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Pakistan Diary: पुलवामा पर ट्रंप का बयान पाकिस्तान की जीत है?

एक तरफ पाकिस्तानी अखबारों में चुनावी नजरिए से पुलवामा हमले का विश्लेषण जारी है, तो वहीं इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया को पाकिस्तानी अखबार अपने देश की जीत मान रहे हैं

Seema Tanwar

आजकल पाकिस्तानी उर्दू अखबारों के संपादकीय युद्धोन्माद से भरे हुए हैं और उल्टे युद्धोन्माद फैलाने के आरोप भारत पर लगाए जा रहे हैं. पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान पर फिर उंगली उठ रही है और इसी बात से वहां का मीडिया तिलमिला रहा है. एक तरफ पाकिस्तानी अखबारों में चुनावी नजरिए से इस हमले का विश्लेषण जारी है, तो वहीं इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया को पाकिस्तानी अखबार अपने देश की जीत मान रहे हैं. इस बीच, कुछ अखबार युद्ध से होने वाले विनाश की तरफ ध्यान दिलाकर अमन के रास्ते पर जोर दे रहे हैं. लेकिन शांति की राह अपनाने की सलाह सिर्फ भारत को दी जा रही है और पाकिस्तान को हमेशा की तरह 'अमन का मसीहा' करार दिया जा रहा है.

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भारत को झटका

रोजनामा जंग ने अपने संपादकीय की शुरुआत पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के एक बयान से की है, जो उन्होंने पिछले दिनों नियंत्रण रेखा के अपने दौरे के दौरान दिया था.  उन्होंने कहा था, 'पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है लेकिन हम किसी के खौफ या दबाव में नहीं आएंगे और किसी भी आक्रमण का जबाव उसी तीव्रता और भरपूर तरीके से दिया जाएगा.' अखबार में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता के इस बयान को भी तवज्जो दी गई है कि अगर पाकिस्तान पर हमला किया गया तो इस बार उसकी प्रतिक्रिया अलग होगी. सैन्य प्रवक्ता ने कहा, 'भारत हमें हैरान नहीं कर सकता, बल्कि हम उसे हैरान करेंगे.'

इसी के साथ अखबार ने एक अमेरिकी विशेषज्ञ का हवाला देते हुए लिखा है कि दक्षिण एशिया के परमाणु शक्ति संपन्न देशों में जंग उनकी लगभग 90 फीसदी आबादी को खत्म कर देगी. अखबार लिखता है कि भारत के लिए समझदारी इसी में है कि वह हमले की धमकियों को छोड़ कर विवादों को बातचीत से हल करने की राह अपनाए जिसके लिए पाकिस्तान हमेशा तैयार रहता है.

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रोजनामा खबरें लिखता है कि पाकिस्तान को दुनिया में अलग थलग करने की भारत की इच्छा और कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकीं. अखबार का कहना है कि भारत अपने 45 सैनिकों की मौत का इल्जाम पाकिस्तान पर डाल कर उसे दुनिया में बदनाम करना चाहता था लेकिन किसी भी देश ने ऐसा नहीं कहा है कि पाकिस्तान अपनी गलती मानें, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने खुले शब्दों में कहा है कि वह क्षेत्र में तनाव का खात्मा चाहते हैं.

अखबार लिखता है कि ट्रंप पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मिलने की इच्छा तो पहले ही जता चुके हैं लेकिन मौजूदा हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति पाकिस्तानी नेतृत्व के साथ जल्द से जल्द मुलाकात के इच्छुक नजर आते हैं. अखबार लिखता है कि यह पहला मौका है जब अमेरिका ने अपने सहयोगी देश की 'ऊंट पटांग' बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी है और सुरक्षा परिषद ने भी पुलवामा की घटना में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर आतंकवाद की निंदा की है जिससे भारत को जबरदस्त झटका लगा है.

मोदी को सलाह

रोजनामा दुनिया ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ रहे तनाव की वजह भारत की घरेलू सियासत को बताया है. अखबार लिखता है कि भारतीय जनता पार्टी की विफलताओं को देखते हुए आगामी चुनावों में उस पर हार का खतरा मंडराने लगा है. ऐसे में, अखबार के मुताबिक, मोदी सरकार को अपनी गिरती हुई लोकप्रियता को बचाने के लिए जिस माहौल की जरूरत है, उसके लिए सरहदों पर तनाव बहुत जरूरी है. अखबार कहता है कि भारत अगर आक्रामता दिखाने पर आमादा है तो इसका नुकसान खुद उसे ही उठाना पड़ेगा. यहां पर अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता के इस बयान का जिक्र किया है कि अगर भारत की तरफ से कोई हमला किया गया तो उसका भरपूर जवाब दिया जाएगा.

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रोजनामा एक्सप्रेस ने भारत को जंग की तबाहियां का हवाला दिया है और मोदी सरकार को सलाह दी है कि वह मीडिया हाइप का सहारा ना ले. युद्धोन्माद को छोड़े और कश्मीर पर पाकिस्तान की जायज बातों पर सोच विचार कर बातचीत का रास्ता कभी बंद ना करे. अखबार कश्मीर को झगड़े की जड़ बताते हुए कश्मीरियों के स्वनिर्धारण की बात को भी उठाया है. साथ ही अखबार ने सामाजिक समस्याओं, घटते संसाधनों, ग्लोबल वॉर्मिंग, भुखमरी, बीमारी और बेरोजगारी जैसे वैश्विक समस्याओं का जिक्र करते हुए इनसे एकजुट होकर निपटने की बात कही है.

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विश्व समुदाय से उम्मीद

रोजनामा औसाफ भी सत्ताधारी बीजेपी पर तनाव का माहौल पैदा करने का आरोप लगाता है. उसका कहना है कि भारत में मुट्ठीभर कट्टपरंथियों को छोड़ दें तो देश की ज्यादातर जनता शांति चाहती है. अखबार के मुताबिक भारत में ये बातें हो रही हैं कि पाकिस्तान युद्ध की तैयारी कर रहा है जबकि असल बात तो यह है कि जंग और बदला लेने की धमकियां भारत की तरफ से आ रही हैं, इसीलिए एक खुदमुख्तार देश होने के नाते पाकिस्तान को भारत की धमकियों का जवाब देने का हक है. अखबार को विश्वास है कि विश्व समुदाय भारत की तरफ से किसी भी तरह के 'मिसएडवेंचर' को रोकने में अपनी भूमिका अदा करेगा, इससे पहले कि वक्त गुजर जाए और सब कुछ तबाह हो जाए.