संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निक्की हेली ने दावा किया है कि वकालत की पढ़ाई करने वाली उनकी मां को सालों पहले अदालत में जज के तौर पर पीठ में शामिल नहीं किया गया था.
ऐसा तब भारत में महिलाओं की स्थिति के कारण हुआ था.
'काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस' में कल निक्की के भाषण के बाद उनसे महिलाओं की भूमिका के बारे में पूछा गया था.
इसके जवाब में निक्की ने कहा, 'मैं महिलाओं की बड़ी प्रशंसक हूं. मुझे लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो महिलाएं न कर सकें. मुझे लगता है कि जब भी किसी लोकतंत्र ने वाकई में महिलाओं की तरक्की चाही है तो उसे इसका फायदा भी मिला है.'
उन्होंने भारत में अपनी मां के जीवन की कहानी को संक्षिप्त रूप से बयान किया और कहा कि उनकी मां भारत की पहली महिला न्यायाधीशों में शामिल थीं लेकिन महिला होने के कारण उन्हें कभी पीठ में जगह नहीं दी गई.
निक्की ने कहा, 'यह बात मेरे दिल के बहुत करीब है. आप जानते हैं कि जब भारत में ज्यादा लोग शिक्षित नहीं हुआ करते थे, तब मेरी मां लॉ स्कूल गईं. उन्हें भारत की पहली महिला न्यायाधीशों में शामिल होने के लिए में चुना भी गया लेकिन तब महिलाओं की स्थिति के कारण उन्हें पीठ में जगह नहीं दी गई.'
'उनके लिए यह देखना कितना शानदार रहा होगा कि उनकी बेटी दक्षिण कैरोलिना की गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत बनी.'
निक्की के पिता का नाम अजीत सिंह रंधावा और मां का नाम राज कौर रंधावा है. जन्म के समय निक्की का नाम निम्रता रंधावा रखा गया था. निक्की के माता पिता भारत से कनाडा आकर बस गए थे. फिर 1960 के दशक में वह अमेरिका आ गए थे.