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अफगानिस्तान में धमाकों के डर ने ऑनलाइन शॉपिंग का कारोबार बढ़ाया

पिछले दो साल के आंकड़े बताते हैं कि दर्जनों स्टार्टअप्स ने अच्छा कारोबार किया है जिनमें से कुछ ही ऐसे हैं जिनके ऑफलाइन स्टोर हैं

FP Staff

अफगानिस्तान में आजकल ऑनलाइन शॉपिंग का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है. यहां के लोगों का झुकाव इस तरफ इसलिए बढ़ रहा है ताकि वो बम ब्लास्ट से होने वाली मौतों, दुर्घटनाओं और छेड़छाड़ से बच सकें.

पिछले दो साल के आंकड़े बताते हैं कि दर्जनों स्टार्टअप्स ने अच्छा कारोबार किया है जिनमें से कुछ ही ऐसे हैं जिनके ऑफलाइन स्टोर हैं. काबुल में इस साल हुए फिदायीन हमलों और दूसरे बम धमाकों में सैकड़ों लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए.


आईविटनेस न्यूज ने एक रिपोर्ट में रॉयटर के हवाले से लिखा,  कुछ नए रिटेलर जैसे कि AzadBazar.af, afom.af, JVBazar.com और zarinas.com कॉस्मेटिक, कम्प्यूटर प्रोडक्ट, रसोई का सामान, रियल स्टेट, फर्नीचर, कालीन और कार बेच रहे हैं. एक वेबसाइट तो विदेशी ब्रांड का भी प्रचार कर रही है, जिसमें रोलेक्स, एडिडास और जारा शामिल हैं.

अभी पढ़ाई कर रहीं अलिसा सुलैमानी ने ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में रॉयटर को बताया, युद्ध के माहौल में ऑनलाइन खरीदारी अच्छा अनुभव है.  अफगानिस्तान की 60 फीसदी आबादी की उम्र अभी 25 साल से कम है जिनका एक बड़ा हिस्सा स्मार्टफोन यूजर्स का है.

बाहर जाने की हिम्मत नहीं, घर बैठे करें खरीदारी

अलिसा कहती हैं, आज के समय में बाहर जाकर खरीदारी करने की हिम्मत कौन करेगा? कुछ लोग ऐसे जरूर होंगे जिन्हें बाहर जाकर खरीदारी करना पसंद हो लेकिन मेरे लिए ये हमेशा मुश्किल रहा है. धमाकों का डर और यौन हिंसा का डर ऐसा है जो आपके साथ आपकी परछाई की तरह चलता है.

28 साल के तमीम रासा ने आठ महीने पहले 30,000 डॉलर के निवेश के साथ Rasa Online शुरू किया था. उन्होंने इन आठ महीनों में 60 से ज्यादा स्टोर और दुकानदारों के साथ कॉन्ट्रै्क्ट किया है. उनके 80 फीसदी ग्राहक महिलाएं हैं जो कॉस्मेटिक प्रोडक्ट खरीदती हैं. Rasa Online का कोई स्टॉक रूम नहीं है, इसके सिर्फ ऑफिस हैं.

तमीम रासा कहते हैं, हम ग्राहकों, बड़े स्टोर्स और दुकानदारों के बीच पुल बनाने का काम करते हैं. एक महीने पहले तक हमारे लिए खर्चा निकालना मुश्किल था, हम घाटे में थे लेकिन अब हम 14 से 42 डॉलर तक का मुनाफा कमा रहे हैं. यानी की हम आगे बढ़ रहे हैं. तमीम अपने कारोबार को पश्चिम के हेरात प्रांत, दक्षिण के कंधार, उत्तर के बल्ख और पूर्व के नंगरहर में बढ़ाना चाहते हैं जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती है.

दुकानों तक नहीं जाना चाहते लोग

27 साल के एशमतुल्लाह अफगान मार्ट के मालिक हैं. उन्होंने करीब एक साल पहले एक दुकान खोली थी जिसमें करीब 7000 डॉलर के सामान हैं. वो कहते हैं, बड़ी कंपनियों ने मुझसे संपर्क किया कि मैं उनके इंपोर्टेड सामनों की बिक्री करूं. हर रोज करीब 50 ग्राहक मुझे कॉल करते हैं और हम उन्हें डिलीवर करते हैं. एशमतुल्लाह भी इस साल के आखिर तक अपने कारोबार को बढ़ाना चाहते हैं.

एशमतुल्लाह के मुताबिक सबसे बड़ी मुश्किल सुरक्षा की थी, शहर में एक ब्लास्ट होता था और कुछ ही समय में ही उसी इलाके में फिर ब्लास्ट होता था. हमलों के डर और ट्रैफिक से बचने के लिए ज्यादातर लोग मुख्य रास्तों से नहीं बल्कि घरों, पतली गलियों और बगीचों के बीच से होते हुए बाहर जाते हैं.

एशमतुल्लाह के मुताबिक काबुल में हुए धमाकों की वजह से डिलिवरी सर्विस पर असर पड़ता है. वो कहते हैं, जब कहीं धमाके होते हैं तो हम उस इलाके में डिलीवरी रोक देते हैं. हालांकि एशमतुल्लाह मानते हैं कि उनके व्यापार के तेजी से बढ़ने के पीछे लोगों में असुरक्षा की भावना होना एक बड़ा कारण है. असुरक्षा के अलावा काबुल की सड़कों पर महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा भी इसकी एक बड़ी वजह है.