संरक्षणवाद पर अमेरिकी पहल के बाद अब एशियाई देश भी अपनी रणनीति बनाने लगे हैं. हाल ही में अमेरिका ने चीन और कुछ भारतीय उत्पादों पर टैक्स लगाकर यह साफ कर दिया था कि सबसे ऊपर अमेरिका का हित है.
ट्रंप के इस कदम का असर टोक्यो में हुए 16वें नेशनल रीजनल कॉम्प्रीहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP)में साफ देखने को मिला. इसबार इस समारोह में एशियाई देशों के ट्रेड मंत्रियों ने आशा जताई है कि साल के अंत तक एक बड़ी डील पर हस्ताक्षर हो सकते हैं. दिलचस्प है कि इस पार्टनरशिप में चीन, जापान और भारत शामिल हैं लेकिन यूएस इसका सदस्य नहीं है. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एशियाई देशों ने कमर कस ली है.
बड़ा हो सकता है एग्रीमेंट का दायरा
जापान के ट्रेड मंत्री हाइरोसिगे सीको ने कहा कि इस साल के आखिर तक एग्रीमेंट का रास्ता साफ है. चूंकि सुरक्षा से जुड़ी चिंताएं वैश्विक रूप से बढ़ गई हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि एशियाई क्षेत्रों की फाइलों को फ्री ट्रेड के दायरे में लाएं. अगर सब कुछ सही रहा तो ये पार्टनरशिप पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था का एक तिहाई हिस्सा और लगभग आधी आबादी को कवर कर लेगी जिसमें दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी जुड़ेंगे.
वहीं भारत को ऐसे एग्रीमेंट की जरूरत है जो माल और सेवा की कीमतों को कम कर सके. सिंगापुर के ट्रेड मंत्री चान चुन सिंग ने रविवार को कहा कि इस समय ग्लोबल ट्रेडिंग सिस्टम में बहुत सारी चुनौतियां हैं. बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 6 जुलाई को चीनी सामान पर 34 बिलियन डॉलर की दर से कीमत लगाई थी.