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भारत को बड़ा झटका देकर नेपाल ने चीन के साथ किया ये समझौता, क्या छोड़ देगा साथ?

नेपाल और चीन ने एक ट्रांजिट प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए, जिससे नेपाल को सभी चीनी बंदरगाहों से चीन और दूसरे देशों के साथ व्यापार करने की पहुंच मिल जाएगी

FP Staff

भारत-नेपाल और चीन का त्रिकोणीय संबंध पहले ही बुरे हालात से गुजर रहा था, अब नेपाल ने भारत को सबसे बड़ा झटका दिया है. नेपाल ने चीन के साथ ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद वो अपने व्यापार के लिए भारत पर निर्भर नहीं रह जाएगा और उसे चीन के हर बंदरगाह से व्यापर करने की अनुमति मिल जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, गुरुवार को नेपाल और चीन के अधिकारियों ने एक ट्रांजिट प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद नेपाल को सभी चीनी बंदरगाहों से चीन और दूसरे देशों के साथ व्यापार करने की पहुंच मिल जाएगी. इससे भारत पर नेपाल की निर्भरता बहुत कम हो जाएगी.


बता दें कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी ओली ने इस समझौते के फ्रेमवर्क पर तभी हस्ताक्षर कर दिए थे, जब 2016, मार्च में वो चीन की यात्रा पर गए थे. 6 सितंबर को दोनों देशों के अधिकारियों ट्रांजिट प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर कर प्रक्रिया को पूरा कर लिया.

एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा गया कि इस समझौते के पूरा हो जाने के बाद दोनों देशों के बीच माल को लाना-ले जाना आसान हो जाएगा. इन बंदरगाहों में तियानजिन, शेनझेन, लियांग्यांग, झांजियांग, ल्हान्जिन, ल्हासा और शिगात्से शामिल हैं.

हालांकि नेपाल और चीन के बीच व्यापार शुरू करने को लेकर अभी भी कुछ समस्याएं हैं. जैसे नेपाल में ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या है. नेपाली बॉर्डर के पास सक्षम रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, वहीं सबसे करीबी चीनी बंदरगाह बॉर्डर से 2,600 किलोमीटर दूर है. व्यापारियों का कहना है कि नेपाल को चीनी बंदरगाहों के साथ व्यापार करने के लिए उचित इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की जरूरत है.

वैसे चीन पहले ही नेपाल को सहायता देकर और निवेश करके रोड बनवा रहा है. इसके अलावा चीन और नेपाल के बीच एक रेलवे लिंक बनाने की भी बात है.