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बम गिरा अफगानिस्तान में, हवा पाकिस्तान की खराब

नवा ए वक्त ने लिखा है कि नंगरहार में अपनी कार्रवाई से अमेरिका ने सबसे ज्यादा असुरक्षित पाक को बनाया

Seema Tanwar

अफगानिस्तान के जिस नंगरहार प्रांत में अमेरिका ने आईएस के ठिकाने पर सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराया है, वह पाकिस्तान की सीमा से सटा हुआ है. इसलिए पाकिस्तानी उर्दू मीडिया को यह चिंता सताए जा रही है कि अमेरिका के इस कदम का पाकिस्तान पर क्या असर होगा.

कहीं अमेरिका को इंसानियत का सबसे बड़ा दुश्मन कहा जा रहा है तो कहीं उस पर अल कायदा और इस्लामिक स्टेट के बहाने मुसलमान देशों में दखंलदाजी करने के आरोप लग रहे हैं.


पाकिस्तान पर असर

धुर दक्षिणपंथी अखबार ‘नवा ए वक्त’ लिखता है कि नंगरहार में अपनी कार्रवाई से अमेरिका ने सबसे ज्यादा असुरक्षित पाकिस्तान को बनाया है, जिसकी सरहदों को पहले ही दोनों तरफ से खतरा है.

अखबार लिखता है कि इसके बाद इस्लामिक स्टेट और दूसरे आतंकवादी गुटों के लोग बचने के लिए सरहद पार पाकिस्तान का रुख करेंगे और फिर यहां शांति और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बनेंगे.

अखबार लिखता है कि अगर अमेरिका ने पाकिस्तान की सरहदों को अस्थिर करने के मकसद से ही नंगरहार में बम गिराया है तो फिर अमेरिका और भारत के इरादों में कोई अंतर नहीं है. वहीं ‘जंग’ अखबार नंगरहार में ‘सभी बमों की मां’ को गिराए जाने के कदम को मुसलमान देशों में दखलंदाजी की एक और अमेरिकी कोशिश के तौर पर देखता है.

अखबार ने लिखा है कि यह बात किसी से नहीं छिपी है कि आतंकवाद का शिकार इस वक्त सिर्फ मुसलमान देश ही हैं और अमेरिका भी आईएस और अल कायदा के बहाने उन्हें ही अपने हमलों का निशाना बना रहा है.

अखबार लिखता है कि आईएस और अल कायदा को अमेरिका ने ही पैदा किया है और इसीलिए इन दोनों संगठनों के निशाने पर सबसे ज्यादा इस्लामी देश ही दिखाई देते हैं.

निशाने पर अमेरिका

‘जसारत’ ने अपने संपादकीय में अमेरिका को इंसानियत का सबसे बड़ा कातिल और वहशी मुल्क बताया है. अखबार लिखता है कि दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान में परमाणु हथियारों का परीक्षण करके लाखों लोगों को मार दिया था और अब अफगानिस्तान में सबसे बड़े गैर परमाणु बम को गिराया गया है.

अखबार कहता है कि अमेरिका की तरफ से इस दरिंदगी को यह कहकर सही ठहराने की कोशिश की गई है कि नंगरहार की गुफाओं में आईएस के ठिकाने थे इसलिए उन्हें निशाना बनाया गया, लेकिन क्या कोई बम लोगों को पहचान कर निशाना बनाता है.

अखबार सवाल करता है कि अगर वहां आईएस के ठिकाने थे तो क्या दूसरे आम लोग उसका निशाना नहीं बने होंगे?

अखबार लिखता है कि चूंकि नंगरहार बिल्कुल पाकिस्तानी सीमा के करीब है इसलिए उसका प्रभाव पाकिस्तान भी पहुंच सकता है. अखबार के मुताबिक इस बम का एक मकसद रूस और अफगान तालिबान के बीच प्रस्तावित बातीच को नाकाम बनाना भी है.

वहीं ‘उम्मत’ ने अमेरिका पर दुनिया भर में तबाही फैलाने का आरोप लगाते हुए लिखा कि वह यह सब वह अपने हथियारों की बिक्री बढ़ाने के लिए कर रहा है. अखबार की राय में, ऐसा लगता है कि डॉनल्ड ट्रंप हथियारों की बिक्री बढ़ाकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को सहारा देने का फैसला कर चुके हैं. अखबार कहता है कि इसके लिए दुनिया में चल रही जंगों को लंबा खींचा जाएगा और नए मोर्चे खोलकर भी इंसानियत को तबाही से दोचार किया जा सकता है.

बेहतरीन कदम

(फोटो: रॉयटर्स)

वहीं कुछ अखबारों ने अमेरिका के इस कदम पर सकारात्मक टिप्पणियां की हैं. मिसाल के तौर पर ‘दुनिया’ अखबार लिखता है कि यह हमला अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के बढ़ते खतरे को लेकर अमेरिका की गंभीरता को दिखाता है.

आईएस को पूरी दुनिया के खतरा बताते हुए अखबार ने कहा है कि अगर इस आतंकवादी गुट के लोग अफगानिस्तान में मौजूद हैं तो यह पाकिस्तान के लिए भी चिंता की बात है. अखबार की राय में अफगानिस्तान में आईएस के ठिकाने पर मोआब बम गिराया जाना पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र के हक में एक बेहतरीन कदम है.

रोजनामा ‘पाकिस्तान’ ने भी नंगरहार में सबसे बड़ा गैर परमाणु बम गिराए जाने को आईएस के खतरे के प्रति अमेरिका की गंभीरता बताया है. अखबार के मुताबिक अमेरिका को अहसास हो गया है कि अगर आईएस को नहीं कुचला गया तो यह फैलता ही जाएगा और दुनिया के बहुत देशों में जो समय समय पर हमले हो रह हैं, उनका सिलसिला नहीं रुक सकेगा.