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भारत जिनकी उंगलियों पर नाच रहा है, वे बचाने नहीं आएंगेः पाक मीडिया

भारत इज़रायल के सैन्य अभ्यास को लेकर पाकिस्तान का कहना है, इससे इलाके में तनाव बढ़ेगा

Seema Tanwar

पाकिस्तानी अखबारों में प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी और सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा का हालिया एलओसी दौरा छाया हुआ है. चिड़ीकोट सेक्टर का दौरा करते हुए प्रधानमंत्री अब्बासी ने पाकिस्तानी सेना को दुनिया की बेहतरीन सेना बताते हुए उसकी शान में कसीदे पढ़े और कश्मीरियों की राजनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक हिमायत करते रहने का दम भी भरा. साथ ही उन्होंने भारत पर नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी कर मासूम नागरिकों की जान लेने के आरोप भी लगाए. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री आम लोगों की हिफाजत के लिए एलओसी पर बंकर बनाने और गोलाबारी में हताहत होने वालों को मिलने वाली सहायता राशि में इजाफा करने का एलान भी किया.

सिविल सैन्य नेतृत्व एक साथ


रोजनामा ‘दुनिया’ लिखता है कि नियंत्रण रेखा का दौरा कर प्रधानमंत्री ने इस बात को साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अपने नागरिकों और देश की सुरक्षा से बेखबर नहीं है और कश्मीरियों की हर स्तर पर राजनीतिक, नैतिक और राजनयिक हिमायत जारी रखेगा.  अखबार ने अपनी एक टिप्पणी से भारत और अमेरिका दोनों पर निशाना साधा है. उसने लिखा हैः बेहतर यही होगा कि भारत एक अच्छे पड़ोसी की तरह रहे क्योंकि जिनकी उंगलियों पर वह नाच रहा है, वे उसे बचाने नहीं आयेंगे. क्षेत्र में शांति के लिए भारत और पाकिस्तान के अच्छे रिश्तों को जरूरी बताते हुए अखबार लिखता है कि भारत को यह बात समझते हुए संबंधों की बेहतरी के लिए आगे आना होगा.

‘नवा ए वक्त’ लिखता है कि अमेरिकी सरपरस्ती में भारत पाकिस्तान की सुरक्षा के खिलाफ अपने मंसूबों को परवान चढ़ाने में जुटा है और इसका अंदाजा भारतीय प्रधानमंत्री, सेना प्रमुख और दूसरे अफसरों के बयानों से होता है.

अखबार लिखता है कि नियंत्रण रेखा पर जितना तनाव आजकल है, इतना तो भारत-पाकिस्तान की जंगों के दौरान भी नहीं था. अखबार की राय में भारत नियंत्रण रेखा के आसपास रहने वालों लोगों को गोलाबारी जद में लाकर पाकिस्तान को भड़काना चाहता है और उसके साथ युद्ध के बहाने तलाश रहा है. अखबार लिखता है कि यूं तो पाकिस्तान युद्ध से गुरेज करने की नीति पर चल रहा है लेकिन दुश्मन के जुनूनी विस्तारवादी इरादों का मौके पर जवाब देना भी जरूरी है. अखबार ने प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के एक साथ एलओसी का दौरा करने को सराहते हुए लिखा है कि देश की रक्षा के लिए सिविल और सैन्य नेतृत्व की एकजुटता का ठोस पैगाम देकर ही भारत के इरादों को नाकाम किया जा सकता है.

बैठक से रुकेगी फायरिंग?

रोजनामा ‘औसाफ’ ने भी इन्हीं बातों को अपने संपादकीय में जगह दी है. लेकिन अखबार ने इसी के साथ नई दिल्ली में बीएसएफ और पाकिस्तानी रैंजर्स की तीन दिन तक चली बैठक का जिक्र भी किया है, जिसमें सीमा पर तनाव को कम करने के लिए फायरिंग न करने और रक्षा निर्माण से जुड़े मसलों को हल करने के लिए कानूनी प्रक्रिया तेज करने पर सहमति बनी. अखबार ने नियंत्रण रेखा पर तनाव के लिए भारत को जिम्मेदार बताया है जबकि पाकिस्तान को संयम से काम लेने वाले एक देश के तौर पर पेश किया है.

अखबार लिखता है कि पाकिस्तान ने तो उस भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव को उसकी पत्नी से मिलाने की पेशकश भी की है जिसने पाकिस्तान में खुला आतंकवाद फैलाने, बलूचिस्तान को अस्थिर करने और चीन-पाकिस्तान कोरिडोर में रुकावट डालने की बात कबूल कर ली थी.

रोजनामा ‘पाकिस्तान’ ने लिखा है कि 2003 में नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम समझौता हुआ और दोनों पक्षों ने इस पर संतोष जताते हुए उम्मीद जताई थी कि इससे फायरिंग की घटनाएं कम होंगी. अखबार के मुताबिक कुछ समय तक तो ऐसा हुआ लेकिन अब तो भारत की तरफ से लगभग हर रोज फायरिंग हो रही है. अखबार लिखता है कि अब अगर नई दिल्ली में भारत और पाकिस्तान की बैठक में यह तय कर लिया गया है कि 2003 के समझौते पर अमल किया जाएगा तो उम्मीद करनी चाहिए कि ऐसा ही होगा, लेकिन सिर्फ बैठक में तय कर लेने से ऐसा नहीं हो सकता.

अखबार की टिप्पणी है कि इस तरह की बैठक तो हर साल होती है, अब ये भारत में हुई तो इससे पहले पाकिस्तान में हुई थी और तब भी संघर्षविराम पर अमल करने का संकल्प जताया गया था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.

खतरनाक इशारे

रोजनामा ‘वक्त’ का संपादकीय हैः भारत-इस्राइल सैन्य अभ्यास और क्षेत्र में बढ़ते खतरे. अखबार कहता है कि भारतीय फौजी दस्ते को अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड, इटली और ग्रीस के दस्तों के साथ इस्राइल में होने वाले सैन्य अभ्यासों में शामिल होने का मौका मिलेगा. अखबार कहता है कि इस्राएल भारत को सैन्य साजो सामान मुहैया कराने वाले देशों तीसरे या चौथे नंबर पर है. अखबार की राय में, इस्राइल में भारत के सैन्य अभ्यास एक खतरनाक हालात की तरफ इशारा करते हैं और इससे भारत-पाकिस्तान के तनाव में इजाफा होगा.