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पाकिस्तान का दावा, रॉ के पांच और ‘जासूस’ पकड़े

पाकिस्तान में कुलभूषण जाधव को मौत की सजा पर भी सेना की शान में कसीदे पढ़े जा रहे हैं

Seema Tanwar

पाकिस्तान में भारत के कथित जासूस कुलभूषण जाधव को जहां मौत की सजा सुनाए जाने के बाद सेना का गुणगान जारी है. उधर, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ से जुड़े पांच और आतंकवादियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है.

पाकिस्तानी अर्धसैनिक बल रेंजर्स के सिंध प्रांत के प्रवक्ता कर्नल कैसर खान ने बुधवार को कराची में एक कांफ्रेंस बुलाकर यह दावा किया. उन्होंने कराची के पास मवाछ गोठ के इलाके में छापे के दौरान पांच संदिग्धों की गिरफ्तारी को बड़ी कामयाबी बताया और दावा किया कि कराची को एक बड़ी तबाही से बचा लिया गया है.


पाकिस्तानी अखबार ‘नेशन’ की खबर के मुताबिक सिंध रेंजर्स के प्रवक्ता कर्नल कैसर खान ने बताया, "ये आतंकवादी भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ और अफगान खुफिया एजेंसी एनडीएस का नेटवर्क चला रहे थे." उन्होंने इन लोगों के पास से आठ किलो विस्फोटक, एक आत्मघाती जैकेट, चार हैंड ग्रेनेड, चार बोलत बम, 20 मीटर डेटोनेटर कोर्ड, तीन डेटोनेटर और कई दूसरे हथियार भी बरामद करने का दावा भी किया.

सेना के दावे

भारत में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध

सिंध रेंजर्स ने कहा कि ये गिरफ्तारियां आतंकवादियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन ‘रद्द उल फसाद’ के तहत हुई हैं. पाकिस्तानी सेना के प्रमुख कमर बाजवा ने पद संभालने के बाद ही इस अभियान का एलान किया था, जबकि इससे पहले जनरल राहील शरीफ के दौर में ऑपरेशन ‘जर्ब ए अज्ब’ की बहुत चर्चा होती थी और आतंकवादियों की कमर तोड़ देने के दावे किए जाते थे. लेकिन पाकिस्तान में एक के बाद एक हुए हालिया हमले बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना और सरकार के दावे कितने खोखले हैं.

डॉन’ की रिपोर्ट में बुधवार को रेंजर्स के छापों में गिरफ्तार किए गए लोगों के नाम दिए गए हैं जिनमें बिलाल अहमद, ताहिर जमान, मोहम्मद नवाज, मोहम्मद फरहान सिद्दीकी और मोहम्मद मशहादी शामिल हैं. इन सभी लोगों का संबंध उपमहाद्वीप में सक्रिय अल कायदा की शाखा से बताया गया है और यह भी कहा गया है कि इन लोगों ने अफगानिस्तान में ट्रेनिंग ली थी.

पाकिस्तानी अखबार ‘ट्रिब्यून’ ने पाकिस्तानी रेंजर्स के सिंध मुख्लालय की तरफ से जारी किए गए पूरे बयान को अपनी खबर में प्रकाशित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कुछ स्थानीय लोगों की तरफ से दी गई जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई गई.

जल्द से जल्द फांसी दो

दूसरी तरफ, पाकिस्तान में कुलभूषण को मौत की सजा दिए जाने पर अब भी सेना की शान में कसीदे पढ़े जा रहे हैं. साथ ही यह चिंता भी उभर रही है कि कहीं पाकिस्तान इस मुद्दे पर किसी अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने न झुक जाए. उर्दू अखबार ‘औसाफ’ के संपादकीय से इसकी साफ झलक मिलती है, जो लिखता है कि पाकिस्तान को भारतीय जासूस के मुद्दे पर अमेरिका या भारत समेत किसी का भी दबाव कबूल नहीं करना चाहिए.

अखबार के मुताबिक भारत अपने जासूस को मिली सजा के बाद अमेरिका समेत अन्य देशों के जरिए पाकिस्तान पर दबाव डालने और फैसले को बदलवाने के लिए लॉबिंग कर रहा है. कुलभूषण को फांसी दिए जाने पर खतरनाक नतीजे भुगतने की सरहद पार से आने वाली चेतावनी पर अखबार का कहना है कि पाकिस्तान को हर स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.

वहीं रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ लिखता है कि कुलभूषण ने गंभीर जुर्म किए हैं और उसे सजा मिलनी ही चाहिए. अखबार के मुताबिक अगर भारत ने अपने एजेंट का मामला विश्व स्तर पर उठाया तो पाकिस्तान अपना भरपूर बचाव करने की पूरी क्षमता रखता है, इसलिए भारत को किसी गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए.

वहीं ‘नवा ए वक्त’ ने कुलभूषण को जल्दी से जल्दी फांसी देने की वकालत करते हुए लिखा है कि जितनी देर तक वह जिंदा रहेगा, उतनी देर तक भारत को दुनिया भर में पाकिस्तान के खिलाफ जहरीला दुष्प्रचार करने का मौका मिलता रहेगा.

अखबार लिखता है कि अगर कुलभूषण की मौत की सजा पर अमल नहीं हुआ, तो जो आज पाकिस्तान की मजबूती है, वह कमजोरी में तब्दील हो जाएगी. अखबार लिखता है कि दुश्मन के साथ किसी तरह की नरमी करना उसे फलने फूलने का मौका देने के बराबर है.