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PM मोदी ने पाक राष्ट्रपति से दुआ-सलाम की, SCO देशों को दिया 'सिक्योर' मंत्र

पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन की मौजूदगी में मोदी ने कहा, आतंकवाद और चरमपंथ के प्रभावों का अफगानिस्तान एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है

FP Staff

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को पड़ोसी देशों और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) देशों के बीच बेहतर कनेक्टिविटी होने को प्राथमिकता बताया. उन्होंने इस शिखर सम्मेलन के नतीजों पर पूरा सहयोग देने की भारत की इच्छा को भी जाहिर किया. इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन से हाथ मिलाया और दुआ सलाम की.

इसी के साथ एससीओ शिखर सम्मेलन के सत्र में पीएम मोदी ने ‘सिक्योर’ का विचार रखा. इसमें ‘एस’ से अर्थ लोगों के लिए सुरक्षा, ‘ई’ से आर्थिक विकास, ‘सी’ से क्षेत्र में संपर्क (कनेक्टिविटी), ‘यू’ से एकता, ‘आर’ से संप्रभुता और अखंडता का सम्मान और ‘ई’ से पर्यावरण सुरक्षा है.

मोदी ने कहा, ‘हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गए है जहां वास्तविक और डिजिटल कनेक्टिविटी धरती की परिभाषा बदल रही है. इसलिए हमारे पड़ोसियों और एससीओ क्षेत्र में संपर्क हमारी तरजीह है.’

भारत और पाकिस्तान के इस संगठन का पूर्ण सदस्य बनने के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय प्रधानमंत्री इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे हैं. इस संगठन में चीन और रूस का दबदबा है. इस संगठन को नाटो के बराबर माना जा रहा है.

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान में शांति के मजबूत प्रयास करने के लिए अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी की तारीफ की और उम्मीद जताई कि सभी पक्ष उनके इन कामों की सराहना करेंगे. उन्होंने इसी क्रम में गनी की ओर से ईद के मौके पर संघर्षविराम की घोषणा करने का जिक्र किया.

मोदी यहां शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के सीमित सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने एससीओ में अफगानिस्तान के लिए संपर्क समूह बनाने को लेकर भारत की ओर से अहम भूमिका निभाने की बात कही.

पाकिस्तानी राष्ट्रपति ममनून हुसैन की मौजूदगी में मोदी ने कहा, ‘आतंकवाद और चरमपंथ के प्रभावों का अफगानिस्तान एक दुर्भाग्यपूर्ण उदाहरण है. मुझे उम्मीद है कि शांति की दिशा में राष्ट्रपति गनी ने जो मजबूत पहल की है उसका सभी पक्ष सम्मान करेंगे.’ मोदी ने ईद के मौके पर तालिबान के साथ हफ्तेभर लंबे संघर्षविराम की घोषणा का जिक्र किया.

(इनपुट एजेंसियों से)