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'सिंधु जल संधि पर भारत के रुख में कोई बदलाव नहीं'

वाशिंगटन में 11 अप्रैल से रातले और किशनगंबा जलविद्युत परियोजनाओं पर सचिव स्तर की होगी बातचीत

IANS

पाकिस्तान के एक मंत्री ने भले ही कहा है कि भारत और पाकिस्तान सिंधु घाटी में दो विवादित जल परियोजनाओं को लेकर अगले महीने वाशिंगटन में बातचीत करेंगे, लेकिन केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि इस मुद्दे पर भारत के पहले के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल वागले ने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'मैं आपको स्पष्ट कर दूं कि इस्लामाबाद में हुई स्थाई सिंधु जल आयोग की बैठक में जिन मामलों पर चर्चा हुई थी, उसमें से किसी पर भी भारत के पहले के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है.'


11अप्रैल से वाशिंगटन में सचिव स्तर की होगी बातचीत

इस्लामाबाद में 21 और 22 मार्च को हुई आयोग की बैेठक से पहले पाकिस्तानी जल एवं विद्युत मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा कि दोनों देश 11 अप्रैल से वाशिंगटन में विश्व बैंक के अधीन किशनगंगा और रातल जलविद्युत परियोजनाओं पर तीन दिवसीय सचिव स्तर की बातचीत करेंगे.

ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने सोमवार को इस्लामाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, 'अमेरिका ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दोनों देशों की मदद के लिए बड़े स्तर पर हस्तक्षेप किया है. वाशिंगटन में 11,12 और 13 अप्रैल को रातले और किशनगंबा जलविद्युत परियोजनाओं पर सचिव स्तर की बातचीत होगी.'

उन्होंने कहा था, 'हमें खुशी है कि भारत आयोग स्तर पर बातचीत बहाल करने के लिए सहमत हुआ है. हम इस निर्णय का और भारतीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे का स्वागत करते हैं.'

भारत की वैधानिक जिम्मेदारी संधि की निर्धारित बैठकों में हिस्सा ले

सिंधु जल आयुक्त पी.के. सक्सेना के नेतृत्व में 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने सालाना बातचीत के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था.

वागले ने कहा कि जब तक भारत इस संधि में एक पक्ष है, उसकी वैधानिक जिम्मेदारी बनती है कि संधि की निर्धारित बैठकों में हिस्सा ले, कम से कम प्रत्येक फाइनेंशियल ईयर में एक बार.

उन्होंने कहा, 'आयोग इंजीनियरों और तकनीकी विशेषज्ञों की एक द्विपक्षीय संस्था है. इनके बीच विस्तार से तकनीकी चर्चाएं होती हैं.'

वागले ने कहा, 'हमारी टीम लौट आई है और अब इस्लामाबाद बैठक में हुई चर्चाओं का आकलन किया जा रहा है.'

1960 में सिंधु जल संधि पर हुए थे हस्ताक्षर

सिंधु जल संधि पर 1960 में हस्ताक्षर हुए थे, और इसमें छह नदियां -ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चेनाब और झेलम- शामिल हैं.

विश्वबैंक की मध्यस्थता में हुई इस संधि के तहत प्रथम तीन नदियों के पानी के इस्तेमाल का अधिकार भारत को और अन्य तीन नदियों के जल के इस्तेमाल का अधिकार पाकिस्तान को है.

संधि के अनुसार, भारत को इन नदियों की सहायक नदियों पर जलविद्युत प्लांट लगाने का अधिकार है. पाकिस्तान को डर है कि इससे उसके क्षेत्र में नदियों में जल का प्रवाह घट जाएगा.