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करगिल जंग में नवाज-मुशर्रफ को उड़ा सकता था भारतीय विमान

एक रिपोर्ट के अनुसार आईएएफ के इस हमले में मार दिए जाते पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज और सेना प्रमुख मुशर्रफ

FP Staff

करगिल की जंग के दौरान अगर एयरफोर्स के जगुआर विमान के पायलट ने एक बम दाग दिया होता तो भारतीय उपमहाद्वीप और पूरे विश्व की स्थिति अभी कुछ और ही होती.

यह विमान नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की ओर उड़ रहा था और इसके निशाने पर पाकिस्तानी सेना का एक मिलिट्री बेस था. हालांकि उसे यह नहीं पता था कि उस मिलिट्री बेस में उस वक्त पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और सेना प्रमुख जनरल परेवज मुशर्रफ मौजूद थे.


निशाने पर थे नवाज-मुशर्रफ

1999 में पाकिस्तान की फौजों ने भारतीय इलाके में घुसकर करगिल और दूसरे इलाकों पर कब्जा कर लिया था. भारतीय सेना और वायुसेना इन इलाकों को मुक्त कराने के लिए लड़ रही थी.

24 जून 1999 को सुबह 8.45 बजे लाइन आॅफ कंट्रोल के करीब इंडियन एयरफोर्स के दो जगुआर विमानों ने उड़ान भरी. उड़ान के दौरान पहले जगुआर पायलट ने अपने लेजर गाइडेड सिस्टम के जरिए सीमा के उस पार मौजूद एक पाकिस्तानी बेस को टारगेट कर लिया था. हालांकि दूसरे जगुआर विमान- जिसे निशाना साधना था- ने ऐन वक्त पर तय निशाने पर बम न गिराकर उसे नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से की ओर गिरा दिया.

बाद में पता चला कि तब टारगेट पर लिए गए सैन्य बेस में उस वक्त नवाज़ शरीफ और जनरल परवेज मुशर्रफ मौजूद थे. अगर इंडियन एयरफोर्स जगुआर से उस बेस को निशाना बनाकर बम गिरा देती तो आज ये दोनों जिंदा नहीं होते.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के अहम खुलासे में कहा गया है कि अगर एक एयर कमाडोर की ओर से जगुआर के पायलट को बम न गिराने का निर्देश जारी नहीं किया जाता तो बम उसी बेस पर गिरा दिया गया होता जिसमें नवाज़ और मुशर्रफ मौजूद थे. अखबार ने ये खुलासा एक आधिकारिक दस्तावेज के हवाले से किया है. इसमें लिखा है, 'उस दौरान बम न गिराने के बाद जांच में ये सुनिश्चित हुआ कि जब जगुआर ने गुलटेरी मिलिट्री बेस पर टारगेट सेट कर लिया था तब वहां पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ मौजूद थे.'

एलओसी के पास दौरे पर थे मुशर्रफ

गुलटेरी पाकिस्तानी सेना का अडवांस्ड एडमिनिस्ट्रेटिव बेस है जहां से करगिल युद्ध के दौरान सैनिकों के लिए रसद और असलहे सप्लाई किए जाते थे. ये बेस पाक अधिकृत कश्मीर में द्रास सेक्टर पर भारतीय सीमा से तकरीबन 9 किलोमीटर दूर स्थित है. उस दिन शरीफ मुशर्रफ के साथ पहली बार एलओसी के नजदीक शकमा सेक्टर दौरे के लिए गए थे.

रिपोर्ट के मुताबिक रिटायर्ड एयर मार्शल विनोद पाटने, जो करगिल युद्ध के दौरान एयरफोर्स वेस्टर्न कमांड के कमांडिंग इन चीफ थे, ने बताया कि एयरफोर्स का निशाना मोशको वैली को उड़ाना था जहां पाकिस्तानी सेना के असलहे और सैन्य सामग्रियां रखी गईं थीं. जगुआर फाइटर एयरक्राफ्ट ने टारगेट को निशाने पर ले लिया था, लेकिन दूसरा जगुआर जो उसके ठीक पीछे था उसने भी लेजर गाइडेड बम से टारगेट सेट किया था और हमला करने ही वाला था कि तभी कैप्टन को संदेह हुआ और बम गिराने से रोक दिया गया. वापस आकर वीडियो देखा गया तो पाया कि वह मोशको वैली नहीं बल्कि गुलटेरी बेस था जहां नवाज शरीफ और मुशर्रफ मौजूद थे.

हालांकि एयर मार्शल पाटने ने स्पष्ट किया कि वह उस दौरान इस बात से अवगत नहीं थे कि गुलटेरी में नवाज शरीफ मौजूद थे. वैसे किसी भी परिस्थिति में गुलटेरी पर हमला करना वायुसेना के नियम के खिलाफ था. पाटने इस समय नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के डायरेक्टर जनरल हैं.