view all

लंदन टेरर अटैक: लगातार आतंकी हमले झेलते यूरोपीय देशों की नई कड़ी

आतंक के खिलाफ खड़े यूरोपीय देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है

FP Staff

ब्रिटेन की संसद के पास हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर सभी की निगाहें लंदन की ओर मोड़ दी हैं. फ्रांस और ब्रुसेल्स में हुई आतंकी घटनाओं को हुए ज्यादा समय नहीं बीता है. बेदर्द आतंकी हमलों में मासूम लोगों की जान लेने का ये सिलसिला हर कुछ समय के बाद चलता ही रहता है.

तकरीबन 12 साल पहले 7 जुलाई 2005 को भी सेंट्रल लंदन में बसों में सीरीज ब्लास्ट किए गए थे. इस दिल दहला देने वाली घटना में 56 लोगों की मौत हो गई थी और 784 लोग घायल हुए थे. ये हमले लंदन को 2012 के ओलंपिक की दावेदारी मिलने के ठीक एक दिन बाद हुए थे. जिस पर विश्वभर से तीखी प्रतिक्रियाएं आईं थीं.


बीती जुलाई में इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में 2016 के शुरुआती 6 महीनों में  अलग-अलग देशों में छोटे-बड़े 12 आतंकी हमले हुए.

2001 में अमेरिका के ट्वीन टॉवर पर हुए आतंकी हमले के बाद से नाटों देशों की आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई की कीमत सैनिकों के साथ-साथ आम लोगों को भी बड़े स्तर पर चुकानी पड़ी है.

फ्रांस की कार्टून मैगजीन चार्ली हेब्दो के दफ्तर पर हुआ आतंकी हमले से लेकर फुटबॉल स्टेडियम में हुए लोन वुल्फ के हमले में भी निरीह नागरिक मारे जाते रहे हैं.

सीरिया में बीते पांच सालों से चल रहे गृह युद्ध की उपज कहे जाने वाले खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के निशाने पर भी यूरोपीय देश लगातार बने रहते हैं. कई बार ऐसी भी खबरें आईं कि ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिम युवक आईएस के प्रभाव में आ रहे हैं.

इन खबरों के बीच ब्रिटेन ने हमेशा आतंक के खिलाफ अपने कड़े रुख पर टिके रहने का समर्पण दिखाया. लेकिन आतंक के खिलाफ खड़े यूरोपीय देशों को इसकी कीमत चुकानी पड़ती है. ब्रिटेन हो, फ्रांस हो, जर्मनी या अन्य देश ये सभी कुछ-कुछ अंतराल पर इसका शिकार होते ही रहते हैं.