हममें से कईयों ने हनी सिंह का यह गाना सुना होगा 'चार बोतल वोदका काम मेरा रोज का, न कोई मुझको रोके न किसा ने रोका'. इस गाने को सुनकर यह लगता है कि जब तक 4 बोतल वोदका पीने के बाद की लोग आउट ऑफ कंट्रोल हो सकते हैं. कई लोगों को आपने यह कहते हुए भी सुना होगा कि वो 3-4 पैग दारु पीकर भी अपने होशो-हवास में रहते हैं. लेकिन हाल ही में एक ऐसा रिर्सच सामने आया है कि सिर्फ 2 पैग वोदका पीने से से ही लोग हिंसक हो जाते हैं. वैसे भी शराब पीकर मारपीट की घटनाएं आम हैं. भारत के कई राज्यों में महिलाएं इस वजह से शराबबंदी की भी मांग कर रही हैं क्योंकि शराब पीकर उनके पति हिंसक हो जाते और मारपीट करते हैं.
वैज्ञानिकों का कहना है कि केवल दो पैग वोदका पीने से मस्तिष्क में कुछ ऐसे बदलाव हो सकते है जो आक्रामकता से जुड़े है. यानी सिर्फ दो पैग के बाद ही लोगों के भीतर हिंसक होने की संभावना पैदा हो जाती है.
शराब पीने के बाद अक्सर लोगों का व्यवहार बदल जाता है और इसे पीने के बाद कुछ लोग हिंसक हो जाते है. वैज्ञानिकों ने यह समझने के लिए कि लोग शराब पीने के बाद हिंसक क्यों हो जाते हैं, एमआरआई स्कैन का प्रयोग किया.
अधिकांश सिद्धांतों के अनुसार एल्कोहल से संबंधित आक्रामकता मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स में बदलाव के कारण होती हैं. हालांकि इन विचारों को साबित करने के लिए पर्याप्त न्यूरोइमेजिंग सबूत की कमी है.
आस्ट्रेलिया में न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय के थोमस डेंसन के नेतृत्व में यह अध्ययन किया गया और इसके लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 50 स्वस्थ युवा लोगों को चुना गया.
प्रतिभागियों को या तो वोदका युक्त दो गिलास पेय पदार्थ, या किसी शराब के बिना पेय पदार्थ दिए गए.
वे प्रतिभागियों के बीच एमआरआई स्कैन में शराब का सेवन करने वाले लोगों और नहीं करने वाले लोगों के बीच अंतर कर सकते थे.
अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने एल्कोहल युक्त पेय का इस्तेमाल किया था, उनके व्यवहार में आक्रामकता देखी गई. ऐसे लोगों के मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स की सक्रियता में कमी भी देखी गई.
(भाषा से इनपुट के साथ)