सीमा पर भारत से तकरार पाकिस्तान को बहुत महंगी पड़ रही है. पूर्वी सीमा पर पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ मोर्चा खोले रहता है. उधर अफगानिस्तान के खिलाफ भी पाकिस्तानी फौज सीमा पर अभियान छेड़े रहती है. इसके लिए पाकिस्तान को अपना रक्षा बजट तीस फीसद तक बढ़ाना होगा.
पाकिस्तान का आम बजट शुक्रवार को आएगा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक गुरुवार को पेशावर के रक्षा विशेषज्ञ खादिम हुसैन ने ये जानकारी दी है.
2016-17 में पाकिस्तान ने अपना रक्षा बजट बढ़ाकर 860 अरब रुपए कर दिया था. इसके मुकाबले भारत का रक्षा बजट 3.6 खरब रुपए का है.
रक्षा बजट में भारी इजाफा पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट करेगा. पाकिस्तान की इकोनॉमी की हालत पहले से ही पतली है. इन दिनों पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चीन से मिले कर्ज पर चल रही है.
अगर हम पाकिस्तान के हालात को सामाजिक-आर्थिक पैमाने पर कसें, तो हालात के खराब होने का अंदाजा होता है. आज पाकिस्तान को चाहिए कि वो ज्यादा से ज्यादा संसाधन अपनी अर्थव्यवस्था की हालत दुरुस्त करने पर लगाए.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कर्ज पर आधारित है. उसे गरीबी दूर करने और रोजगार पैदा करने के लिए बहुत काम करने की जरूरत है. देश की बढ़ती आबादी के लिहाज से पाकिस्तान में नौकरियां नहीं हैं.
पाकिस्तान को चाहिए कि वो अपने पड़ोसियों से उलझने के बजाय अपनी हालत सुधारने पर ध्यान दे. पाकिस्तान का ध्यान अपने ऊपर लदे कर्ज को कम करने पर होना चाहिए.
साथ ही उसे दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता घटाने के लिए भी काम करना होगा. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को इन आंकड़ों पर गौर फरमाने की जरूरत है.
कर्ज का बोझ
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था छोटी सी है. पिछले साल इसकी तरक्की की रफ्तार पांच फीसद रही थी. पाकिस्तान का चालू घाटा दस महीनों में बढ़कर 7.3 अरब डॉलर पहुच चुका है. इसका व्यापार घाटा अप्रैल में 3.2 अरब डॉलर था.
ब्लूमबर्ग, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के बारे में आंकड़े 2003 से इकट्ठे कर रहा है. पाकिस्तान ने चीन के बैंकों से भारी मात्रा में कर्ज ले रखा है. इसके बदले में पाकिस्तान ने अपने अहम संसाधन गिरवी रख दिए हैं.
पाकिस्तान ने चीन से इतना उधार ले रखा है कि पीढ़ियां गुजर जाएंगी मगर ये कर्ज नहीं चुकता होगा. हालात इतने खराब हैं कि आने वाले वक्त में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की वजह से इस पर इतना कर्ज हो जाएगा कि पाकिस्तान की सैन्य ताकत पूरी तरह चीन पर निर्भर होगी. चीन का पाकिस्तान पर इतना गहरा असर होगा कि पाकिस्तान, चीन का आर्थिक उपनिवेश बन जाएगा.
खबरों के मुताबिक, चीन ने आर्थिक गलियारे के लिए पाकिस्तान में करीब 62 अरब डॉलर का निवेश किया है. ये 46 अरब डॉलर के शुरुआती निवेश से 34 फीसद ज्यादा है.
इसके अलावा अपने 'वन बेल्ट, वन रोड प्लान' के लिए चीन, पाकिस्तान को अरबों डॉलर का कर्ज और देने वाला है. इस कर्ज से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और गहरे दलदल में धंसने वाली है.
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है. सीपीईसी यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे की पाकिस्तान को अभी और कीमत चुकानी होगी. क्योंकि इसके इर्द-गिर्द बनने वाले चीनी प्रोजेक्ट के लिए पाकिस्तान को सुरक्षा मुहैया करानी होगी. गुरबत में जी रहे पाकिस्तान पर ये एक और बोझ साबित होगा.
सीपीईसी से जुड़े प्लान की एक रिपोर्ट पाकिस्तान के अखबार, डॉन के हवाले लगी थी. इसके मुताबिक, आर्थिक गलियारे के बहाने से चीन, पाकिस्तान पर पूरी तरह छा जाने की तैयारी में है. आर्थिक गलियारे के बहाने, चीन पूरे पाकिस्तान की निगरानी का सिस्टम लागएगा.
पेशावर से कराची तक बाजारों की, सड़कों की कैमरों के जरिए निगरानी होगी, ताकि कानून-व्यवस्था ठीक रखी जा सके. पूरे पाकिस्तान में चीन फाइबर ऑप्टिक केबल का जाल बिछाएगा.
इस नेटवर्क के जरिए चीन सिर्फ इंटरनेट की सुविधा नहीं मुहैया कराएगा, बल्कि चीन के टीवी चैनलों का भी पाकिस्तान में प्रसारण होगा. इन तमाम योजानओ के जरिए चीन, पाकिस्तान पर गहरा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक असर डालने की तैयारी में है.
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, आर्थिक गलियारे के बहाने पाकिस्तान के तमाम सेक्टर्स पर अपनी पैठ बनाएगा. चीन का इरादा पाकिस्तान के समाज पर छा जाने का है. 'वन बेल्ट वन रोड' प्रोजेक्ट अब हकीकत बन चुका है.
इसके जरिए चीन अपनी आर्थिक और सैन्य ताकत की नुमाइश पाकिस्तान में करेगा और बाकी दुनिया को भी दिखाएगा. ऐसे में क्या नवाज शरीफ और पाकिस्तानी फौज को चीन की दादागीरी के खतरे के बारे में नहीं सोचना चाहिए?
बेहतर है कि वो भारत की फिक्र छोड़ दें. आतंकियों के बहाने जंग लड़ने की नीयत ठीक नहीं. पाकिस्तान को चीन के बढ़ते दखल की फिक्र करनी चाहिए.
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भयंकर कर्ज संकट की शिकार है. वो आज अगर तबाह नहीं हुई तो इसकी वजह चीन से मिला कर्ज है. इसकी भी कीमत पाकिस्तान को आगे चलकर चुकानी होगी.
कारोबार और रोजगार
पाकिस्तान की दूसरी बड़ी चुनौती रोजगार की है. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश में बेरोजगारी की दर 6 प्रतिशत है. मगर नेशन अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में बेरोजगारी की सही दर 10 फीसद के के आस-पास है.
पाकिस्तान में सबसे ज्यादा रोजगार कपड़ा उद्योग में है. इस वक्त पाकिस्तान का कपड़ा उद्योग भयंकर संकट से जूझ रहा है.
ब्लूमबर्ग की 21 सितंबर की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो सालों में सौ से ज्यादा कारखाने बंद हो चुके हैं. इसकी वजह से 5 लाख से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए. ब्लूमबर्ग ने ये जानकारी पाकिस्तान की कपड़ा मिल एसोसिएशन के सचिव सलीम सालेह के हवाले से दी थी. ये कारखाने बिजली न मिलने और खरीदारों के दूसरे देशों से माल खरीदने की वजह से बंद हुए थे.
इसकी एक बड़ी वजह पाकिस्तान की आतंकवादी देश की छवि भी है. आतंकवाद के खतरे की वजह से कारोबारी कराची आने से डरते हैं. शरीफ सरकार को फौज की ताकत बढ़ाने के बजाय अपने कपड़ा उद्योग की चिंता करनी चाहिए.
खेती के हालात
कृषि, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. इसका देश की अर्थव्यवस्था में 19.8 फीसद का योगदान होता है. देश में सबसे ज्यादा 42.3 फीसद लोग खेती के काम मे लगे हैं.
भारत से तनातनी की वजह से पाकिस्तान में कृषि क्षेत्र की हालत भी खराब है. भारत ने सिंधु जल समझौते की फिर से समीक्षा करने की चेतावनी दी है. 2015-16 के पाकिस्तान के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, खेती पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की जान है. इससे तमाम उद्योगों को कच्चे माल की सप्लाई होती है. इससे गरीबी हटाने में भी काफी मदद मिलती है.
पिछले साल पाकिस्तान के कृषि क्षेत्र की विकास दर नेगेटिव रही, ये -0.19 फीसद घट गई. कपास, चावल और मक्के के उत्पादन में कमी की वजह से ऐसा हुआ. सीमा पर बढ़ती तनातनी का असर पाकिस्तान के कृषि सेक्टर पर भी हुआ है.
सवाल उठता है कि आखिर पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते की समीक्षा से डरने की जरूरत क्यों है? सिंधु जल समझौता पंडित नेहरू के राज में हुआ था.
इसके तहत सिंधु चेनाब और झेलम नदियों का पूरा पानी पाकिस्तान को मिलता है. ये पानी ही पाकिस्तान की खेती को पानी की सप्लाई का प्रमुख स्रोत है.
इस समझौते की वजह से पाकिस्तान की 90 फीसद खेती को मदद मिलती है. इसकी वजह से पाकिस्तान के उद्योगों और रिहाइशी इलाकों को भी पानी मिलता है.
हाल ही में आई संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने चेतावनी दी थी कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने का बुरा असर हो सकता है. इससे पूरे इलाके में तनातनी बढ़ सकती है. भारत और पाकिस्तान के रिश्ते और खराब हो सकते हैं.
कश्मीर को लेकर तनातनी भी फिक्र की वजह है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि सीपीईसी की वजह से पूरा इलाका युद्ध की चपेट में आ सकता है. चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट ऐंड रोड इनीशिएटिव की वजह से भी इलाके में तनातनी बढ़ रही है.
फौज नहीं देश पर ध्यान की जरूरत है
इन हालात में पाकिस्तानी फौज को और ताकतवर बनाकर, उस पर और पैसा लुटाकर पाकिस्तान अपना ही नुकसान करेगा. इसका खामियाजा इसकी करीब बीस करोड़ की आबादी को झेलना होगा.
पाकिस्तान के लिए भारत से ज्यादा बड़ा खतरा चीन का बढ़ता दखल है. इस पर से कर्ज का बढ़ता बोझ, बेरोजगारी और गहरी जड़ें जमाए बैठी गरीबी, पाकिस्तान के लिए ज्यादा बड़ी चुनौती है.
शरीफ सरकार अभी भी चेत जाए तो देर नहीं हुई है. पाकिस्तान को पड़ोसियों से उलझने के बजाय अपने इन दुश्मनों से जूझना चाहिए.