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ट्रंप ,ट्रूडो, टैरिफ और टकराव के बीच भारत को सतर्क रहने की जरूरत

भारत को ये सोचने की जरूरत है कि अमेरिका के साथ तमाम सौदों के बीच अगर समान टैक्स व्यवस्था को लेकर हालात बिगड़ते हैं तो उन परिस्थितियों से भारत किस तरह निपट सकेगा

Kinshuk Praval

जी -7 देशों की इस बार की बैठक ट्रंप, ट्रूडो और टैरिफ की वजह से इतिहास में याद रखी जा सकती है. आयात शुल्क के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस कदर नाराज हुए कि वो न सिर्फ समिट को बीच में छोड़कर सिंगापुर चले गए बल्कि उन्होंने जी-7 देशों के संयुक्त बयान में शामिल होने से इनकार भी कर दिया. ट्रंप ने अपनी नाराजगी ट्वीट के जरिए जताई और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को कमजोर और बेईमान तक बता दिया.

दरअसल, पिछले हफ्ते ही अमरीका ने यूरोपीय यूनियन, कनाडा और मेक्सिको से स्टील और एल्युमीनियम आयात करने पर टैरिफ लगाने का फैसला किया था. जिस पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के फैसले पर सवाल उठाया. उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लिए गए इस अमेरिकी फैसले को अमेरिका के सहयोगियों के साथ युद्ध में हिस्सा ले चुके कनाडा के सैन्य कर्मियों का 'अपमान' बताया.

साथ ही ट्रूडो ने ये भी कहा कि उनका देश कनाडा अमेरिका के शुल्क लगाए जाने के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए एक जुलाई से अमेरिकी सामान पर शुल्क लगाएगा. वहीं जस्टिन ट्रूडो ने उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) और द्विपक्षीय व्यापार संधि के अमेरिका के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया.

ट्रूडो से नाराज ट्रंप ट्वीट के जरिए बरसे और उन्होंने कहा कि अमेरिका ने जी-7 देशों के साझा बयान पर हस्ताक्षर नहीं करने का फैसला किया है क्योंकि कनाडा उनके किसानों, कामगारों और कंपनियों पर भारी शुल्क लगा रहा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को लगता है कि उनकी गुल्लक को दुनिया भर के कई देश लूटने में लगे हैं जिनमें से एक भारत भी है. आयात शुल्क के मामले में उन्होंने भारत को भी निशाना बनाया. उन्होंने कहा कि बात सिर्फ जी -7 देशों की नहीं बल्कि भारत में भी आयात की कुछ दरें 100 फीसदी हैं.

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अमेरिकी प्रशासन अमेरिकी बाजारों में ऑटो मोबाइल्स पर भी टैरिफ लगाने की सोच रहा है. ट्रंप का सीधा इशारा भारत से आयातित मोटरसाइकिलों और चीन से आयातित कारों की तरफ था. ट्रंप पहले भी कह चुके थे कि भारत से आयातित मोटरसाइकिलों पर जीरो शुल्क लगता है तो चीन की तरफ से आयातित कारों पर 2.5 प्रतिशत लगता है जबकि चीन जहां 25 प्रतिशत शुल्क लगाता है तो भारत 75 प्रतिशत तक शुल्क लगाता है.

हार्ले डेविडसन मोटरसाइकल के मुद्दे पर राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर अमेरिकी सामानों पर टैक्स कम नहीं किया गया तो वो भी उतना ही टैक्स लगाएंगे. ट्रंप ने साफ धमकी दी थी कि अगर दूसरे देश टैक्स कम नहीं करेंगे तो अमेरिका भी जवाबी टैक्स लगाएगा.

दरअसल अमेरिका से आयातित हार्ले डेविडसन मोटरसाइकिल पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने से ट्रंप ऐतराज जता रहे थे. उन्होंने साफ कर दिया था कि जिस तरह अमेरिका पर 50 प्रतिशत आयातित शुल्क लगेगा तो जवाब में वो भी 50 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे.

अमेरिका चाहता है कि उसकी कंपनियों के साथ निष्पक्ष बर्ताव हो लेकिन अमेरिका की संरक्षणवाद की नई नीति की वजह से वैश्विक कारोबार पर असर पड़ना तय है. अमेरिका ने स्टील पर 25 प्रतिशत और एल्युमीनियम पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा कर अपने सबसे करीबी सहयोगियों कनाडा, मेक्सिको और यूरोपीय यूनियन को नाराज कर दिया है. जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने अमेरिका के साझा बयान में शामिल न होने को न सिर्फ निराशाजनक बताया है बल्कि कहा कि ये किसी गंभीर बात की तरफ इशारा करता है.

ऐसे में अमेरिका के साथ कारोबारी रिश्तों को लेकर भारत के मन में आशंकाओं का भाव आना लाजिमी है. भारत को ये सोचने की जरूरत है कि अमेरिका के साथ तमाम सौदों के बीच अगर समान टैक्स व्यवस्था को लेकर हालात बिगड़ते हैं तो उन परिस्थितियों से भारत किस तरह निपट सकेगा.

अमेरिका के साथ भले ही भारत के रणनीतिक और कूटनीतिक रिश्तों में हाल में बदलाव देखा गया हो लेकिन कारोबारी रिश्तों में तनाव बढ़ ही रहा है. डोनाल्ड ट्रंप जहां एक तरफ एच-1 बी वीजा मुद्दे पर कोई रियायत नहीं देने के मूड में हैं. पीएम मोदी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कई दफे एच-1 बी वीजा का मामला उठा चुके हैं लेकिन अमेरिकी सरकार के एच-1 बी वीजा में बदलावों से भारतीय आईटी कंपनियों के लिए अमेरिका में कारोबार काफी मुश्किल और महंगा हो गया है.

भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी रिश्तों में मुक्त व्यापार समझौता यानी एफटीए और द्विपक्षीय निवेश समझौता यानी बीटीए को लेकर भी खींचतान  है. द्विपक्षीय कारोबार को लेकर दोनों देशों के बीच उदासीनता दिखाई देती है.

अमेरिका के कुल स्टील आयात में भारत का हिस्सा मात्र 2.4 फीसदी है जबकि एल्युमीनियम के कुल अमेरिकी आयात में भारत की हिस्सेदारी दो प्रतिशत है. भले ही अमेरिका के आयात शुल्क बढ़ाने का असर भारत पर नहीं पड़े लेकिन अमेरिकी बाजारों के बंद होने से आपूर्ति में बढ़ोतरी के चलते कीमतों में गिरावट भी आएगी जिसका भारत पर भी असर पड़ेगा.

अमेरिका फिलहाल 800 अरब डॉलर के व्यापारिक घाटे को पूरा करने की कवायद में जुटा हुआ है. इस कवायद में अमेरिकी मतदाताओं को खुश रखने और अमेरिकी कंपनियों के मुनाफे के लिए ट्रंप बेहिचक बड़े फैसले कर रहे हैं. ऐसे में भारत को भी भविष्य को देखते हुए अपने आर्थिक हितों को भी रक्षा हितों की तरह ही सबसे ऊपर रखना होगा.