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पाकिस्तान में चुनाव प्रचार का शोर थमा, कड़ी सुरक्षा के बीच बुधवार को होगी वोटिंग

पाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार 25 जुलाई को होने वाले नेशनल असेंबली के लिए कुल 3,675 और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 8,895 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं

FP Staff

पाकिस्तान में कल यानी बुधवार को होने वाले नेशनल असेंबली और प्रांतीय चुनावों के लिए चुनाव प्रचार खत्म हो गया है. पिछले दो महीने से चल रहा चुनाव प्रचार का शोर सोमवार आधी रात को थम गया.

प्रचार के अंतिम दिन पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के मुखिया इमरान खान, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-नवाज) के शहबाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बिलावल भुट्टो ने देश में अलग-अलग जगहों पर ताबड़तोड़ जनसभाएं की. इस दौरान उन सबने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर लोगों से वोट करने की अपील करने को कहा.

रावलपिंडी के अडियाला जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल-एन और क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान की पार्टी पीटीआई के बीच चुनाव में कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. पाकिस्तान के अखबार डॉन द्वारा कराए गए सर्वेक्षणों के अनुसार इमरान खान की पार्टी के चुनाव जीतने की संभावना प्रबल है. अगर ऐसा होता है तो इमरान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का सपना सच हो सकता है. सर्वे के मुताबिक 2013 चुनाव में जिन लोगों ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को वोट दिया था, उनमें से 83.07 का मानना है कि पीटीआई इस बार चुनाव जीतेगी.

क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के लिए चुनाव मैदान में हैं (फोटो: रॉयटर्स)

इमरान खान इस बार 5 सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं. इमरान पंजाब प्रांत, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध प्रांत से चुनाव मैदान में हैं. वो कराची, लाहौर, रावलपिंडी, बन्नू और मियांवाली से चुनाव लड़ रहे हैं. वर्ष 2013 में हुए आम चुनाव में इमरान ने 4 सीटों से चुनाव लड़ा था.

कट्टरपंथी और धार्मिक पार्टियां भी हैं चुनाव मैदान में

पाकिस्तान चुनाव में कट्टरपंथी और धार्मिक पार्टियां भी मैदान में हैं. मुंबई आतंकी हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद की पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग (एमएमएल) ने भी अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतारे हैं. हाफिज का बेटा खुद भी इन चुनावों में उम्मीदवार है. इसके अलावा तहरीक-ए-लब्बैएक पाकिस्तान, अहल-ए-सुन्नत वाल जमात, मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमल जैसी पार्टियां भी चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. आशंका है कि जीतने के बाद संसद पहुंचने से पाकिस्तानी समाज में कट्टरता और धर्मांधता बढ़ेगी.

जानकारों का मानना है कि देश के सबसे बड़े प्रांत पंजाब को जीतने वाली पार्टी की ही अक्सर पाकिस्तान में सरकार बनती है. नेशनल असेंबली की कुल 272 सीटों में से 141 सीटें पंजाब प्रांत से आती हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. सैयद फारूक हसनत ने बताया, ‘जिस पार्टी को पंजाब में ज्यादा सीटें मिलेंगी वो केंद्र में सरकार बनाने में कामयाब होगा.’

अखबार डॉन के मुताबिक, इस बार का चुनाव अब तक का सबसे महंगा चुनाव है. चुनाव की पूरी प्रक्रिया में लगभग 2,364 करोड़ रुपए (440 अरब पाकिस्तानी रुपए) खर्च होने का अनुमान है. यह रकम 2013 में हुए आम चुनावों से 10 फीसदी अधिक है.

पाकिस्तान में 25 जुलाई को होने वाले चुनाव की तैयारी करते चुनावकर्मी (फोटो: रॉयटर्स)

पाकिस्तान चुनाव आयोग के अनुसार नेशनल असेंबली के लिए कुल 3,675 और प्रांतीय विधानसभाओं के लिए 8,895 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. 25 जुलाई को होने वाले चुनाव में ट्रांसजेंडर समुदाय के कम से कम 13 सदस्यों के भी चुनाव लड़ने की बात कही जा रही है.