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कुलभूषण जाधव मामला: आईसीजे में जीत कर भी हार सकता है भारत, कानून में है ऐसी कमी

जस्टिस चौहान ने कहा अंतरराष्ट्रीय कानून ज्यादातर कागज़ों में है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून, राजनीति शास्त्र है या कानून का विषय

FP Staff

भारत और पाकिस्तान सोमवार को कुलभूषण जाधव के लिए कांसुलर एक्सेस और न्याय के लिए अंतराष्ट्रीय अदालत में आमने-सामने है.

लॉ कमिशन के चेयरमैन बीएस चौहान का मानना है कि आईसीजे अगर भारत की गुहार को मानकर पाकिस्तान से जाधव को फांसी नहीं देने की अपील करता है, तब भी पाकिस्तान को ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं होगा.


जस्टिस चौहान ने जाधव के मामले को कमज़ोर बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून के एक महत्वपूर्ण कमी को उजागर करते हुए कहा कि कोई भी देश उसके फैसले को मानने के लिए बाध्य नहीं है.

आईसीजे के निर्णय को कैसे लागू किया जाए?

उन्होंने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय कानून ज्यादातर कागज़ों में है. सबसे बड़ा सवाल है इस बात का निर्णय करना कि अंतरराष्ट्रीय कानून, राजनीति शास्त्र या कानून का विषय है. आईसीजे के निर्णय को कैसे लागू किया जाए?'

आगे उन्होंने उदाहरण देते हुए पूछा कि आईसीजे अगर फैसले पर रोक लगाता है और फिर भी पाकिस्तान जाधव को फांसी देना चाहता है. ऐसे में भारत के पास क्या उपाय बच जाता है, कुछ भी नहीं.

चीन करे वीटो पावर का इस्तेमाल

चौहान ने आगे कहा कि भारत मामले को सुरक्षा परिषद में उठा सकता है. लेकिन वहां चीन अगर समर्थन ना देते हुए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल करे तब मामला ख़त्म हो जाएगा.

उनके मुताबिक ये मामला बहुत कमज़ोर है. ये केवल अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने में मददगार साबित होगा. लेकिन सुनवाई के दौरान अगर पाकिस्तान जाधव को फांसी दे देता है तो इसका कोई इलाज नहीं है. ये शायद अंतरराष्ट्रीय कानून की सबसे बड़ी खामी है.

कानूनी खामियों को समझाते हुए जस्टिस चौहान ने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान जाधव को अंतरराष्ट्रीय दबाव में फांसी ना दे.

18 साल पहले भी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत और पकिस्तान आमने-सामने हो चुके हैं. ये मामला अगस्त 10, 1999 में भारत ने पाकिस्तानी नौसेना के विमान ब्रिक्वेट अटलांटिक को भारतीय सीमा में घुसकर निरीक्षण करते समय गुजरात के कच्छ क्षेत्र में मार गिराया था.

60 मिलीयन डॉलर की भरपाई करने को कहा था

पाकिस्तान ने तब दावा करते हुए कहा कि उनके विमान को उनकी ही सीमा के अंदर मार गिराया गया और भारत से इसके लिए हर्जाने के तौर पर 60 मिलीयन डॉलर की भरपाई करने को कहा.

भारत ने इस मामले को आईसीजे में उठाया जहां कोर्ट ने साफ किया कि उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं था कि वो पाकिस्तान के दावे को माने.

न्यूज़ 18 साभार