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आतंकी संगठन है आईएसआई, फिर पाक को आतंकी देश घोषित करने में देर किस बात की?

सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान की कलई खोली तो यूएन में सुषमा ने पाकिस्तान को बेनकाब कर डाला

Kinshuk Praval

पाकिस्तान पर अब तक का सबसे संगीन आरोप उस देश ने लगाया है जिसके अरबों डॉलरों की मुफ्तखोरी ने पाकिस्तान को परमाणु बम बनाने की हैसियत दे डाली. पहली बार अमेरिका ने माना कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की आतंकी संगठनों के साथ सांठगांठ है. अमेरिकी मरीन कॉर्प्स के जनरल जोसेफ डनफोर्ड ने कहा कि आईएसआई और आतंकी संगठनों में न सिर्फ गहरे रिश्ते हैं बल्कि आईएसआई की अपनी विदेश नीति भी है. जोसेफ डनफोर्ड ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टॉफ के चेयरमैन भी हैं.


अमेरिकी विदेश मंत्री जिम मैटिस ने भी माना कि आईएसआई की अपनी विदेश नीति पर पाकिस्तान सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है. उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को अमेरिका ने अपनी डिवाइस के जरिए देखा है. ऐसे देशों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा जो कि आतंकी समूहों को पनाह दे रहे हों.

व्हाइट हाउस में ट्रंप प्रशासन के आने के बाद पाकिस्तान के लिए झटकों का सिलसिला जारी है. इससे पहले अमेरिका के रक्षा विभाग के एक पूर्व अधिकारी माइकल रूबिन ने भी पाकिस्तान को आतंकी संगठनों को प्रायोजित करने वाला देश बताया था. रूबिन ने कहा था कि पाकिस्तान, कतर और तुर्की को आतंकवाद को स्पॉन्सर करने वाला देश घोषित करने का समय आ चुका है.

वॉशिंगटन एक्जामिनर में लिखे ओपन एडिटोरियल में उन्होंने कहा था कि आईएसआई लगातार तालिबान को मदद दे रहा है जबकि पाकिस्तानी सरकार जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रही है.

जरूरत पड़ी तो पाक में आतंकी ठिकानों पर हमला करेगा अमेरिका

दरअसल पाकिस्तान पर अमेरिकी रुख में आए बदलाव की बड़ी वजह भारत की सर्जिकल स्ट्राइक है. आतंकवादी हमले का करारा जवाब देने वाली सर्जिकल स्ट्राइक ने पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया. पाकिस्तान को वो दर्द दिया जिसे न वो दिखा सका और न ही छुपा सका. लेकिन दुनिया के सामने ये साबित हो गया कि उसकी जमीन पर किस तरह से आतंकियों की फैक्ट्री तैयार की जा रही थी.

अमेरिका ने भी भारत की सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया था और पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर फटकार लगाई थी. अमेरिका के टेररिज्म और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस के अधिकारी एडम जुबिन ने कहा था कि पाकिस्तान के भीतर पल रहे आतंकी संगठनों के खिलाफ आईएसआई कोई कार्रवाई नहीं होने देती है. आईएसआई की वजह से ही पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को पनाह मिली हुई है. उन्होंने सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को ताकीद किया था कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को खत्म करने से नहीं हिचकेगा.

जबकि इसके उलट पाकिस्तान लगातार खुद को आतंकवाद से पीड़ित देश बताता रहा तो अमेरिका को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में परमाणु राष्ट्र होने की वजह से ब्लैकमेल भी करता रहा. लेकिन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस बार संयुक्त राष्ट्र में जिस तरह पाकिस्तान की असली फितरत की धज्जियां उड़ाईं उससे दुनिया का ध्यान पाकिस्तान के असल चेहरे की तरफ गया. सुषमा ने कहा था कि आजादी के बाद भारत ने इंजीनयर, डॉक्टर और वैज्ञानिक तैयार किए तो पाकिस्तान ने आतंकवादी तैयार किए. पाकिस्तान के पास भारत के एक भी आरोप का जवाब नहीं था. दुनिया भी ये जान चुकी है कि जिस देश में दुनिया का सबसे दुर्दांत और मोस्टवांटेड आतंकी ओसामा छिपा रहा हो वो मुल्क अमेरिका के लिए सगा कैसे हो सकता है?

अपने ही जाल में फंसा पाक

लेकिन अब खुद पाकिस्तान अपने ही बनाए जाल में पूरी तरह से फंस चुका है. दुनिया के सामने खुद को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी बताने की दलीलें खारिज हो गई है. अमेरिका पाकिस्तान और पीओके में लगे आतंकी कैंपों के चप्पे-चप्पे को सैटेलाइट के जरिए खंगाल चुका है. इस बार अमेरिका पुरानी गलती नहीं दोहराएगा. वैसे भी चीन के साथ पाकिस्तान की बढ़ती नज़दीकी ने अमेरिका को हाथ झटकने का मौका दे दिया है. अब अमेरिका एशिया मे भारत के साथ सामरिक और आर्थिक साझेदारी बढ़ा कर चीन के साथ सत्ता का संतुलन बनाना चाह रहा है.

अमेरिका की बड़ी चिंता पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को लेकर है. पाक के परमाणु हथियारों के आतंकी संगठनों के हाथ लगने का खतरा अमेरिका कई बार जता चुका है. ऐसे में अमेरिका की भविष्य की रणनीति अब यही होनी चाहिए कि वो जल्द ही पाकिस्तान को आतंकवाद प्रायोजित करने वाले देशों की लिस्ट में शामिल कर उसके परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय निगरानी के हवाले कर दे.