबान के नेता मुल्ला उमर को भी शरण दी थी. आज उत्तर कोरिया अगर दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बना है तो उस खतरे को तैयार करने वाला भी पाकिस्तान ही है.