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मोसुल में 39 भारतीयों की हत्या: कैसे पता चला लाशें कहां दबी हैं?

इराकी अथॉरिटी ने राडार के इस्तेमाल से यह पता लगाया कि टीले के नीचे कब्रिस्तान है. स्वराज ने कहा कि इसके बाद उन लाशों को निकाला गया

FP Staff

इराकी अथॉरिटी को 38 भारतीय कामगारों की बॉडी मिली है. ये सभी भारतीय वहां निर्माण कार्य से जुड़े थे. इस्लामिक स्टेट के अधिकारियों ने इन सभी कामगारों को बंधक बना लिया था.

इराक अथॉरिटी के अधिकारियों के मुताबिक, इन मजदूरों की लाशों को मोसुल के उत्तर-पश्चिम में बादुश में जलाया गया है. यही वह इलाका है, जिसपर इराकी सेना ने पिछली जुलाई पर कब्जा किया था.


इराकी अधिकारी नाजिहा अब्दुल आमिर अल-शिमारी ने कहा, ‘दएश आतंकी गुटों ने जघन्य अपराध किया है.’ अरबी में इस्लामिक स्टेट ग्रुप को दएश कहते हैं. नाजिहा का कहना है कि जो लाशें मिली हैं वो भारतीयों की हैं. उनका सम्मान करना चाहिए. लेकिन आतंकी इस्लाम के सिद्धांत का अपमान कर रहे हैं.

क्या करते थे भारतीय कामगार?

जिन भारतीयों की बॉडी मिली है उनमें से ज्यादातर उत्तर भारतीय हैं. ये सब मोसुल के नजदीक एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे. इसी इलाके में इस्लामिक स्टेट ने अपना कब्जा कर लिया था. कुछ के रिश्तेदारों का कहना है कि मोसुल पर कब्जा करने के पांच दिन बाद से ही मदद के लिए इराक में रहने वाले भारतीयों के फोन आने लगे थे. मोसुल पर जब इस्लामिक स्टेट का कब्जा हुआ तब 10,000 भारतीय इराक में थे.

क्या कहना है सुषमा स्वराज का ?

संसद में मंगलवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि सर्च ऑपरेशन टीम ने बादुश के नजदीक एक टीला पाया. स्थानीय लोगों का कहना था कि यहीं बंदियों को जलाया गया था.

इराकी अथॉरिटी ने रडार के इस्तेमाल से यह पता लगाया कि टीला के नीचे कब्रिस्तान है. स्वराज ने कहा कि इसके बाद उन लाशों को निकाला गया. भारतीय अथॉरिटी ने रिश्तेदारों का डीएनए सैंपल भेजा. स्वराज ने कहा कि ये कब्र 39 लोगों की है लेकिन अभी तक डीएनए का पूरी तरह मिलान नहीं हो पाया है.