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'इंडियन करी' की वजह से ब्रिटेन में घर मिलना मुश्किल!

मकान किराए पर न देने की वजह उनकी त्वचा का रंग नहीं बल्कि उनके खाने की महक है.

Bhasha

ब्रिटेन में वह 69 वर्षीय मकान मालिक कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहा है, जिसने रियल एस्टेट एजेंट से अपनी संपत्तियां किसी भारतीय या पाकिस्तानी को किराए पर देने से मना किया था.

फर्गुसन विल्सन ने गेहुंआ रंग वाले लोगों को अपनी संपत्तियां किराए पर देने से मना किया था. उनका कहना था कि ये लोग करी पकाते हैं और दुर्गंध छोड़ जाते हैं.


विल्सन पर चलेगा मुकदमा?

ब्रिटेन के समता और मानवाधिकार आयोग ने इसकी पुष्टि की है कि उसने केंद्रीय लंदन काउंटी कोर्ट में विल्सन के खिलाफ मामले के लिए आवदेन किया है.

आयोग की मुख्य कार्यकारी रेबेका हिल्सनरथ ने कहा, ‘हमने अदालत से पूछा है कि क्या वह हमसे सहमत है कि विल्सन की नीति गैरकानूनी श्रेणी में आती है और अगर वह सहमत है कि इस संदर्भ में आदेश जारी करे.’

दूसरी तरफ, विल्सन अपनी नीति पर अडिग है. उसका कहना है कि इस तरह के लोग जब मकान खाली करके जाते हैं तो घर में से भारतीय खाने की महक हटाने में जो खर्च आता है उससे बचने के लिए उन्होंने यह फैसला किया है.

वह कहते हैं, ‘मकान किराए पर न देने की वजह उनकी त्वचा का रंग नहीं बल्कि उनके खाने की महक है. एक व्यक्ति उस घर को खरीदना पसंद करता है, जिसमें से करी की महक न आती हो.’