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पाकिस्तान को स्थिर देश बनाने में मदद करे भारत: फ्रैंक इस्लाम

भारतीय लोग अमेरिका आकर पढ़ें, यहीं काम करें और दूसरों के लिए जॉब क्रिएट करें

Runa Ashish

1970 के दशक में फ्रैंक फ़खरूल इस्लाम अलीगढ़ विश्वविद्यालय से एमएससी करने के बाद कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करने अमेरिका गए थे और वहीं बस गए. 2015 में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ एक बिजनेसमैन, एक उद्यमी और मेन डेलिगेट्स की तरह भारत आए फ्रैंक इस्लाम गणतंत्र दिवस के समारोह में शामिल हुए. फ्रैंक ने राजपथ पर 26 जनवरी की परेड देखा. राष्ट्रपति भवन में आयोजित भोज में भी वो शामिल हुए.

इन दिनों फ्रैंक इस्लाम एक बार फिर भारत आए हुए हैं, समय निकालकर वो अपने विश्वविद्यालय में बतौर गेस्ट पहुंचे. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में फ्रैंक इस्लाम ने अपनी जिंदगी और संघर्ष से जुड़ी यादें साझा की.


फ़र्स्टपोस्ट: आप इसी देश के हैं. तो जब भी आप भारत आते हैं किस तरह की यादों में गुम हो जाते हैं ?

फ्रैंक इस्लाम: मेरी जड़ें यूपी के आज़मगढ़ से हैं. मैंने यहां अपनी शुरुआती पढ़ाई की है. फिर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की. बाद में उच्च शिक्षा के लिए मैं अमेरिका चला गया. वहां जा कर मैं उद्योगपति बना. मैंने वहां 3000 नौकरियां देने वाली, 300 मिलियन डॉलर कमाने वाली कंपनी बनाई. मैं आज जो कुछ भी बन पाया हूं वो इसलिए क्योंकि मैंने इस देश में पढ़ाई की है.

यहां की शिक्षा ने मुझ पर बहुत प्रभाव डाला है. भारत मेरी जिंदगी, मेरे सफर और मेरी कहानी का हिस्सा है. इन दिनों एच1बी वीजा के बारे में बहुत कुछ लिखा जा रहा है, मैं सबसे ये बात कह दूं कि अमेरिका को भारत की जरूरत है. भारतीय लोग अमेरिका में आएं और यहां नौकरी क्रिएट करें. पढ़ाई करें.

अकेले सिलिकॉन वैली में ही 25 से 30 फीसदी आईटी कपंनियों के मालिक भारतीय- अमेरिकन हैं. वहां काम करने वाले भारतीय बड़े ही बुद्धिमान हैं. अब परेशानी वाली बात ये है कि 80 फीसदी एच1बी वीजा इन भारतीय-अमेरिकन कंपनियों को ही जाने लगे. जिसका बाद में कुछ गलत फायदा भी उठाया गया.

दूसरी बात ये कि जब कोई भारतीय काम करने अमेरिका आते हैं तो उन्हें अमेरिकियों के मुकाबले कम वेतन मिलता है. रिफॉर्म के तहत हम चाहते हैं कि भारतीयों को किसी भी तरह की उत्पीड़न का सामना ना करना पड़े. ये वो लोग हैं जो अमेरिका की इकॉनमी का बड़ा हिस्सा हैं. अमेरिका में 2 लाख भारतीय छात्र पढ़ने आते हैं. पहले नंबर पर चीनी छात्र और दूसरे नंबर पर भारतीय छात्रों की संख्या है. मैं तो चाहता हूं कि वो अमेरिका में आएं, पढ़ें और वहीं काम करें. साथ ही ग्रीन कार्ड भी अर्जित करें.

फ़र्स्टपोस्ट: प्रवासियों के बारे में आप क्या कहेंगे?

फ्रैंक इस्लाम: प्रवासी तो हमारे देश में आते रहे हैं. हमने तो उनका स्वागत ही किया है. यहां तक कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दोनों पत्नियां और उनकी मां भी प्रवासी ही थीं. पहली पत्नी चेकोस्लोवाकियन थीं और वर्तमान पत्नी भी पूर्वी यूरोप से ही हैं. हमारे देश की 'स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी' दूसरे देश के वासियों का स्वागत करती है क्योंकि एक अमेरिका सपनों का देश है. मैंने भी यही किया और अपने सपने सच किए. अब मैं दूसरे लोगों के लिए भी यही चाहता हूं.

राष्ट्रपति ट्रंप के बारे में कई बार ऐसी खबरें देखने और पढ़ने को मिलती हैं जिस देखकर लगता है कि लोग उनसे कुछ नाराज हैं. ऐसा है क्या? मैं आज विदेश में बैठा हूं और मुझे अपने देश के राष्ट्रपति के सम्मान की फिक्र है. मैंने तो अपना वोट चुनाव में हिलेरी क्लिंटन को दिया था वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त हैं. वो अमेरिका और भारत के लिए एक उम्मीद के समान थीं लेकिन ये हो नहीं सका. अमेरिका ने अपने दिल की बात कही है. मेरे हिसाब से ट्रंप बहुत मंजे हुए राजनेता नहीं है. मुझे लगता है कि वो बहुत जल्द ही अमेरिका के लोगों की बोली सीख जाएंगे.

फ़र्स्टपोस्ट: शरणार्थियों के बार में आपका क्या कहना है?

फ्रैंक इस्लाम: देखिए, अमेरिका में कोई भी बड़े बदलाव के लिए कई स्तर से गुजरना होता है. न्याय प्रणाली है फिर सिनेट भी है. इसलिए जब 7 देशों के शरणार्थियों पर प्रतिबंध की बात कही गई तो सभी लोगों ने इस पर रोक लगा दी. वैसे भी विश्वास की आजादी से जुड़ी परंपरा को रोका नहीं जाना चाहिए. ये जो शरणार्थी आए हैं वो यूरोप में कई मुसीबतें झेल कर हमारे देश पहुंचे हैं. भारत की तरह अमेरिका भी प्रजातंत्र और अनेकता में एकता की थ्योरी पर विश्वास करता है.

फ़र्स्टपोस्ट: अमेरिका में भारत की आज क्या ईमेज है?

फ्रैंक इस्लाम: 40 साल पहले जब मैं अमेरिका गया था तो लोगों ने कहा था तुम भारतीय हो, तुमहारी त्वचा काली (गेहुंआ) है. लेकिन अब लोगों के मन में भारत के लिए सबसे बढ़िया देश वाली छवि है. शायद यहां के प्रजातंत्र की वजह से. भारतीय हमारे देश में मॉडल प्रवासी हैं. अब तो सीनेट और हाउस में भी भारतीय हैं जिससे हम भारतीयों की बात वहां सुनी जा सके.

इस तरह की छवि बनाने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपनी भूमिका रही है. प्रधानमंत्री मोदी ने बहुत बढ़िया काम किया है. उनकी केमिस्ट्री बराक ओबामा से बहुत ही बेहतरीन रही है. एक बार पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा भी था कि भारत हमारे लिए बहुत अहम पार्टनर है. हमें राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार, आतंकवाद के खिलाफ साथ देना होगा जिससे एशिया में भारत एक बड़े नाम के तौर पर उभरे.

फ़र्स्टपोस्ट: आपका पाकिस्तान और चीन के बारे में क्या कहना है?

फ्रैंक इस्लाम: पाकिस्तान की जमीन पर आतंकवाद और हिंसा पनपता है, जो बिल्कुल गलत है. मुझे लगता है कि भारत को पाकिस्तान को स्थिर बनाने और आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए. बदले में पाकिस्तान को भी आतंकवादियों को भारत नहीं भेजना चाहिए. उन्हें ऐसा करने का कोई हक नहीं है. किसी निर्दोष को मारना बिल्कुल गलत है, अनुचित और अस्वीकार्य है.

चीन को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने सही से काम नहीं किया. ट्रंप को चीन के लोगों की नौकरी छीन लेने की बात नहीं करनी चाहिए थी. चीन हमारे लिए बहुत अहम है. वैसे भी उनके 1.2 ट्रिलियन डॉलर अमेरिका में लगे हुए है. ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से क्या बात की.. मैं नहीं जानता. उन्होंने थाइलैंड के बारे में जो कहा मैं नहीं जानता. लेकिन हां वो यूएस की नीतियां नहीं हैं. ट्रंप को बस राजनीति करना सीखना होगा. वैसे भी वो कुछ गलत नहीं करेंगे. वैसे वो बहुत स्मार्ट बिजनेसमैन तो हैं ही.