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पाकिस्तान डायरी: 'चुनाव जीतने के लिए सीमा पर घुसपैठ करवा रहा है भारत'

पाक मीडिया का कहना है कि भारत पाकिस्तान से पंगा कभी नहीं लेगा

Seema Tanwar

पाकिस्तान की सेना ने पिछले दिनों नियंत्रण रेखा के पास एक भारतीय ड्रोन को मार गिराने का दावा किया. पाकिस्तान के उर्दू मीडिया के लिए यह भारत की बढ़ती हुई आक्रामता है जिससे निपटने के लिए कहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से फरियाद की जा रही है तो कहीं रूस और चीन को ढाल बनाने की बात हो रही है.

लगभग सभी पाकिस्तानी अखबार इस बात पर एकमत है कि भारत को अमेरिका की तरफ से फ्रीहैंड मिल रहा है जिससे इलाके में शक्ति का संतुलन खराब होने का खतरा पैदा हो गया है. कुछ अखबार यह भी लिख रहे हैं कि भारत पाकिस्तान से ज्यादा पंगा नही लेगा क्योंकि वह जानता है कि पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं.


शांति नहीं, जंग में दिलचस्पी

‘जंग’ लिखता है कि भारत की मोदी सरकार अपने कदमों से लगातार जिस तरह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ा रही है. इसकी ताजा मिसाल नियंत्रण रेखा पर आजाद कश्मीर (यानी पाक अधिकृत कश्मीर) के रख चकरी सेक्टर में देखने को मिली. अखबार के मुताबिक पाकिस्तानी इलाके में उड़ान भर रहे भारत के जासूसी ड्रोन को पाकिस्तान के शूटरों ने मार गिराया. अखबार ने लिखा है कि पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन के मलबे को अपने कब्जे में लेकर उसमें मौजूद फोटो, वीडियो और दूसरे डाटा का विश्लेषण शुरू कर दिया है.

अखबार के मुताबिक यह घटना इस बात का सबूत है कि भारत पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाने और कश्मीर समेत सभी मुद्दों को बातचीत के जरिए नेकनियत से हल करने की बजाय तनाव को बढ़ाना और जंग के हालात पैदा करना चाहता है. अखबार कहता है कि यह अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी की जिम्मेदारी है कि वह भारत को बेलगाम होने से रोके और शांति व स्थिरता को सुनिश्चित करे.

रोजनामा 'वक्त' भी यही लिखता है कि पाकिस्तान की सरजमीन पर भारतीय ड्रोन की हालिया उड़ान से भारत के जंगी जुनून का साफ पता चलता है. अखबार के मुताबिक भारत ने अमेरिकी सरपस्ती में ऐसा रवैया अख्तियार कर रखा है जिससे क्षेत्र में शांति के लिख खतरा पैदा हो गया है.

चुनावी हथकंडा

रोजनामा ‘पाकिस्तान’ लिखता है कि जब से मोदी सत्ता में आए हैं तब से नियंत्रण रेखा पर संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाएं बहुत बढ़ गई हैं. अखबार के अनुसार जब भी किसी भारतीय राज्य में चुनाव या फिर लोकसभा की किसी सीट पर उपचुनाव होता है तो संघर्षविराम के उल्लंघन का सिलसिला तेज हो जाता है.

अखबार की राय में, भारतीय हुकमरान शायद यह समझते हैं कि अपनी जनता को पाकिस्तान दुश्मनी के बुखार में डाल कर वे चुनाव जीत सकते हैं. अखबार लिखता है पाकिस्तान ने भारतीय ड्रोन को मार गिराकर भारत को संदेश दिया है कि वह अपने बनाए “खिलौने” उड़ाए या फिर अमेरिका के दिए हुए, लेकिन हथियारबंद ड्रोनों के जरिए इलाके में दबदबा कायम करने का उसका सपना कभी पूरा होने वाला नहीं है.

अखबार कहता है कि भारत को अगर दुनिया भर से इसी तरह हथियार मिलते रहे तो उसका जंगी जुनून काबू करना मुश्किल होगा, इससे शक्ति का संतुलन बिगड़ेगा और क्षेत्र के दूसरे देश असुरक्षा का शिकार होंगे, इसलिए विश्व समुदाय को इस दिशा में सकारात्मक भूमिका अदा करनी चाहिए.

चीन-रूस बचाएंगे

रोजनामा ‘दुनिया’ लिखता है कि चूंकि पाकिस्तान के पास एटमी हथियार हैं, इसलिए यह बात तो तय है कि भारत पाकिस्तान से छेड़खानी तक ही सीमित रहेगा और इससे आगे जाने की हिमाकत कभी नहीं करेगा. अखबार लिखता है कि नियंत्रण रेखा पर भारत की हालिया कार्रवाइयां असल में उसके नए यारों अमेरिका और इज़रायल के कहने पर की गयी हैं जिनमें वह धूल चाटने के बावजूद बाज नहीं आ रहा है. अखबार कहता है कि भारत न जाने किस गलतफहमी है कि वह पाकिस्तान को दबाव में ले आएगा जबकि उसने जब भी सीमा का उल्लंघन किया है तो पाकिस्तान की तरफ से करार जबाव मिला है.

अखबार लिखता है कि भारत की तरफ से ड्रोन के जरिए जासूसी करने की कोशिश उस वक्त की गई है जब एक दिन पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री ने क्षेत्र में भारत की "नेतृत्व वाली" भूमिका का खुल कर समर्थन किया. अखबार कहता है कि एशिया के तमाम देशों को क्षेत्र में अमेरिका और इस्राएल की बढ़ती भूमिका का नोटिस लेना चाहिए.

अखबार की राय में भारत की डोर इस वक्त अमेरिका के हाथ में है और भारत की किसी भी हरकत की वजह यह क्षेत्र किसी भी टकराव की लपेट में आ गया तो नुकसान इस क्षेत्र का होगा, अमेरिका का नहीं.

रोजनामा ‘एक्सप्रेस’ के संपादकीय का शीर्षक है: भारत की आक्रामता का क्या मकसद है? अखबार के मुताबिक कहा जा रहा है कि भारत नियंत्रण रेखा पर एक बफर जोन कायम कराना चाहता है और यही उसकी आक्रामकता का कारण है. भारत की नीयत में खोट बताते हुए अखबार लिखता है कि पाकिस्तान को जवाबी रणनीति अख्तियार करनी चाहिए. अखबार की राय में, चीन और रूस पाकिस्तान के लिए ढाल का काम कर सकते हैं क्योंकि मध्य एशिया और मध्य पूर्व में चीन और रूस का हित इसी में है कि भारत के बढ़ते हुए सैन्य और आर्थिक फैलाव को रोका जा सके. अखबार कहता है कि नए हालात को सामने रखते हुए भविष्य की रणनीति बनाना वक्त की सबसे अहम जरूरत है.