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मोदी का अमेरिका दौरा: क्या ट्वीट और डिनर तक ही रहेगी 'सच्ची दोस्ती'

डोनाल्ड ट्रंप ने वीजा पर सख्ती करके भारत को झटका दिया है, क्या मोदी राहत की खबर ला पाएंगे ?

Pratima Sharma

'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमारे पीएम नरेंद्र मोदी के स्वागत में ट्वीट करते हैं. ट्वीट पर खबरें भी बनीं और मोदी ने रिप्लाई भी किया.

यह है ट्रंप का ट्वीट और उस पर मोदी का जवाब. लेकिन आम आदमी के लिए इस ट्वीट के क्या मायने हैं? क्या हमें खुश होना चाहिए कि ट्रंप ने मोदी के लिए वेलकम ट्वीट किया है? क्या इससे हमारी शान बढ़ रही है?

'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' के नाम पर ट्रंप ने पिछले दिनों जो फैसले लिए हैं, उससे हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं. क्या उन लोगों को दोनों देशों के पीएम और उनके शानदार डिनर से फर्क पडे़गा? हरगिज नहीं!

वीजा पर दोस्ती नहीं!

ट्रंप ने एच-1बी वीजा को सख्त बनाकर भारतीय आईटी इंडस्ट्री की नींव हिला दी है. ऐसा नहीं है कि ट्रंप ने अचानक वीजा घटाने या सख्ती बरतने का फैसला किया था. राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ही उन्होंने अपना रुख साफ कर दिया था कि अगर वह सत्ता में आते हैं तो वीजा पर सख्ती करेंगे.

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच 3 बार फोन पर बातचीत हुई है. यह पहला मौका है जब दोनों आमने-सामने एक दूसरे से बात करने वाले हैं. मोदी को ट्रंप ने व्हाइट हाउस में डिनर के लिए भी आमंत्रित किया था. यह पहला मौका है जब डोनाल्ड ट्रंप व्हाइट हाउस में किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ वर्किंग डिनर करेंगे. लेकिन यह सम्मान क्या बेरोजगार भारतीयों का दर्द कम कर सकेगा?

क्या पूरी होगी आईटी इंडस्ट्री की उम्मीद?

नरेंद्र मोदी की यह यात्रा भारतीय आईटी इंडस्ट्री और उनके कर्मचारियों के लिए काफी अहम है. ट्रंप ने पिछले दिनों वीजा पर जो सख्ती की है उससे इंफोसिस, विप्रो जैसी दिग्गज आईटी कंपनियों को बड़ी तादाद में लोगों की छंटनी करनी पड़ी.

ट्रंप ने इसी साल अप्रैल में एक एग्जिक्यूटिव ऑर्डर के जरिए एच-1बी वीजा में सख्ती करने का फैसला लिया था. ट्रंप के इस फैसले की सबसे तगड़ी चोट भारतीयों पर पड़ी है क्योंकि भारतीय आईटी कंपनियां सबसे ज्यादा इसी वीजा का इस्तेमाल करती हैं. ट्रंप ने कहा था कि अमेरिकी नागरिकों की नौकरी सुरक्षित करने के लिए वे 'हायर अमेरिकन' नियम लाएंगे.

ट्रंप के दांव से बेहाल आईटी इंडस्ट्री

ट्रंप ने इस साल 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेते हुए वीजा पर अपनी मंशा जाहिर कर दी थी. सत्ता संभालते ही ट्रंप ने सबसे पहले एच-1बी वीजा की फीस 2000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर कर दी. वहीं एल1 वीजा की फीस 4000 डॉलर तय कर दी. इससे भारतीय आईटी कंपनियों का खर्च बहुत ज्यादा बढ़ गया.

इतना ही नहीं, ट्रंप ने भारतीय आईटी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मिनिमम सैलरी 60,000 डॉलर से बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दिया है. आमतौर पर आईटी कंपनियां भारतीयों को 60,000 डॉलर में नियुक्त करती थीं. अमेरिकी कर्मचारियों की मिनिमम सैलरी ज्यादा होती थी. लेकिन भारतीय और अमेरिकियों के बीच सैलरी का फर्क खत्म होने से साफ है कि कंपनियां भारतीयों का वीजा खर्च उठाने के बजाय सीधे अमेरिकियों को ही हायर करेंगी.

विदेश में कामकाज कर रही आईटी कंपनियों से भारत सरकार को 5 अरब डॉलर का टैक्स मिलता है. वहीं अमेरिका की इकनॉमी में 1 अरब डॉलर का योगदान होता है.

क्या होगा 'सच्ची दोस्ती' का नतीजा

मोदी की अमेरिका यात्रा का ऐलान होते ही सबकी उम्मीदें इस बात पर टिक गईं हैं कि क्या मोदी भारतीय आईटी इंडस्ट्री के लिए 'अच्छी खबर' ला पाएंगे. हालांकि अमेरिकी प्रशासन से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल 'अच्छी खबर' के चांस नहीं है. अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप को यह फैसला लिए बहुत वक्त नहीं हुआ है.

अमेरिकी राष्ट्रपति की पहली प्राथमिकता अमेरिकी नागरिकों के लिए जॉब पक्की करना है लिहाजा वे फिलहाल कोई बदलाव नहीं करेंगे. ट्रंप ने ट्वीट करके मोदी को 'सच्चा दोस्त' तो बता दिया लेकिन अब यह देखना होगा कि क्या ट्रंप सही मायने में दोस्ती निभाएंगे.