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इमरान खान की जीत पर क्या कह रहे हैं विदेशी अखबार

'द गार्डियन' ने लिखा, पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान को दूसरी पार्टियों का सहारा लेना पड़ेगा. इस बात की संभावना ज्यादा है कि कट्टर इस्लामी पार्टियां उन्हें समर्थन दें. ऐसी पार्टियां आगे चलकर समस्या बन सकती हैं

FP Staff

ब्रिटेन के मशहूर अंग्रेजी अखबार द गार्डियन ने इमरान खान की जीत पर लिखा है कि उन्हें अब पाकिस्तान की जनता को यह दिखाना चाहिए कि वे लायक, ईमानदार और भरोसेमंद विजेता हैं.

गार्डियन ने लिखा, पाकिस्तानी और यूरोपियन पर्यवेक्षकों ने चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और मीडिया की आजादी पर प्रश्न उठाया है. पिछले दरवाजे से सेना के नियंत्रण में चुनाव और मतदान केंद्रों पर धांधली की शिकायतों के बीच अब तक नतीजे घोषित न होना कई सवाल खड़ा करता है.


अखबार लिखता है कि पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान को दूसरी पार्टियों का सहारा लेना पड़ेगा. इस बात की संभावना ज्यादा है कि कट्टर इस्लामी पार्टियां उन्हें समर्थन दें. ऐसी पार्टियां आगे चलकर समस्याएं खड़ी कर सकती हैं.

द गार्डियन ने पाकिस्तान-अमेरिका संबंधों पर भी प्रकाश डाला है. अखबार लिखता है कि खान की जीत से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बड़ा बदलाव आ सकता है. खान का पाकिस्तान के आदिम इलाकों में अमेरिकी ड्रोन हमले का विरोध और वॉशिंगटन की क्षेत्रीय नीतियों की खिलाफत दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ा सकता है. ट्रंप प्रशासन की ओर से पाकिस्तानी सरकार पर आतंकियों को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए फंड रोकना भी संबंधों में बड़ा रोड़ा बनकर उभरा है. इतना ही नहीं, कई पाकिस्तानियों ने चीन के दमघोंटू संबंध पर भी सवाल उठाए हैं.

पाकिस्तान की राजनीति में कट्टरपंथियों और आतंकियों की भागीदारी पर पाकिस्तान के चर्चित अखबार द नेशन ने भी चिंता जताई है. अखबार ने लिखा है कि हाल के वर्षों में पाकिस्तानी राजनीति में चरमपंथियों की दखलंदाजी लोकतंत्र के लिए खतरा है. इसलिए भावी सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह नेशनल एक्शन प्लान (एनपीए) लागू कराए और देश को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से भी मुक्त कराए ताकि देश पर आतंकी गतिविधियों का लगा बदनुमा दाग धुल सके.

ब्रिटिश अखबार द इंडिपेंडेंट ने इमरान खान और सेना के गुपचुप गठजोड़ पर विस्तार से चर्चा किया है. अखबार लिखता है कि सेना की ओर से खान के पक्ष में वोटों की हेराफेरी कराने की खबरें हैं, यहां तक कि चुनाव से ठीक पहले नवाज शरीफ की गिरफ्तारी में भी सेना का हाथ सो सकता है. चुनाव के दौरान पीटीआई की तुलना में विपक्षी पार्टियों के खिलाफ जिस प्रकार के हमले हुए, उसमें भी सेना पर शक की सुई घुमती है.

अखबार के मुताबिक, इमरान खान अगर भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाते हैं, तो देश की अर्थव्यवस्था और गर्त में जाएगी. ऐसे में जो निवेश पाकिस्तान में जाना चाहिए, वह भारत की ओर मुड़ेगा. लिहाजा, देश की अर्थव्यवस्था जबतक पटरी पर नहीं लौटेगी, तबतक सार्वजनिक नवनिर्माण ढांचा, रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी समस्याएं सुलझाना मुश्किल है.