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सरकारी फरमान पर अखबारों ने मुर्गे को भौंकना सिखा दिया

मलेशिया सरकार ने अपने कारनामे पर माफी मांगी है

FP Staff

सरकारें अपने वोट, अपनी जनता को खुश करने कुछ भी कर सकती हैं. इसमें कई बार मीडिया बिना सोचे-समझे अपनी तरफ से ऐसी बातें जोड़ देता है जिन्हें पचा पाना मुश्किल होता है. नोट में चिप जैसी घटनाएं होती रहती हैं. मलेशिया में ऐसी ही एक घटना हुई है. वहां के अखबारों ने सरकार के कहने पर मुर्गों को भौंकना सिखा दिया.

चीन में नया साल शुरू हुआ है. वहां कुल 12 खास जानवर होते हैं. हर साल एक ऐसे जानवर से साल को जाना जाता है. पिछला साल मुर्गे का था, अब जो साल शुरू हूआ है वो कुत्ते का है. मलेशिया में चीनी संस्कृति का बड़ा प्रभाव है. वहां चीनी मूल के लोग बड़ी तादाद में हैं. उनकों नए साल की शुभकामनाएं देने के लिए सरकारी विभाग की तरफ से अखबारों में पूरे पन्ने का विज्ञापन दिया गया.


मगर एक और समस्या हुई. मलेशिया में मुस्लिम बड़ी तादाद में हैं. वहां मुस्लिम कुत्तों को नापाक(अपवित्र) मानते हैं. सरकार मुसलमानों को भी नाराज़ नहीं करना चाहती थी. इसलिए सरकार ने जो विज्ञापन दिया उसमें कुत्ते की तस्वीर की जगह मुर्गे की तस्वीर थी. पहली गलती तो यही कि डॉग इयर की विश में मुर्गा बना हुआ था. इसके बाद वो मुर्गा भौंक भी रहा था.

अब सरकार की जो भी इच्छा रही हो. वहां के तमाम अखबारों को तो इतना पता ही होगा कि मुर्गा भौंकता नहीं है. इसके बाद भी उन्होंने सरकारी 'इच्छा' को पूरा किया. मगर मलेशिया और तमाम देशों के लोगों ने उनके मजे ले लिए. लोगों ने सरकार की जमकर आलोचना की. कईयों ने इसे राष्ट्रीय शर्म बताया. सरकार ने इसपर माफी मांगी है. मगर मलेशिया के कई स्टोर कुत्तों की तस्वीर लगाने से बच रहे हैं कि एक समुदाय की भावनाएं आहत न हो जाएं.