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पाकिस्तान आम चुनाव: वादे और दावे... कौन जीत रहा है इस बार?

इन चुनावों में लगभग 10 करोड़ 5 लाख लोग अपने मतदान का प्रयोग करेंगे. इनमें लगभग 5 करोड़ 92 लाख पुरुष और 4 करोड़ 67 लाख महिलाएं होंगी

FP Staff

पाकिस्तान में आम चुनाव की गहमागहमी जोरों पर है. इस महीने 25 जुलाई को यहां चुनाव होने हैं. चुनावी पार्टियां अपने मेनिफेस्टो भी जारी कर रही हैं. इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने सोमवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया. इसके पहले पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने अपना-अपना मेनिफेस्टो जारी किया था.

तीनों ही पार्टियों के मेनिफेस्टो को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली. सत्तारूढ़ पीएमएल-एन के मेनिफेस्टो की अलग खिंचाई हुई. मीडिया ने पार्टी की पुरानी और नई घोषणाओं की पूरी जन्मकुंडली निकाली और हिसाब लगाया कि सरकार अपने वादों में कितनी सच्ची रही है.


तब तक आप पाकिस्तान चुनाव के बारे में कुछ जरूरी जानकारियां पढ़ लीजिए.

- 25 जुलाई को आम चुनावों की वोटिंग होनी तय हुई है. 31 मई को सत्तारूढ़ पार्टी पीएमएल-एन की सरकार का कार्यकाल खत्म हो चुका है.

- फिलहाल पाकिस्तान में कार्यकारी सरकार कामकाज संभाल रही है.

- नवाज शरीफ को सत्ता से हटाने के बाद से देश में ये पहला चुनाव होने जा रहा है.

- पाकिस्तान के इस संसदीय चुनाव में बड़ी पार्टियां हैं- सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज पार्टी, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और बिलावल भु्ट्टो जरदारी की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी. इमरान खान और बिलावल भुट्टो दोनों ने ही चुनावी सरगर्मियां बढ़ा रखी हैं.

- इन चुनावों में लगभग 10 करोड़ 5 लाख लोग अपने मतदान का प्रयोग करेंगे. इनमें लगभग 5 करोड़ 92 लाख पुरुष और 4 करोड़ 67 लाख महिलाएं होंगी. पाकिस्तान चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, 85,000 पोलिंग स्टेशनों पर 2 लाख 85 हजार पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे. ज्यादा सेंसिटिव इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे.

अब असली सवाल- जीत कौन रहा है?

कई ओपिनियन पोल्स और सर्वे के मुताबिक, मुकाबला पीएमएल-एन और पीपीपी के बीच है. इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन रिसर्च के मुताबिक, संसदीय क्षेत्रों के हिसाब से पंजाब में पीएमएल-एन अच्छी पकड़ साबित कर रही है. पिछले अप्रैल और जून महीने के बीच में कराए गए सर्वे में यहां पीएमएल-एन की स्थिति यहां मजबूत हुई है. यहां 51 प्रतिशत वोटबैंक पीएमएल-एन के पक्ष में लगता है. लेकिन पीपीपी ने भी यहां अपनी स्थिति काफी मजबूत कर ली है. 2013 में पीपीपी को यहां 19 प्रतिशत वोट मिले थे लेकिन सर्वे में ये आंकड़ा 30 प्रतिशत तक पहुंचा है.

सिंध में पीपीपी वोटर्स की पहली पसंद है. वहीं, बलोचिस्तान में गैलप पाकिस्तान सर्वे, पल्स कंसल्टेंट और आईपीओआर ने पीएमएल-एन सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन पीटीआई ने यहां अपनी स्थिति मजबूत की है और दोनों पार्टियों का अंतर कम किया है.

लेकिन एक बड़ा फैक्टर है, जो इन आम चुनावों में बड़ा रोल निभाएगा. अनिश्चित वोटर गेम पलट भी सकते हैं. इस बार चुनावी रण में अनिश्चित या वोट न डालने का मन बनाने वाले पार्टियों के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं. 6 महीने पहले ऐसे लोगों की संख्या 10 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर विभिन्न सर्वे में 20 प्रतिशत तक हो गई है.