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#metoo: भारत में यौन शोषण पर क्या हॉलीवुड जैसा बहिष्कार संभव है

इस हैशटैग के साथ दुनिया भर की तमाम खास और आम महिलाएं अपने अनुभव साझा कर रही हैं

FP Staff

हॉलीवुड के सबसे ताकतवर लोगों में से एक माने जाने वाले हार्वी वाइंस्टीन को यौन शोषण के मामले दोषी पाए जाने के बाद ऑस्कर एकेडमी से बाहर कर दिया गया. इसके बाद हॉलीवुड एक्‍ट्रेस एलिसा मिलानो ने #MeToo अभियान शुरू किया है. इसके तहत दुनियाभर की महिलाएं अपने साथ हुई यौन शोषण की घटनाओं का खुलासा कर रही हैं.

सोशल मीडिया पर देखते ही देखते तमाम आम और खास महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन शोषण की बात स्वीकारी है. कुछ एक ने अपने अनुभव भी साझा किए हैं. कॉमेडियन मल्लिका दुआ ने अपने साथ 7 साल की उम्र में हुए शोषण की बात को स्वीकार करते हुए एक पोस्ट किया है.

इसके अलावा फेसबुक पर भी कई महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं. मगर एक सवाल दिमाग में उठता है. हॉलीवुड में एक बेहद ताकतवर आदमी यौन शोषण के आरोप लगते हैं. उसे पूरी तरह से बहिष्कृत कर दिया जाता है. इससे पहले द पियानिस्ट जैसी कालजयी फिल्म के निर्देशक यौन शोषण के आरोपों के चलते 31 साल से अमेरिका में प्रवेश नहीं कर पाए हैं. इसी तरह के कई और डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और ऐक्टर हैं जिनको इस तरह के आरोप सिद्ध होने के बाद किसी भी प्रतिष्ठित मंच पर बुलाया नहीं जाता है.

क्या यह भारत में संभव है? अगर आपको याद हो तो साल 2005 में एक ब्रिटिश लेखिका ने हमारे एक सुपर स्टार के साथ संबंध और उसके बच्चे की मां होने का आरोप लगाया था. इसी तरह से बलात्कार के आरोपों में जेल में रह चुके कुछ दूसरे अभिनेता और प्रोड्यूसर भी हैं. मगर इन सबको बॉलीवुड में वापस काम करने में कोई समस्या नहीं आती. लोग जेल से वापसी पर बधाइयां देते हैं. साथ काम करने की बात करते हैं.

महमूद फारुखी

पिछले दिनों निर्देशक महमूद फारुखी मामले में अदालत ने आदेश भी दिया कि बाइपोलर डिसऑर्डर के चलते उन्होंने पीड़ित की न को हां सुन लिया. किसी भी दोषी के जेल से छूटने पर उसका स्वागत करने वाले हमारे समाज में इस हैशटैग की स्वीकृति से कोई फर्क पड़ेगा सोचना मुश्किल है.