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PNB घोटाला: नीरव मोदी लंदन पहुंचा, राजनीतिक शरण की गुहार लगाई

फाइनेंसियल टाइम्स के हवाले से रॉयटर ने लिखा, नीरव मोदी लंदन में है जहां वह 'राजनीतिक मुकदमेबाजी' के खिलाफ शरण चाह रहा है

FP Staff

पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,400 करोड़ के घोटाले का आरोपी नीरव मोदी के लंदन भागने की खबर है. फाइनेंशियल टाइम्स (एफटी) में रविवार को छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोदी ने वहां राजनीतिक शरण की मांग की है. हालांकि ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया.

भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी पर 13,400 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया था. न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने फाइनेंसियल टाइम्स की रिपोर्ट के आधार पर नीरव मोदी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन हो नहीं पाया. एफटी के हवाले से रॉयटर ने लिखा, नीरव मोदी लंदन में है जहां वह 'राजनीतिक मुकदमेबाजी' के खिलाफ शरण चाह रहा है.


भारत के विदेश मंत्रालय ने एफटी से कहा, हमारी कोशिश है कि प्रत्यर्पण के बजाय जांच एजेंसियों के द्वारा ही नीरव मोदी तक पहुंच बनाई जाए. रॉयटर्स ने इस बारे में भी विदेश मंत्रालय से जवाब चाहा लेकिन विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

नीरव मोदी से पहले भारत में एक और बड़े घोटाले में मुकदमा झेल रहा विजय माल्या भी फिलहाल लंदन में है. उस पर किंगफिशर एयरलाइंस के लिए लोन लेकर उसे गबन करने का आरोप है.

पीएनबी घोटाले में अबतक 25 से ज्यादा लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर हो चुके हैं. द हिंदू की एक खबर बताती है कि पीएनबी घोटाले में जिन लोगों के खिलाफ मामले चल रहे हैं उनमें नीरव मोदी, चोकसी, पीएनबी की पूर्व प्रमुख उषा अनंतसुब्रह्मणियम, बैंक के दो कार्यकारी निदेशकों के नाम शामिल हैं.

पुलिस ने अपने आरोप पत्र में कहा है कि 2016 में बैंक के सीनियर अधिकारी नीरव मोदी को जारी लोन को लेकर बैंक को बरगलाते रहे.

फाइनेंसियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि विजय माल्या के बाद एक और दूसरे भगोड़े को शरण देने से भारत और ब्रिटेन के रिश्ते में खटास आ सकती है.

भारत लंबे दिनों से ब्रिटेन पर दबाव बना रहा है ताकि वहां शरण पाए आरोपी शराब कारोबारी विजय माल्या भारत लौट आए और मुकदमे का सामना करे. जबकि माल्या भारत के आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा है. ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने एफटी को बताया, हमेशा कोई न कोई मामला होता रहता है जो भारत के साथ रिश्ते में थोड़ी कड़वाहट भर देता है. इसके बावजूद दोनों देशों के बीच कानूनी साझेदारी के लिए मौके हैं.